प्रवासी पक्षियों को लुप्त होने से बचाने की बढ़ती चुनौतियां
असर जैव विविधता पर साफ दिखाई पड़ने लगा
दुनिया में वन्य और पालतू प्राणियों की जान बचाना एक बड़ी चुनौती है।
दुनिया में वन्य और पालतू प्राणियों की जान बचाना एक बड़ी चुनौती है। वन्य प्राणियों पर बढ़ते खतरों की वजह से उसका असर जैव विविधता पर साफ दिखाई पड़ने लगा है। जैव विविधता को बनाए रखने में अहम रोल निभाने वाले पक्षियों पर खतरे लगातार बढ़ रहे हैं। पक्षियों की सुरक्षा और उनके संरक्षण के लिए बना कानून भी नाकाम साबित हुआ है। यही वजह है कई प्रवासी पक्षी प्रजातियों पर लुप्त होने का खतरा लगातार मडराता रहता है। जब देश में कोविड 19 की दहशत से लोग परेशान थे, लेकिन प्रवासी मेहमान देश के कई अभ्यारण्यों और तालाबों में प्रवास के लिए पहुंच रहे थे। यह पहली दफा था, जब प्रवासी पक्षियों के लिए हवा और हरीतिमा सबसे अनुकूल मिली। लेकिन इस अनुकूलता का नाजायज फायदा प्रवासी पक्षियों के दुश्मन शिकारियों ने उठाया। लॉक डाउन और आंशिक बंदी के बावजूद प्रवासी पक्षियों का शिकार और व्यापार जारी रहा। सैकड़ों ग्रीष्म कालीन प्रवासी पक्षी लौट कर अपने घर नहीं जा सके। ऐसे में जब आदमी को बचाना मुश्किल हो गया हो, दूसरे प्राणियों की हिफाजत तो भगवान भरोसे ही होनी थी।
अभ्यारण्यों में इस साल और पिछले साल बड़ी तादाद में प्रवासी पक्षी आए, लेकिन उनके शिकार व व्यापार की खबरें भी आती रही हैं। जबकि स्वदेशी पक्षियों और प्रवासी पक्षियों का शिकार करना गैर कानूनी है। गौरतलब है पक्षियों का शिकार होने की वजह से पिछले 35 सालों में पक्षियों की दुर्लभ 23 प्रजातियां लुप्त हो गई हैं, जबकि सौ साल में इसके पहले औसतन एक प्रजाति लुप्त होती थी। कुछ खास तरह के भारतीय पक्षियों का शिकार पिछले 35 सालों में तेज हुआ है। इसी तरह प्रवासी पक्षियों में कॉमन कूट, ब्लैक बिंग्ड स्टिल्ट, नदन फावडे, रूडी शेल्डक, लेसर व्हिस्लिंगडक, वाइड एवोसेट और कैस्पियन मूल भारत में हर साल प्रवास के लिए आते हैं, का शिकार होने की खबरें भी आती रही हैं।
पिछले कुछ वर्षों से जलवायु सम्मेलनों में हिस्सा लेने वाले देशों ने जलवायु परिवर्तन के चलते प्रवासी पक्षियों पर लुप्त होने का मडराते खतरे पर चिंता जाहिर करते रहे हैं, लेकिन इस बाबत ऐसा कदम नही उठाया जा सका कि विश्व स्तर पर पक्षियों के दुश्मनों में दहशत पैदा होती। जाहिर तौर पर प्रवासी व देशी दोनों तरह के पक्षियों को लुप्त होने से बचाना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है। इंटर नेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के अनुसार शिकार और परिस्थितिक प्रणाली के कारण देश में निवास करने वाली 180 पक्षी प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं या खतरे में हैं। प्रवासी और देशी पक्षियों के संरक्षण के लिए और उन्हें स्वतंत्रता देने के लिए कानून बनाए गए हैं, लेकिन उन कानूनों का भ्रष्टाचार की वजह से कड़ाई से पालन नहीं हो पा रहा है। वहीं दूसरी तरफ देश में ऐसे भी लोग हैं, जो प्रवासी और देशी पक्षियों के संरक्षण के लिए अपना जीवन लगाए हुए हैं, लेकिन ऐसे लोग बहुत कम हैं। ज्यादातर मारने वाले हैं, जिलाने वाले अंगुलियों पर हैं।
