कोख में बेटियों को बचाने की मुहिम : केन्द्र सरकार ने 1994 में पीसीपीएनडीटी एक्ट बनाया, गर्भवतियों का साथ मिला तो 180 गिरोह पकड़े
पड़ोसी राज्य गुजरात-हरियाणा में भी 51 डॉक्टरों सहित दलालों की गैंग को पकड़ा
राजस्थान ही नहीं टीम ने पडौसी राज्यों खासकर गुजरात, हरियाणा में पनपे 51 ऐसी गैंगों के नेटवर्क को ना केवल खत्म किया है, बल्कि इस अमानवीय कार्य में लगे अपराधियों को जेल की हवा खिलाई।
जयपुर। कोख में बेटियों को बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने 1994 में पीसीपीएनडीटी एक्ट बनाया, जिसमें गर्भवती महिला की सोनोग्राफी कर लिंग जांचने को कानून अवैध घोषित किया गया था। लेकिन प्रदेश में वर्ष 2000 के बाद यह मुहिम रफ्तार से चली। तब से लेकर अब तक चिकित्सा विभाग की पीबीआई यानी पीसीपीएनडीटी ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन टीम ने 180 डिकॉय ऑपरेशन कर अनगिनत जन्मी बेटियों को बचाने के लिए लिंग जांचने में लिप्त डॉक्टरों और उनके दलालों के गिरोह को पकड़ा है। ऐसे 24 डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन निलंबित कर उनकी डॉक्टरी छीनी गई। कानून के जरिए 157 मामलों में दोष साबित कर कोर्ट से सजा दिलाई गई। इनमें से कई मामले उच्च कोर्ट में विचाराधीन हैं। राजस्थान ही नहीं टीम ने पडौसी राज्यों खासकर गुजरात, हरियाणा में पनपे 51 ऐसी गैंगों के नेटवर्क को ना केवल खत्म किया है, बल्कि इस अमानवीय कार्य में लगे अपराधियों को जेल की हवा खिलाई।
सरकार ने लिंग जांच के नेटवर्क को तोड़ने के लिए आमजन को साथ जोड़ने को मुखबिर योजना भी चला रखी है। ऐसी गैंग की सूचना देने वाले 153, ऑपरेशन में शामिल 139 गर्भवती महिलाओं और 127 सहयोगियों को अब तक 1.20 करोड़ से अधिक प्रोत्साहन राशि बांटी जा चुकी है। इसमें से 45.90 लाख रुपए तो सहयोगी गर्भवती महिलाओं को दिए हैं।
बेटियां बचीं तो लिंगानुपात 916 से 937 हुआ
बेटियों को कोख में कत्ल होने से बचाने की मुहिम भी लिंगानुपात बढ़ने में बड़ा रोल है। वर्ष 1991 में राजस्थान में 1 हजार लड़कों पर 916 बेटियां थी। अंतिम लिंगानुपात वर्ष 2023-24 गणना अनुसार यह अब 937 हो चुका है।
डिजिटल मॉनिटरिंग, एसीपी सहित पुलिस की खास टीम लगी
सोनोग्राफी मशीन पर जीपीएस-ट्रेकर से नजर
सोनोग्राफी मशीनों से कोख में लिंग का पता लगाया जाता है। ऐसे में 2012 के बाद कुल 5068 सोनोग्राफी मशीनों पर जीपीएस, एक्टिव ट्रेकर लगाए। हर जांच रिकॉर्ड होती है। अवैध जांच का तुरंत पता लगता है। जांच में गड़बड़ी पर 229 मशीनें निलंबित, 521 का लाइसेंस निरस्त किया गया। 538 को तो सीज ही कर दिया गया।
अलग थाना, एसीपी सहित पुलिस तैनात
चिकित्सा विभाग में इसके लिए अलग से पीबीआई थाना है, जिसमें एसीपी स्तर का पुलिस अफसर और पुलिस कर्मी शामिल हैं। ऑपरेशन को विभागीय टीम के साथ यहीं अंजाम तक पहुंचाते हैं। मोबाइल नंबर 9799997795 पर सूचना मिलते ही टीम सक्रिय हो जाती है और ऑपरेशन में जुटती है।

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