सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : मंदिर का धन केवल भगवान का, कोर्ट ने कहा- इसका इस्तेमाल बैंक बचाने में नहीं किया जा सकता
हाईकोर्ट के आदेश से कठिनाइयां पैदा हो रही
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर का धन भगवान का है और इसका उपयोग खस्ताहाल बैंकों को बचाने में नहीं किया जा सकता। कोर्ट केरल के सहकारी बैंकों की उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें वे तिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की जमा राशि लौटाने के हाईकोर्ट आदेश को चुनौती दे रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाएँ खारिज कीं और राशि वापसी के लिए समय बढ़ाने हेतु हाईकोर्ट जाने की अनुमति दी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि मंदिर का धन भगवान का है और इसका इस्तेमाल बैंकों को बचाने के लिए नहीं किया जा सकता है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बैंक ने ये टिप्पणी केरल के कुछ सहकारी बैंकों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की। केरल के कुछ सहकारी बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम में जमा राशि वापस करने के केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि आप मंदिर के धन का इस्तेमाल बैंक को बचाने के लिए करना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि मंदिर का धन एक खस्ताहाल सहकारी बैंक में रखने की बजाय एक स्वस्थ राष्ट्रीयकृत बैंक में जाना चाहिए जो अधिकतम ब्याज दे सके।
हाईकोर्ट के आदेश से कठिनाइयां पैदा हो रही :
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि दो महीने के भीतर जमा राशि वापस करने के हाईकोर्ट के आदेश से कठिनाइयां पैदा हो रही हैं। तब कोर्ट ने कहा कि आपको लोगों के बीच अपनी विश्वसनीयता स्थापित करनी चाहिए। अगर आप ग्राहकों और जमाओं को आकर्षित करने में असमर्थ हैं, तो यह आपकी समस्या है। कोर्ट ने कहा कि बैंकों को जमा राशि की परिपक्वता पर तुरंत राशि जारी करनी थी। तब याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि बंद करने का कोई अनुरोध नहीं किया गया था और ग्राहक की ओर से कोई शिकायत नहीं थी। तब कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को राशि देने के लिए समय बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट जाने की छूट दे दी।

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