सर्दी से बदल गई घरों की डाइट, प्लान में शामिल बाजरे की खिचड़ी, तिल के लड्डू
यह शरीर को ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।
पाचन को बढ़ावा देने के साथ ही इसमें आवश्यक विटामिन और खनिजों की भरमार होती है।
जयपुर। सर्दी के तेवर जैसे-जैसे तीखे होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे ही घरों में ‘डाइट प्लान’ भी बदलने लगा है। लोगों ने अपने ‘ब्रेक फास्ट, लंच और डिनर’ के मेन्यू में अब बाजरे की खिचड़ी, गर्म राबड़ी, तिल के लड्डू, गजक और गुड़ को शामिल किया है। ग्रामीण अंचल में ही नहीं, बल्कि गुलाबी नगरी में भी लोग भोजन की थाली में गुड़ आवश्यक रूप से रखने लगे हैं। बाजरे की खिचड़ी, गर्म राबड़ी, बाजरे की रोटी की गर्म तासीर होने से शादी-समारोह में इसका उपयोग बढ़ा है। इसकी उपयोगिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बाजरे की रोटी, खिचड़ी-गुड़ और घी के स्टॉल पर अपेक्षाकृत अधिक भीड़ देखी जाती है। आम घरों में बाजरे की रोटी और गुड़ का अपना ही स्वाद हैं। बाजरे का चूरमा भी बड़े चाव से बनाए जाने लगा है।
तिल के लड्डू और गजक का महत्व बढ़ा
आम घरों में तिल और गुड़ को मिलाकर लड्डू बनने लगे हैं। तिल के तेल का उपयोग भी बढ़ा है। बाजरे की रोटी को तिल के तेल से चुपड़कर भी लोग खाने लगे हैं। बाजरे की खिचड़ी में भी कई जगह तिल का तेल, गुड़, घी मिलाकर चाव से खाने लगे हैं।
तिल और गुड़ के लड्डू का आयुर्वेदिक महत्व
तिल और गुड़ की तासीर गर्म होती है, इसके सेवन से शरीर गर्म बना रहता है। गुड़ में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल्स होते हैं। यह शरीर को ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। तिल और गुड़ में कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। पाचन और तनाव में मदद। मानसिक दुर्बलता दूर होती है। घुटने का दर्द भी कम होता है।
बाजरे का महत्व
यह कफ और खासी के लिए आरामदायक होता है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। पाचन को बढ़ावा देने के साथ ही इसमें आवश्यक विटामिन और खनिजों की भरमार होती है। पोटेशियम, विटामिन ए, विटामिन बी, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है।
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