जानें राज काज में क्या है खास 

रंग बदलने का नहीं दिखा असर 

जानें राज काज में क्या है खास 

वैसे तो सभी लोगों को नवें महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है, लेकिन इस बार भगवा वाले भाई लोगों को कुछ ज्यादा ही उत्सुकता है।

इंतजार नवें महीने का :

वैसे तो सभी लोगों को नवें महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है, लेकिन इस बार भगवा वाले भाई लोगों को कुछ ज्यादा ही उत्सुकता है। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने के साथ ही इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के दफ्तर में भी इस महीने को लेकर चर्चा जोरों पर है। भारती भवन में भी इसे लेकर बैठकों में चिंतन-मंथन जारी है। राज का काज करने वाले भी लंच केबिनों में बतियाते हैं कि इस साल नवें महीने में बड़ा बदलाव होने की प्रबल संभावना है। चर्चा है कि कन्या राशि वाले गुजराती मानुष इस महीने संन्यास आश्रम से वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश करेंगे, लेकिन चुपचाप नहीं। भाई साहबों की मानें तो इस नवें महीने में नोटबंदी की तर्ज पर रात आठ बजे चौंकाने वाला ऐलान होगा, जिसका दुनियाभर में असर दिखाई देगा। अब इस इंतजार को समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाडी है।

अब नजरें दिल्ली की तरफ :

सूबे में भगवा वाले भाई लोगों की नजरें एक बार फिर दिल्ली की तरफ टिकी हुई हैं। नजरें टिकाने का कारण भी छोटा-मोटा नहीं, बल्कि न्यू नेशनल प्रेसीडेंट हैं, जो अब जल्द ही मिलने वाले हैं। इसके लिए दौड़ में पहले कइयों के नाम आए हैं, मगर सब ठण्डे बस्ते में चले गए। अब जो पिछले दिनों नए नाम आए हैं, उसको लेकर मरू प्रदेश के भाई काफी उत्साहित हैं। बीकाणा और मत्स्य इलाके वालों के तो पैर जमीन पर नहीं टिक रहे। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर चर्चा है कि अगर गुजराती बंधुओं की जोड़ी ने अपनी चलाई, तो मेष राशि वाले भाई साहब की लॉटरी लग सकती है। जिनकी आड़ में गले की फांस बने बाबा साहब वाले मसले को ठण्डा करने में कोई जोर नहीं लगाना पड़ेगा, चूंकि भाई साहब को साइकिल से लेकर कलक्टरी चलाने का तजुर्बा जो है।

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रंग बदलने का नहीं दिखा असर :

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सूबे की सबसे बड़ी पंचायत के सरपंच साहब ने शांति के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। बड़ी उम्मीदों के साथ पंचायत का रंग तक बदलवाया था, पर मामला उलटा हो गया। और तो और जिन अपनों से ज्यादा उम्मीद थी, वो ही सामने वालों का रोल निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। वो ही उछलकूद करने में आगे हैं। आसन के बाईं तरफ बैठने वाले भाई लोग अपना काम होते  देख मुंह बंद कर चटकारे लेते हैं। अब भाई साहब को कौन समझाए कि दिल्ली वालों की नजरों में आने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते हैं। जिसमें बात बात में उछलना भी शामिल है। राज का काज करने वालों की नहीं मानो तो आजमा कर देख लो। आसन की रूलिंग से सबसे पहले पेट में दर्द उन्हीं लोगों के होता है।

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एक जुमला यह भी :

इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने पर इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि पंडितों के फेर को लेकर है। पार्टी में जब-जब भूचाल आता है, तो पंडित भी सक्रिय हो जाते हैं। नया काम छेड़ने से पहले पंडित पंचांग खोल कर बिन मांगे सलाह देने में कोई कंजूसी नहीं करते। पीसीसी के ठिकाने की कुर्सी भी पंडितों के फेर में है। जब से सूबे में पगफेरे के लिए जुबान खुली है, तभी से पंडितों में होड़ मची है। मोटा पेट और सांवले रंग वाले एक पंडित जी ने 31 अगस्त और दूसरे ने दो नवम्बर का मुहूर्त शुभ बताया है। दोनों ने चौघड़िया और दिशा भी अलग-अलग बताई है। अब फैसला तो पंचों के हाथों में हैं, मगर पंडितों ने अपनी चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसी सावन के महीने में छह दशक पार करने वाले तीसरे पंडित जी तो दिल्ली की आड़ में मैसेज देने के लिए कमर कसे बैठे हैं।

-एल. एल. शर्मा 
(यह लेखक के अपने विचार हैं।)

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