प्रवासी पक्षी अपनी लम्बी यात्रा से विभिन्न संस्कृतियों और परिवेशों को जोड़ने का कार्य करते हैं। ये पक्षी रेगिस्तान, समुद्र और पहाड़ों को पार करके एक देश से दूसरे देश का सफर करते हैं। पक्षियों की ज्ञात प्रजातियों में 19 फीसदी पक्षी नियमित रूप से प्रवास करते हैं। यदि इनका संरक्षण पूरी तरह से निश्चित नहीं किया गया तो, कुछ ही सालों में बचे प्रवासी और देशी पक्षी हमेशा के लिए लुप्त हो जाएंगे। विश्व प्रसिद्ध संभर झील हो या झारखंड और भरतपुर का प्रसिद्ध केवलानंद अभ्यारण्य में पहले से बहुत कम प्रवासी पक्षी अब आते हैं। वहीं पर डुंगुरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर में पहले से ज्यादा प्रवासी पक्षी आते हैं। इसी तरह राजस्थान के छोटे से गांव मेनार में ग्रामीण पर्यावरण संरक्षण की एक नई इबारत लिखने लगे हैं। ऐसी ही जीव रक्षा की भावना देश के दूसरे हिस्सों में में हो जाए, तो पक्षियों की सुरक्षा और संरक्षण की चिंता ही खत्म हो जाएगी। भारत में पक्षियों की 1200 से ज्यादा प्रजातियों तथा उपप्रजातियों के लगभग 2100 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। इनमें से लगभग 350 प्रजातियां प्रवासी हैं, जो देश के अलग-अलग क्षेत्रों में शीत और ग्रीष्म ऋतु में आते हैं।
कुछ प्रजातियां जैसे पाइड क्रेस्टेड, चातक भारत में बरसात के समय प्रवास पर आते हैं। स्थानीय स्तर के प्रवासी पक्षी भी बड़ी संख्या में देश के एक कोने से दूसरे कोने का सफर कर प्रवासी बनते हैं। बिहार में 35 से 40 प्रतिशत प्रजातियां प्रवासी पक्षियों की हैं। इनकी सुरक्षा और संरक्षण करना एक बड़ी चुनौती है। जानकारी के मुताबिक यूं तो देश में, जहां भी प्रवासी पक्षी प्रवास करते हैं, वहां उनका शिकार होना आम बात है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में इन प्रवासियों का शिकार तेजी से हो रहा है। इसलिए ऐसा कानून होना चाहिए की पक्षियों के दुश्मनों में दहशत पैदा हो, जिससे पक्षियों को बचाया जा सके। आज भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में प्रवासी पक्षियों का संरक्षण करना कई स्तरों पर चुनौती बनी हुई है।
भारत एक गर्म जलवायु का क्षेत्र है। इसलिए यहां उन क्षेत्रों के पक्षी प्रवास में लाखों की संख्या में आते हैं, जहां जलवायु अत्यंत ठंठी है, लेकिन जलवायु परिवर्तन की समस्या हमारे यहां भी बड़ी समस्या बनती जा रही है। इसका असर उन प्रवासी पक्षियों पर देखा जा रहा है, जो अनुकूलता के लिए यहां चार से छ महीने रहते हैं। भारत में मांसाहार जैसे-जैसे तेजी से बढ़ रहा है पक्षियों का शिकार और सुरक्षा करना चुनौती बन गए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रवासी पक्षियों को सरकारी इंतजाम और कानून के जरिए सुरक्षा दी जा सकती है।
-अखिलेश आर्येन्दु
यह लेखक के अपने विचार हैं।

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