शहर चलो अभियान में बड़ी राहत : पुरानी आबादी को पट्टा मिलने की राह हुई आसान, सात दिन में दर्ज होंगी आपत्तियां

बाहरी व आंतरिक विकास शुल्क भी उसी अनुसार वसूले

शहर चलो अभियान में बड़ी राहत : पुरानी आबादी को पट्टा मिलने की राह हुई आसान, सात दिन में दर्ज होंगी आपत्तियां

शहर चलो अभियान के तहत पुराने शहरी क्षेत्रों में भूमिहीनों को बड़ी राहत। भूखंडों के पट्टे देने की प्रक्रिया सरल। अब स्वामित्व दस्तावेज नहीं, कब्जे के प्रमाण पर भरोसा किया जाएगा। आपत्तियों की अवधि 7 दिन तय, और 24 जुलाई 2025 से पहले स्वीकृत योजनाओं पर पुरानी टाउनशिप दरें लागू रहेंगी।

जयपुर। प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार ने ‘शहर चलो अभियान’ के अंतर्गत आमजन को बड़ी राहत दी है। अब पुराने शहरी क्षेत्रों में बसे लोगों को भूखंड का मालिकाना हक पाने में आसानी होगी। स्वायत्त शासन विभाग ने इस संबंध में सभी निकायों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने बताया कि 300 वर्ग मीटर तक के भूखंडों के पट्टे जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। अब पट्टा लेने के लिए भूखंड के स्वामित्व के दस्तावेज देना अनिवार्य नहीं होगा। इसके स्थान पर आवेदक को कब्जे के प्रमाण देने होंगे। सामान्य वर्ग के आवेदकों को 1 जनवरी 1990 से पहले और अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के आवेदकों को 1 जनवरी 1996 से पहले के कब्जे के दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

इसके अलावा, पट्टों, नामांतरण और उपविभाजन जैसे मामलों में आपत्तियां दर्ज कराने की अवधि अब सात दिन तय की गई है। पहले कई निकाय 15 दिन का समय दे रहे थे, जिस पर विभाग ने स्पष्टीकरण जारी किया है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि 24 जुलाई 2025 से पहले स्वीकृत योजनाओं पर पुरानी टाउनशिप नीति की दरें ही लागू होंगी, जिनमें बाहरी व आंतरिक विकास शुल्क भी उसी अनुसार वसूले जाएंगे।

मुख्य बिंदु

- आपत्ति अवधि घटाकर 7 दिन की गई।

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- 300 वर्ग मीटर तक के भूखंडों के लिए सरल पट्टा प्रक्रिया।

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- स्वामित्व दस्तावेजों के बजाय कब्जे के प्रमाण पर्याप्त।

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- पुरानी टाउनशिप नीति 24 जुलाई 2025 से पहले स्वीकृत योजनाओं पर लागू।

- SC/ST वर्ग को 1 जनवरी 1996 से पहले के कब्जे के दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

फायदा : पुरानी आबादी क्षेत्र में रहने वाले हजारों परिवारों को अब अपने भूखंड का कानूनी मालिकाना हक आसानी से मिल सकेगा, जिससे लंबे समय से अटके पट्टा प्रकरणों का समाधान होगा।

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