पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सरकार पर हमला, कहा- कोटा और जोधपुर निगमों को एक करना अदूरदर्शी और राजनीतिक स्वार्थ से लिया फैसला

नगर निगमों को केवल राजनीतिक कारणों से विलय करना उचित नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सरकार पर हमला, कहा- कोटा और जोधपुर निगमों को एक करना अदूरदर्शी और राजनीतिक स्वार्थ से लिया फैसला

राज्य सरकार के जयपुर के बाद जोधपुर और कोटा नगर निगम को दो की जगह एक करने के फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार पर हमला बोला है। गहलोत ने कहा है कि राजस्थान की भाजपा सरकार ने कांग्रेस सरकार द्वारा शहरों के बेहतर विकास एवं रखरखाव की दृष्टि से बनाए गए नए नगर निगमों को खत्म कर जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो नगर निगमों का विलय कर एक नगर निगम कर दिया है। यह एक बेहद अदूरदर्शी एवं राजनीतिक स्वार्थ से लिया गया फैसला है।

जयपुर। राज्य सरकार के जयपुर के बाद जोधपुर और कोटा नगर निगम को दो की जगह एक करने के फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार पर हमला बोला है। गहलोत ने कहा है कि राजस्थान की भाजपा सरकार ने कांग्रेस सरकार द्वारा शहरों के बेहतर विकास एवं रखरखाव की दृष्टि से बनाए गए नए नगर निगमों को खत्म कर जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो नगर निगमों का विलय कर एक नगर निगम कर दिया है। यह एक बेहद अदूरदर्शी एवं राजनीतिक स्वार्थ से लिया गया फैसला है। छोटी प्रशासनिक इकाइयों से प्रशासनिक नियंत्रण एवं विकास बेहतर हो सकता है। हाल ही में आई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयपेयी की सरकार द्वारा वर्ष 2000 में बनाए गए 3 नए राज्यों छत्तीसगढ़, उत्तराखंड एवं झारखंड की रजत जयंती थी।

इन 25 वर्षों में बड़े राज्यों से अलग होकर बने इन नए राज्यों के विकास के पैमान मूल बड़े राज्यों से बेहतर हो गए हैं। बेंगलुरू शहर की आबादी लगभग डेढ़ करोड़ हो गई है। इस शहर के विस्तार को देखते हुए वहां की नगर निगम बृहद बेंगलुरू महानगर पालिका को 5 अलग-अलग नगर निगमों में विभाजित कर दिया जिससे हर नगर निगम के पास कम प्रशासनिक क्षेत्र हो एवं विकास कार्य की बेहतर क्रियन्वति हो। पहले भाजपा सरकार ने 9 नए जिलों को खत्म किया और अब 3 नगर निगमों का विलय कर दिया। हमारी सरकार ने यह फैसला शहरी विकास के विशेषज्ञों की राय लेकर किया था। जयपुर की आबादी अब 60 लाख के पार जा चुकी है। केवल एक नगर निगम से यहां का प्रबंधन बेहद मुश्किल है। यही स्थिति कमोबेश जोधपुर व कोटा की है जिनका विस्तार बेहद तेजी से हो रहा है। यदि हमारे इस फैसले में कोई कमी थी तो उसे दूर करने का प्रयास कर इसे बेहतर करना चाहिए था परन्तु इन नगर निगमों को केवल राजनीतिक कारणों से विलय करना उचित नहीं है।

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