केआईयूजी : किसान की बेटी ने राजस्थान को दिलाया पहला पदक, साइक्लिंग में राजस्थान के मानव ने स्वर्ण, पूजा ने जीता रजत
संघर्ष से पदक तक पहुंची है पूजा
जयपुर में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स साइक्लिंग में राजस्थान ने एक स्वर्ण और एक रजत पदक जीते। महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी के मानव सारडा ने पुरुष 40 किमी टाइम ट्रायल में स्वर्ण और पूजा बिश्नोई ने महिला 30 किमी टाइम ट्रायल में रजत पदक जीता। पूजा ने संघर्ष और प्रशिक्षण से राजस्थान को पहला महिला पदक दिलाया।
जयपुर। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की साइक्गिंल प्रतियोगिता में राजस्थान ने एक स्वर्ण और एक रजत पदक जीता। महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी बीकानेर के मानव सारडा ने पुरुषों की 40 किलोमीटर इंडिविजुअल टाइम ट्रायल में 52:12.947 समय के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस स्पर्धा का रजत पदक पंजाब यूनिवर्सिटी के जय डोगरा (53:14.315) ने और कांस्य लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी पंजाब के गौरांग सिंह (54:32.813) ने जीता। साइक्लिंग में राजस्थान को पहला पदक महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी की ही पूजा बिश्नोई ने दिलाया। राजस्थान की 22 वर्षीय साइकिलिस्ट पूजा बिश्नोई ने अपने दमदार प्रदर्शन से सबको चौंका दिया। बीकानेर के एक छोटे से गांव की किसान परिवार से आने वाली पूजा मुकाबले में संघर्ष और संकल्प की मिसाल बनकर उभरीं। 30 किलोमीटर की महिला एलीट इंडिविजुअल टाइम ट्रायल में 46:52.003 समय के साथ रजत पदक अपने नाम किया।
स्कॉलरशिप से मिली राह :
पूजा को अस्मिता स्कॉलरशिप ने नई राह दिखाई, जिसके तहत उन्हें करीब दो लाख रुपये मिले। उन्होंने उपकरण खरीदे और प्रशिक्षण बेहतर किया। पूजा बताती हैं, गरीब परिवार की लड़कियों के लिए 10 हजार रुपये भी बहुत होते हैं। अस्मिता और केआईयूजी ने वे रास्ते खोले हैं जो पहले हमारे लिए थे ही नहीं।
तूफानी अन्दाज में की शुरुआत :
रेस की शुरूआत तूफानी अंदाज में हुई और पहले ही 10 किलोमीटर के लैप में पूजा ने बढ़त हासिल कर सबको हैरान कर दिया। लेकिन गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर की अंतरराष्ट्रीय साइकिलिस्ट मीनाक्षी रोहिल्ला, जो नेशनल सेंटर आॅफ एक्सीलेंस पटियाला की प्रशिक्षु हैं और एशिया कप व एशियन चैम्पियनशिप की पदक विजेता भी, दूसरे और तीसरे लैप में तेज रफ्तार पकड़ते हुए आगे निकल गईं। मीनाक्षी ने 45:31.907 समय के साथ स्वर्ण जीता, जबकि पूजा ने 46:52.003 समय के साथ शानदार रजत पदक अपने नाम किया।
संघर्ष से पदक तक पहुंची है पूजा :
रेस के बाद पूजा ने कहा कि पहले लैप के बाद मैं लीड में थी, लेकिन मीनाक्षी दीदी का अनुभव बहुत है। दो दिन पहले ही मैंने 100 किमी की रेस की थी, इसलिए थोड़ी थकान थी। फिर भी राजस्थान को खेलों का पहला पदक दिलाकर गर्व महसूस हो रहा है। 16 वर्ष की उम्र में अपने साइकिलिस्ट बड़े भाई से प्रेरित होकर खेल में आई पूजा के शुरूआती दिन संघर्षपूर्ण रहे। न पैसे, न उपकरण, और न ही आत्मविश्वास। पर परिवार और रिश्तेदारों के सहारे उन्होंने हार नहीं मानी।

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