जवाहर कला केन्द्र : नाटक खिड़की में दिखी संघर्षरत लेखक की जिंदगी की झलक

सेट पर मौजूद धुआं जैसे उसकी रचनात्मकता पर जमी धुंध

जवाहर कला केन्द्र : नाटक खिड़की में दिखी संघर्षरत लेखक की जिंदगी की झलक

अपनी रफ्तार में धीरे-धीरे आगे बढ़ता समय उसे डेडलाइन के नजदीक ले जा रहा है, जिससे उस पर दबाव बढ़ रहा है।

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र में चल रहे नटराज थिएटर फेस्टिवल के पांचवें दिन मंगलवार को विकास बाहरी के निर्देशन में नाटक खिड़की का मंचन हुआ। नाटक में एक लेखक के संघर्षो को मंच पर बयां किया गया। नाटक एक संघर्षरत लेखक की जिंदगी में खिड़की से झांकने की तरह है। मंद-2 लाइट में लेखक अपनी चिंताओं में लेटा हुआ है। सेट पर मौजूद धुआं जैसे उसकी रचनात्मकता पर जमी धुंध है। उसे कहानी लिखनी है जिसके लिए फिलहाल कोई आईिडया मौजूद नहीं है।

अपनी रफ्तार में धीरे-धीरे आगे बढ़ता समय उसे डेडलाइन के नजदीक ले जा रहा है, जिससे उस पर दबाव बढ़ रहा है। नाटक आगे बढ़ता है। लेखक के संवाद इस तरह हैं कि मानों दर्शकों से संवाद कर रहा है। इसी बीच वह अपनी कल्पनाओं के जाल बुनता है। इस बीच वह एक लड़की को बुलाता है उससे बातें करने लगता है। बातचीत का सिलसिला यूं ही आगे बढ़ता है और इसी बीच उसकी कहानी तैयार हो जाती है। 

 

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