साइकिल चलाना, एक्टिंग करना सीखा जा सकता है, लेकिन कविताएं सीखी नहीं जा सकती : जगदीश सोलंकी

मंच पर कुछ ना कुछ नया सुनाने के लिए लिखना पड़ता है

साइकिल चलाना, एक्टिंग करना सीखा जा सकता है, लेकिन कविताएं सीखी नहीं जा सकती : जगदीश सोलंकी

कविताएं कल भी हो रही थीं और ये आज भी हो रही हैं।

जयपुर। कविताएं कल भी हो रही थीं और ये आज भी हो रही हैं। देश और विदेशों में हजारों की संख्या में कवि सम्मेलन हो रहे हैं। कहा जाए तो गली-मौहल्लों में होने वाले ये आयोजन अब बड़ी-बड़ी जगहों पर आयोजित हो रहे हैं। खासकर हास्य कवियों को खूब पसंद किया जा रहा है। इस बीच कई बार आयोजकों को ये पता नहीं होता कि अच्छे कवि कौन हैं। वे जल्दबाजी में इसका चयन नहीं कर पाते। ये कहना है कवि जगदीश सोलंकी का। उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन जैसे बड़े आयोजनों के लिए कवियों का चयन महत्वपूर्ण होता है। ताकि श्रोता भी अच्छी कविताओं से मुखातिब हो सकें। 

जिनमें ज्ञान की कमी, वे कवि नहीं :

कवि जगदीश सोलंकी का कहना था कि बड़े-बड़े मंचों पर कवि सम्मेलन हो रहे हैं। मंच के सामने हजारों की संख्या में श्रोता होते हैं, जो कवियों की कविताओं को सुनते हैं। कई बार ऐसे कवि भी आ जाते हैं, जिनमें ज्ञान की कमी होती है। असल में वे कवि नहीं होते हैं। जिस तरह साइकिल चलाना, एक्टिंग करना, कार चलाना तो सीखी जा सकती है, लेकिन कविताएं सीखीं नहीं जाती, बल्कि उन्हें लिखना पड़ता है। इसके लिए भाव अंदर से आते हैं। इसके लिए हर बार कुछ नया सुनाने के लिए सोचना और लिखना पड़ता है। 

सोशल मीडिया का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव :

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सोलंकी का कहना था कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है। अपनों के बीच दूरियां बढ़ा दी है। पहले परिवार के लोग साथ मिलकर कवि सम्मेलनों में कवियों को सुनने जाया करते थे, लेकिन जब से सोशल मीडिया का जमाना आया है, तब से लोग सम्मेलनों में जाने की बजाया घर के एक कमरे में मोबाइल फोन के जरिए इन्हें देखने लगे हैं। वहीं, सकारात्मक प्रभाव की बात करें तो कवियों को अपनी बात देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए एक प्लेटफार्म मिला है, जहां से वे कम समय में हजारों लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।  ऐसे में जिन्हें सोशल मीडिया का उपयोग नहीं आता वे पीछे रह गए हैं, वहीं जिन्हें इनका उपयोग आता है, वे बहुत आगे निकल गए हैं। 

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बड़े स्तर पर हो रहे हैं कवि सम्मेलन :

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कवि जगदीश सोलंकी का कहना है कि पहले की अपेक्षा अब कवि सम्मेलन बड़े स्तर पर होने लगे हैं। इनके आयोजनों का दायरा भी बढ़ा है। यहां तक कि विदेशों में भी कवि सम्मेलनों की अधिक मांग होने लगी है। वहां भी बड़े स्तर पर इनके आयोजन हो रहे हैं।

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