बगावत को रोकने में सफल रही भाजपा
जीत के लिए काम करने में जुटने के लिए भी तैयार किया
सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने खुद उन्हें मनाने की कमान संभाली। जानकारी के अनुसार सीएम ने अधिकांश से सीधी बातचीत की।
जयपुर। भाजपा ने राजस्थान में सात विधानसभा सीटों के उपचुनावों में बगावत के सुरो को रोकने में कामयाब रही है। भाजपा ने जब इन सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए थे तो मुख्य दावेदारों ने बागी तेवर दिखाए थे। लेकिन भाजपा ने प्रत्याशी घोषणा के साथ ही डैमेज कन्ट्रोल करने और बगावत के सुरों को दबाने का काम शुरू कर दिया।
सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने खुद उन्हें मनाने की कमान संभाली। जानकारी के अनुसार सीएम ने अधिकांश से सीधी बातचीत की। उन्हें ना केवल मनाया, बल्कि भाजपा के तय हुए चेहरों के समर्थन और जीत के लिए काम करने में जुटने के लिए भी तैयार किया।
बबलू चौधरी: झुंझुनूं में पिछली विधानसभा चुनावों के दौरान वे भाजपा के प्रत्याशी थे, लेकिन चुनाव हार गए थे। उनकी जगह उपचुनावों में भाजपा ने तब चुनावों में निर्दलीय मैदान में कूदे राजेन्द्र भांबू को टिकट दिया। भांबू ने निर्दलीय मैदान में रहते 42 हजार से अधिक वोट लिए थे। ऐसे में उनकी व्यक्तिगत वोटों की ताकत का फायदा उठाकर भाजपा ने जीत का रास्ता बनाने के लिए उन्हें ही टिकट दे दिया। इसके चलते बबलू विरोध में आ गए। उन्होंने 23 अक्टूबर को नामांकन भरने तक की घोषणा कर दी थी। सीएम भजनलाल ने वहां उन्हें मनाने के लिए दो मंत्री अविनाश गहलोत और सुमित गोदारा को भेजा। उन्होंने दो दिन वहीं डेरा डाला। बबूल को मना लिया गया। सीएम भजनलाल ने भी उनसे बात कर राजी किया।
विजय बैंसला: देवली-उनियारा सीट पर विधानसभा चुनावों में विजय बैंसला भाजपा के प्रत्याशी थे, लेकिन वे तब कांग्रेस के हरीश मीणा से चुनाव हार गए थे। बैंसला ने उपचुनावों में भी मजबूत दावेदारी की थी, लेकिन भाजपा के पूर्व विधायक राजेन्द्र गुर्जर को गुर्जर बाहुल्य इस क्षेत्र में सबसे फिट उम्मीदवार मानते हुए टिकट दे दिया। बैंसला दो दिन देवली में रहे। अपनी ताकत भी दिखाई। कार्यकर्ताओं को एकत्रित किया, लेकिन सीएम भजनलाल और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने उनसे सीधी बात की। आखिरकार वे मान गए। नामांकन नहीं भरा। हालांकि वे राजेन्द्र गुर्जर के समर्थन में चुनाव प्रचार करेंगे, यह तय नहीं है, लेकिन मैदान से हटकर उन्होंने राजेन्द्र गुर्जर का एक अवरोध जरूर कम किया है।
जय आहूजा: रामगढ़ विधानसभा सीट से विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी थे, लेकिन यहां दिवंगत कांग्रेस के प्रत्याशी जुबैर खान जीतकर विधायक बन गए। आहूजा तीसरे नंबर पर रहे थे। यहां दूसरे नंबर पर सुखवंत सिंह रहे। जिन्होंने करीब 70 हजार वोट लिए थे। भाजपा ने जीत का रास्ता बनाने के लिए इस बार सुखवंत पर दाव खेलते हुए टिकट दिया। आहूजा विरोध में आ गए। उन्होंने अपने समर्थकों को एकत्रित कर सभा भी की। सीएम भजनलाल ने यहां दो मंत्रियों जवाहर सिंह बेढ़म और गौतम कुमार दक को उन्हें समझाने भेजा। उन्होंने उन्हें मना लिया। सीएम भजनलाल से भी आहूजा की बात हुई। आहूजा ने बागी होकर नामांकन नहीं भरा। अब वे सुखवंत के पक्ष में चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं।
नरेन्द्र मीणा: सलूम्बर में दिवंगत भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांति देवी मीणा को प्रत्याशी बनाया है ताकि सहानुभुति की लहर पर सवार होकर भाजपा जीत तय कर सके। लेकिन यहां जमीनी स्तर पर भाजपा के लिए काम कर रहे नरेन्द्र मीणा बगावत पर उतर आए। सीएम ने उन्हें मनाने के लिए चित्तौड़गढ़ के विधायक श्रीचंद कृपलानी और वल्लभनगर विधायक उदयलाल डांगी को भेजा। वे दोनों उन्हें चॉर्टर प्लेन से जयपुर सीएम से मिलवाने ले आए। सीएम ने उन्हें राजी कर लिया। अब वे शांति देवी की जीत के लिए प्रचार कर रहे हैं।
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