प्रदेश में प्रदूषण के कारण बढ़ रहा ग्लोबल वार्मिंग और तापमान
निदान के लिए करने होंगे सघन पौधरोपण
औद्योगिक अपशिष्ट को ट्रीटमेंट करके ही बाहर निकालना चाहिए।
जयपुर। बढ़ते प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे कई तरह की आपदाएं देखने को मिल रही हैं। वर्तमान में पड़ रही भीषण गर्मी का कारण भी ग्लोबल वार्मिंग को माना जा रहा है। वहीं, औद्योगिक इकाइयों से भी काफी मात्रा में विषैली गैस निकलती हैं, जिसका दुष्प्रभाव मानव जीवन पर भी पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या को दूर करने के लिए थिंक ग्लोबली- एक्ट लोकली के तर्ज पर अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए। पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है लेकिन इसको हर रोज मनाने की जरूरत है।
वर्तमान में तापमान बढ़ रहा
प्रदूषण के कारण प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, जैसे वर्तमान में तापमान बढ़ रहा है। यह ग्लोबल वार्मिंग की समस्या है। जैव विविधता का ह्रास है। यह मुख्य समस्या है, इनका निदान स्थानीय स्तर पर करना चाहिए। अधिक से अधिक पौधरोपण करना चाहिए, जिससे पर्यावरण में हरियाली होगी और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निजात मिलेगी। औद्योगिक अपशिष्ट को ट्रीटमेंट करके ही बाहर निकालना चाहिए।
फैक्ट्रियों से निकला दूषित पानी खतरनाक
औद्योगिक इकाइयों से मुख्यत: सल्फर व नाइट्रोजन ऑक्साइड के साथ ही कार्बन डाइ ऑक्साइड व मीथेन गैस बाहर निकलती है। यह पानी के साथ मिलकर अम्लीय वर्षा के रूप में एसिड के साथ धरती पर आते हैं, जिससे धरती बंजर हो जाती है। मनुष्य में इन गैस के कारण अनेक प्रकार से दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। औद्योगिक इकाइयों से जो अपशिष्ट जल निकलता है, उससे जल प्रदूषण होता है। इस अपशिष्ट पानी में हेवी मेटल के साथ ही आयल व ग्रीस मिला हुआ होता है, जो भूमि के अंदर मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। वहीं, जल के तंत्र (वॉटर बॉडी) को पोल्यूट करते हुए ग्राउंड वाटर को भी प्रदूषित करते हैं। यह प्रदूषण खाद्य श्रृंखला के माध्यम से आगे स्थानांतरित होता है, जिससे मानव जीवन पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है।
यह प्रमुख समस्या वैश्विक
राजस्थान विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो.राम अवतार शर्मा ने बताया कि पर्यावरण के साथ खिलवाड़ के कारण ही वर्तमान में तापमान 45 से 50 डिग्री पहुंच गया है। यह प्रमुख समस्या वैश्विक है। बहुत ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग होगी, तो आने वाले दिनों में अनेक दुष्परिणाम हमें और दिखाई पड़ेंगे। हिमखंड पिघलेंगे और कई तरह की आपदाएं सामने आएंगी। वहीं, अतिवृष्टि और अनावृष्टि का कारण भी ग्लोबल वार्मिंग है। साथ ही फसलों में भी ग्लोबल वार्मिंग का असर देखने को मिलेगा और उत्पादन कम होगा।

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