आभा हैल्थ कॉर्ड नहीं तो अस्पतालों में निशुल्क जांच और इलाज नहीं मिलेगा : हर व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री डिजिटल करने को बनाया जा रहा है

कॉर्ड अब तक 6.50 करोड़ लोगों का बन चुका है कॉर्ड 

आभा हैल्थ कॉर्ड नहीं तो अस्पतालों में निशुल्क जांच और इलाज नहीं मिलेगा : हर व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री डिजिटल करने को बनाया जा रहा है

अस्पताल में दिखाने आते वक्त इसकी अनिवार्यता करने से उम्मीद है कि प्रत्येक नागरिक का यह कॉर्ड जल्द बन जाएगा। 

जयपुर। राजस्थान में अब सरकारी अस्पतालों में इलाज-जांच और निशुल्क चिकित्सा सेवाओं का फायदा उठाने के लिए हर व्यक्ति को आभा आईडी कॉर्ड बनाना पड़ेगा। इसके लिए सरकार जल्द आदेश जारी कर सकती है। बिना आभा आईडी कॉर्ड के अस्पतालों में ओपीडी और आईपीडी की सेवाएं नहीं मिल सकेंगी। चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा विभाग में इसकी कार्ययोजना बनाई जा रही है। प्रदेश में हर व्यक्ति का आभा आईडी कॉर्ड बनाया जा रहा है। अब तक प्रदेश में 6.50 करोड़ लोगों के आभा आईडी कॉर्ड बनाए जा चुके हैं। इस कॉर्ड में अस्पताल जाने पर उनकी सभी मेडिकल हिस्ट्री डिजिटल नोट कर दी जाएगी। वर्तमान में प्रदेश की करीब 8.25 करोड़ आबादी है। ऐसे में अभी करीब 2 करोड़ लोगों के आभा आईडी कॉर्ड बनना बाकी है। अस्पताल में दिखाने आते वक्त इसकी अनिवार्यता करने से उम्मीद है कि प्रत्येक नागरिक का यह कॉर्ड जल्द बन जाएगा। 

अस्पतालों में अनिवार्यता क्यों, ये होगा फायदे
कॉर्ड में हर व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री डिजिटल अपलोड होगी। इससे मरीज जब अस्पताल में जाएगा तो डॉक्टरों को दिखाते वक्त उसे पुरानी पर्चियां या फिर जांच रिपोर्ट्स नहीं ले जानी पड़ेगी। जब भी मरीज अस्पताल जाएगा उसकी सभी आईपीडी-ओपीडी में दिखाने, बीमारियों से संबंधित जानकारी इसमें अपलोड कर दी जाएगी। एसएमएस अस्पताल में हाल ही में गलत खून चढ़ाए जाने के बाद महिला की मौत का मामला सामने आने पर आभा आईडी कॉर्ड में ब्लडु ग्रुप की जानकारी इन्द्राज करने के भी निर्देश दिए हैं ताकि गड़बड़ी रोकी जा सके। कॉर्ड की अस्पतालों में अनिवार्यता इसलिए की जा रही है, ताकि हर व्यक्ति का मेडिकल रिकॉर्ड हो और इसे चिकित्सा विभाग ट्रेक कर सके। बीमारियों की स्थितियों का पता लग सके और उसके अनुरूप ही चिकित्सा विभाग की अस्पतालों में सेवाओं में मजबूत करने के लिए भविष्य की कार्ययोजना बन सके। 

कैसे बनेगा आभा आईडी हैल्थ कॉर्ड
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण यह डिजिटल हैल्थ हिस्ट्री कॉर्ड बना रहा है। इसके लिए केन्द्र सरकार की हैल्थआईडी. एनडीएचएम.जीओवी.आईएन वेब पोर्टल पर ऑनलाइन बनाया जा सकता है। इसके लिए आधार कॉर्ड या ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है। इसे एका केयर या आभा ऐप पर भी बनाकर डाउनलोड किया जा सकता है। इस कॉर्ड में 14 अंकों की हर व्यक्ति की विशेष पहचान संख्या होगी।

अभी अस्पतालों में ये व्यवस्था
वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवा, इलाज, जांच इत्यादि सुविधाओं का फायदा प्रदेश के स्थानीय नागरिकों को ही है। स्थानीय नागरिक की पहचान के लिए अस्पताल में आईपीडी-ओपीडी की पर्ची बनाते वक्त उसका आधार और जनाधार कॉर्ड होना जरूरी है। पहले जनाधार कॉर्ड अनिवार्य था, हाल ही में सरकार ने आधार कॉर्ड का विकल्प भी दे दिया है।

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अस्पतालों में जल्द मरीजों के आभा आईडी कॉर्ड की अनिवार्यता लागू करने पर काम हो रहा है ताकि हर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री व्यवस्थित तरीके से डिजिटल हो सके। जल्द इसे लागू किया जाएगा। ’
-गजेन्द्र सिंह खीवंसर, चिकित्सा मंत्री, राजस्थान 

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