दिल्ली विस्फोट मामले में 15 लोग गिरफ्तार : अब तक 56 डॉक्टरों से पूछताछ, विश्वविद्यालय से राइफलें, पिस्तौल और गोला-बारूद बरामद
तीन को हिरासत में लिया गया
दिल्ली के लाल किले धमाके से जुड़े जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार और तीन को हिरासत में लिया। अब तक 56 डॉक्टरों से पूछताछ हो चुकी है। फरीदाबाद, सहारनपुर और अनंतनाग से बड़ी मात्रा में हथियार व 3,000 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुए। मुख्य आरोपी डॉ. उमर मोहम्मद की तलाश जारी है; जांच एनआईए को सौंपी गई।
नई दिल्ली। धमाके में जैश-ए-मोहम्मद के लिए कथित तौर पर काम करने वाले एक डॉक्टर आतंकी मॉड्यूल के सिलसिले में कुल 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन को हिरासत में लिया गया है। यह गिरफ्तारियाँ जम्मू-कश्मीर पुलिस ने की हैं और अब तक कुल 56 डॉक्टरों से पूछताछ की जा चुकी है। इस मॉड्यूल पर शाम 6:52 बजे लाल किले में हुए विस्फोट का आरोप है।
अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि मृतकों के शरीर पर किसी विस्फोटक सामग्री के होने का प्रमाण नहीं मिला, हालांकि जांचकर्ताओं को संदेह है कि विस्फोट में एक संशोधित विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया होगा। इस पूरे प्रकरण की शुरुआत श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाना क्षेत्र में सुरक्षा बलों को धमकी देने वाले एक आपत्तिजनक पोस्टर से हुई। इससे पहले 19 अक्टूबर को धमकी के संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया और जांच शुरू की गई। जाँच के शुरुआती चरण में शोपियाँ से मौलवी इरफ़ान अहमद वाघ और गंदेरबल के वाकुरा से जमीर अहमद की गिरफ़्तारी हुई।
सहारनपुर से 5 नवंबर को डॉक्टर आदिल की गिरफ़्तारी हुई, जिसके बाद सात नवंबर को अनंतनाग अस्पताल से एक एके-47 राइफल और अन्य गोला-बारूद बरामद हुआ। फिर, आठ नवंबर को फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय से और राइफलें, पिस्तौलें और गोला-बारूद बरामद हुए। बाद में हुई पूछताछ में मॉड्यूल के और सदस्यों का पता चला, जिसके परिणामस्वरूप डॉक्टर मुजम्मिल की गिरफ़्तारी हुई और हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा जखीरा से जब्त किया गया। नौ नवंबर को फरीदाबाद के धोज निवासी मद्रासी नाम के एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया। इसके बाद फरीदाबाद के ढेरा कॉलोनी स्थित अल फलाह मस्जिद के इमाम हाफ़िज मोहम्मद इश्तियाक के आवास से 10 नवंबर को 2,563 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुए।
इसके अतिरिक्त छापों में 358 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, डेटोनेटर और टाइमर बरामद किए गए, जिससे विस्फोटकों की कुल मात्रा लगभग 3,000 किलोग्राम हो गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इन अभियानों के दौरान अल फलाह विश्वविद्यालय का कर्मचारी और कथित मॉड्यूल का सदस्य डॉक्टर उमर मोहम्मद भूमिगत हो गया। राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले के पास ही 10 नवंबर की शाम को दिल दहलाने वाला विस्फोट हुआ, जिसके बाद दिल्ली पुलिस, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी), राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( एनआईए) और फोरेंसिक टीमों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया और घटनास्थल से डीएनए नमूने, विस्फोटक अवशेष और अन्य साक्ष्य एकत्र किए गए।
लाल किले के विस्फोट स्थल से जांच दल को एक कटा हुआ हाथ मिला है, जिसके बारे में संदेह है कि वह डॉ. उमर मोहम्मद का था, जिस पर आत्मघाती हमलावर होने का आरोप है। इसकी पुष्टि के लिए उसकी माँ के डीएनए नमूनों की जाँच की जा रही है। जांच से संकेत मिला है कि उमर अल फलाह विश्वविद्यालय में छात्रों को कट्टरपंथी बना रहा था। यह विश्वविद्यालय इस मॉड्यूल का संचालन केंद्र था। उमर के पड़ोसी और सहयोगी डॉ. मुजम्मिल शकील को गिरफ्तार कर लिया गया है। विस्फोट में इस्तेमाल की गई कार डॉ. शाहीन शाहिद के नाम पर पंजीकृत थी, जिसे बाद में लखनऊ से गिरफ्तार किया गया। डॉ. शाहीन शाहिद की पहचान भारत में जैश-ए-मोहम्मद के अभियानों की कमान संभालने वाली महिला के रूप में हुई है। उसने कथित तौर पर लगभग दो साल तक विस्फोटक जमा करने और सहयोगी डॉक्टरों के साथ मिलकर एक बड़े आतंकवादी हमले की साजिश रचने की बात कबूल की है।
पुलिस सूत्रों ने कहा- सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि डॉ. उमर मोहम्मद गाड़ी चला रहा था और विस्फोट में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक फरीदाबाद में जब्त किए गए विस्फोटकों से मेल खाते हैं। अधिकारी अभी भी इस बात की जाँच कर रहे हैं कि विस्फोट पूर्व नियोजित था या भागते समय उमर के घबराने से आकस्मिक विस्फोट हुआ था। जांच से यह भी पता चला कि दिल्ली लाए जाने से पहले गाड़ी 29 अक्टूबर से 10 नवंबर को तक फरीदाबाद के धौज स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में खड़ी थी। मॉड्यूल के वित्तपोषण और व्यापक नेटवर्क की जाँच के लिए 11 नवंबर को मामला औपचारिक रूप से एनआईए को सौंप दिया गया था।

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