शिमला की संजौली मस्जिद में नवाज पढ़ने को लेकर छिड़ा विवाद, आमरण अनशन पर बैठी हिंदू संघर्ष समिति
संजौली मस्जिद के बिजली-पानी कनेक्शन काटने की मांग तेज
शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर विवाद और गंभीर हो गया है। हिंदू संघर्ष समिति ने मस्जिद में नमाज़ पढ़ने का विरोध करते हुए बिजली-पानी कनेक्शन काटने और दर्ज हुई एफआईआर वापस लेने की मांग की। समिति के सदस्य तीन दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं और मस्जिद को अवैध बताते हुए इसे गिराने की मांग कर रहे हैं। बढ़ते तनाव को देखते हुए मस्जिद परिसर के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया है।
शिमला। शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर विवाद अब और भी गहराता नजर आ रहा है। बता दें कि, विवादित मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर आज हिंदू संधर्ष समिति ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मस्जिद का बिजली-पानी कनेक्शन काटने की मांग की। इतना ही नहीं, हाल ही में, मस्जिद में जो लोग नवाज पढ़ने गए थे उनका रास्ता रोकने के खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी वापस लेने की मांग की गई है।
जानकारी के अनुसार, पिछले 3 दिनों से हिंदू संघर्ष समिति के सदस्य आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं और नगर निगम तथा कोर्ट से इस मस्जिद को गिराने, बिजली और पानी का कनेक्शन काटने और नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। फिलहाल, विरोध पदर्शन को देखते हुए मस्जिद परिवार के बाहर पुलिस बल को तैनात किया गया है।
जानें क्या है संजौली का मस्जिद विवाद?
बता दें कि, संजौली की इस पांच मंजिला मस्जिद को लेकर साल 2024 से ही विवाद चल रहा है और पिछले साल 31 अगस्त 2024 को शिमला के मल्यााणा गांव में भी इस मस्जिद को लेकर दो गुट आपस में भीड़ गए थे, क्योंकि एक मामले में वांछित आरोपी मस्जिद के अंदर छुपा हुआ था, जिसे बाहर निकालने के लिए जैसे ही हिंदू पक्ष के लोग आगे आए तो मुसिलम पक्ष के लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था। बता दें कि, देवभूमि संघर्ष समिति ने इस मस्जिद के अवैध होने का दावा किया है और कहा है कि, साल 1997-98 और साल 2002-03 के जमाबंदी रिकॉर्ड में मस्जिद को लेकर कोई दस्तोवज मौजूद ही नहीं है।
इस मस्जिद को साल 1947 में बनाया गया था, जिसका नवनिर्माण साल 2010 में किया गया था, लेकिन वक्फ बोर्ड ने भी इस मस्जिद के निर्माण के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। देवभूमि संघर्ष समिति ने दावा किया है कि, शिमल नगर निगम ने इस मंस्जिद के गिराने को लेकर अब तक करीब 35 बार आदेश जारी किए है, लेकिन इस पर एक बार भी कार्रवाई नहीं हो सकी और मामला ज्यादा गहराता चला गया। इस विवाद को लेकर 11 सितंबर को शिमला मे एक उग्र प्रदर्शन भी हो चुका है, जिसमें पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर वाटन कैनन का इस्तेमाल किया था और उनको मौके से खदेड़ा था।

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