गांधी ने आरएसएस को कहा था सर्वसत्तावादी नजरिया रखने वाला सांप्रदायिक संगठन : वल्लभ भाई पटेल ने लगाया था प्रतिबंध, पुस्तक का हवाला देकर बोले जयराम रमेश
प्यारेलाल, गांधीजी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक थे
कांग्रेस ने कहा है कि महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सर्वसत्तावादी द्दष्टिकोण रखने वाला एक सांप्रदायिक संगठन बताया था।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को सर्वसत्तावादी द्दष्टिकोण रखने वाला एक सांप्रदायिक संगठन बताया था और उनके इस कथन के पांच महीने बाद, तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
कांग्रेस महासचिव तथा संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि गांधी जी, आरएसएस को सत्तावादी सांप्रदायिक संगठन कहा करते थे। रमेश ने इसके लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के निजी सचिव रहे प्यारेलाल की सन 1956 में लिखी एक पुस्तक ‘महात्मा गांधी : द लास्ट फेज’ का हवाला भी दिया।
रमेश ने कहा कि इस किताब के दूसरे खंड के पृष्ठ 440 पर प्यारेलाल ने, महात्मा गांधी और उनके एक सहयोगी के बीच हुई बातचीत का उल्लेख किया है। इसमें बापू ने आरएसएस को सर्वसत्तावादी द्दष्टिकोण वाला एक सांप्रदायिक संगठन बताया। यह बातचीत 12 सितंबर 1947 को हुई और इसके पांच महीने के बाद, गृह मंत्री सरदार पटेल ने आरएसएस पर रोक लगा दी थी।
जयराम रमेश ने कहा कि प्यारेलाल, गांधीजी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक थे। वे लगभग तीन दशकों तक गांधीजी के निजी स्टाफ का हिस्सा रहे। रमेश ने कहा कि गांधी जी पर प्यारेलाल की यह पुस्तक अत्यंत महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ मानी जाती है। इस ग्रंथ की लंबी भूमिका तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने लिखी और उपराष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन ने भी इसकी सराहना की। 2 साल बाद इसका दूसरा खंड प्रकाशित हुआ।
गौरतलब है कि सर्वसत्तावादी का सामान्य आशय एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था से है जहां राज्य, किसी एक व्यक्ति, समूह या दल के माध्यम से, लोगों के जीवन के सभी पहलुओं पर अपना पूर्ण नियंत्रण रखता है और विरोध की अनुमति नहीं देता है।

Comment List