कमलम की खेती विकसित कृषि की कुंजी, यह फसल आधुनिक, टिकाऊ खेती का प्रतीक : शिवराज
ड्रैगन फ्रूट को रासायनिक सैनिटाइज़र की आवश्यकता नहीं होती
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को कहा कि ड्रैगन फ्रूट (कमलम) जैसी उच्च आय वाली और कम लागत वाली फसलें ‘विकसित कृषि’ (विकसित कृषि) मॉडल के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं
बेंगलुरु। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को कहा कि ड्रैगन फ्रूट (कमलम) जैसी उच्च आय वाली और कम लागत वाली फसलें ‘विकसित कृषि’ (विकसित कृषि) मॉडल के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करती हैं।
बेंगलुरु ग्रामीण जिले में किसान मुनिराज के खेत में ड्रैगन फ्रूट के पौधों की पंक्तियों के बीच खड़े होकर चौहान ने इस फसल को आधुनिक, टिकाऊ खेती का प्रतीक बताया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि “ड्रैगन फ्रूट एक जैविक, कैक्टस-परिवार का फल है जिसे किसी रासायनिक सैनिटाइज़र की आवश्यकता नहीं होती है और यह गोबर की खाद पर पनपता है। यह प्राकृतिक रूप से बीमारी का प्रतिरोध करता है, इनपुट लागत को कम करता है और काफी आर्थिक लाभ देता है।”
उन्होंने कहा कि किसान इसकी खेती करके पहले वर्ष से ही दो से तीन लाख रुपए कमाना शुरू कर सकते हैं। वहीं, दूसरे वर्ष से कमाई बढ़कर 8-10 लाख रुपए हो जाती है। उन्होंने कहा कि “तीसरे वर्ष तक जब पौधा पूर्ण उत्पादन पर पहुंच जाता है, तो किसान सालाना 6-7 लाख रुपए कमा सकता है। यह उच्च लाभ, कम लागत, स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के चलते भारतीय कृषि का भविष्य है।”
उन्होंने बताया कि ऐसे मॉडल प्रधानमंत्री के 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा,“विकसित भारत के लिए हमें विकसित कृषि और समृद्ध किसानों की आवश्यकता है। कमलम जैसी फसलों में विविधता लाना सिर्फ़ एक विकल्प नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यकता है।”
चौहान ने ड्रैगन फ्रूट की उच्च पोषक सामग्री और जैविक प्रकृति पर प्रकाश डाला और कहा कि “ये फ़सलें तीन गुना फ़ायदे देती हैं। ये रसायन मुक्त हैं, ये मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं और पारंपरिक खेती की तुलना में बेहतर मुनाफ़ा देती हैं, जहाँ वार्षिक बचत अक्सर एक लाख से ज़्यादा नहीं होती।”
देश भर के किसानों से कृषि विविधीकरण को अपनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि “आइए हम सब मिलकर विकसित कृषि की ओर बढ़ें। विकसित भारत की यात्रा मिट्टी से शुरू होती है।”
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