ऑडिट समितियों की हर तीन माह में बैठकें जरूरी, आपत्तियों का हो सकेगा निस्तारण

वित्त विभाग ने संबंधित विभागों को नियमित बैठकों के लिए परिपत्र जारी किए

ऑडिट समितियों की हर तीन माह में बैठकें जरूरी, आपत्तियों का हो सकेगा निस्तारण

विभाग ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2025-26 के लिए ऑडिट समितियों की बैठकें जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च तक आवश्यक रूप से आयोजित की जानी चाहिए।

जयपुर। वित्त विभाग ने राज्य के सभी विभागों, बोर्ड और निगमों को ऑडिट समितियों की बैठकें तय समय पर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। वित्त विभाग के अनुसार यह बैठकें त्रैमासिक आधार पर आयोजित की जानी चाहिए, ताकि महालेखाकार की बकाया निरीक्षण रिपोर्ट, अंकेक्षण आपत्तियां, जनलेखा समिति की सिफारिशें, और अन्य वित्तीय मामलों का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया जा सके।

विभाग ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2025-26 के लिए ऑडिट समितियों की बैठकें जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च तक आवश्यक रूप से आयोजित की जानी चाहिए। यह निर्देश इसलिए दिए गए हैं क्योंकि सीएजी प्रतिवेदनों और जनलेखा समिति द्वारा बैठकों की कमी को गंभीरता से लिया जाता है। पूर्व में भी प्रशासनिक सुधार विभाग और वित्त विभाग ने संबंधित विभागों को नियमित बैठकों के लिए परिपत्र जारी किए थे। सरकार ने विभागीय सचिवों को बैठकें सुनिश्चित करने और तय समय सीमा का पालन करने के लिए कहा है। इस कदम का उद्देश्य वित्तीय प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ाना है।

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