कीचड़ और पानी बना स्कूल की डगर, शिक्षा मंत्री के लिए समस्या बनी बड़ी चुनौती

8वीं के बाद बच्चे पढ़ने जाते है रिछन्दा गांव

कीचड़ और पानी बना स्कूल की डगर, शिक्षा मंत्री के लिए समस्या बनी बड़ी चुनौती

ग्रामीणों को जरूरी काम के लिए और बच्चों को पढ़ने के लिए इस कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। जिससे हर समय हादसा होने का खतरा बना रहता है।

अटरू।  अटरू क्षेत्र के किरपुरिया गांव से रिछंदा गांव तक का रास्ता बदहाल है। यहां आज तक कोई सड़क या सीसी रोड़ नहीं बना है। जिससे ग्रामीणों को ग्राम पंचायत के कामों के लिए और बच्चों को आठवीं के बाद पढ़ने के लिए रिंछदा और आटोन गांव में जाना पड़ता है। किरपुरिया से रिछंदा की दूरी 3 किलोमीटर है लेकिन यह पूरा रास्ता कीचड़ से सना हुआ रहता है। जिससे ग्रामीणों को जरूरी काम के लिए और बच्चों को पढ़ने के लिए इस कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। जिससे हर समय हादसा होने का खतरा बना रहता है। ऐसी स्थिति में बच्चों के परिजन भी उन्हे विद्यालय भेजने में डरते है। वहीं लड़कियों के लिए तो स्थिति और भी विपरित है। परिजन आठवीं के बाद तो लड़कियों की पढाई ही छुडवा देते है। जिससे लड़कियों का भविष्य पूरी तरह से चौपट हो जाता है। वहंी लड़कियां गांव में ही घर के कार्य तक सीमित हो जाती है। जिससे उनकी शिक्षा आगे नहीं चल पाती। 

 शिक्षा मंत्री के लिए समस्या बनी बड़ी चुनौती
प्रदेश के शिक्षा मंत्री ग्रामीण शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन अटरू क्षेत्र के किरपुरिया गांव की स्थिति इसके विपरीत है। यहां के बच्चों को 8वीं के बाद अध्ययन के लिए 9 किलोमीटर कीचड़ भरे सड़क मार्ग से रिछन्दा जाना पड़ता है, जो कि उनके लिए एक बड़ी चुनौती है। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों को पढ़ने के लिए जाना पड़ता है, लेकिन सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि उन्हें कीचड़ में सने हुए रास्ते से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा, कुछ बच्चों को नाव के जरिए परवन नदी पार करके आटोन जाना पड़ता है, जो कि उनके लिए जान जोखिम में डालने जैसा है।

आठवीं के बाद लड़कियों की छुड़ा दी जाती है पढ़ाई 
कीचड़ और पानी के मार्ग से विद्यालय जाने में हो रही समस्या को देखते हुए परिजन लड़कियों को तो विद्यालय भेजने में भी कतराने लगे है। कीचड़ और नदी पार करके विद्यालय भेजने में परिजनों को डर लगने लगा है कि उनके बच्चों के साथ कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाए जिससे कि बच्चों को जान से ही हाथ धोना पड़ जाए। इस डर के बारे परिजन केवल लड़कों को ही विद्यालय भेजते है लेकिन डर से सहमे परिजन लड़कियों की पढ़ाई आठवीं के बाद छुडा देते है। जिससे लड़कियों का तो मानो भविष्य ही अंधकार में चला जाता है। 

कीचड़ से सने रास्ते में हादसे का अंदेशा 
वहीं किरपुरिया से 3  किलोमीटर रिछंदा गांव में विद्यालय जाने वाला रास्ता पूरी तरह से कीचड़ से सना हुआ है। जिसमें कई बार बच्चे विद्यालय जाते समय फिसलकर चोटिल हो जाते है। यहां अभी तक सड़क या सीसी रोड नहीं बना है। जिससे विद्यालय जाने में बच्चों और राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। किरपुरियां के ग्रामीणों ने विद्यालय तक सड़क या फिर सीसी रोड़ बनाने की मांग की है। 

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क्या सरकार सुनेगी ग्रामीणों की मांग ? 
अब देखना यह है कि सरकार ग्रामीणों की मांग पर कितनी गंभीरता से विचार करती है और इस क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए क्या कदम उठाती है। फिलहाल, किरपुरिया के बच्चों और ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करेगी और उन्हें बेहतर शिक्षा के अवसर प्रदान करेगी।

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ग्रामीणों की मांग : बच्चों को मिले सुरक्षित और सुविधाजनक शिक्षा ग्रामीणों ने सूबे की सरकार से मांग की है कि शैक्षणिक ढांचे को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह इस क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति में सुधार के लिए विशेष ध्यान दे और बच्चों को सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से पढ़ाई करने के अवसर प्रदान करे।

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हमारे यहां पर बच्चों को आठवीं कक्षा पास करने के बाद सड़क नहीं होने के कारण बच्चों को नाव में बैठकर पास के गांव आटौन  जाना पड़ता है। किरपुरिया से रिछंदा तक जाने के लिए सड़क या सीसी नहीं होने के कारण कीचड़ में होकर जाना पड़ता है। 
 - छितरलाल, ग्रामीण, किरपुरिया  

 हमारे गांव किरपुरिया से 3  किलोमीटर रिछंदा गांव में ग्राम पंचायत के कामों के लिए ग्रामीणों को व बच्चों को आठवीं के बाद पढ़ने के लिए रिछंदा व आटौन दोनों गांव में बच्चों को जाना पड़ता है।  जिसमें अभी तक सड़क या सीसी रोड नहीं है। हमें कीचड़ में होकर रिछंदा गांव में जाना पड़ता है तो बच्चों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लड़कियों की तो आठवीं के बाद ही पढ़ाई छुड़ा दी जाती है। 
- बृजराज, ग्रामीण, किरपुरिया 

मैं पीडब्ल्यूडी से इसकी जानकारी लेकर प्रस्ताव बनाकर भिजवा दूंगा। 
- ओमप्रकाश चंदैलिया, उपखंड अधिकारी 

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