गाड़ियों को चमकाने में बर्बाद हो रहा है 7 लाख लीटर पानी
गाड़ियों को चमकाने में ही बर्बाद हो रहा है
शहर में 7 लाख लीटर से अधिक पानी सिर्फ गाड़ियों को चमकाने में ही बर्बाद हो रहा है। यदि घरों में वाहनों की धुलाई का आंकड़ा भी शामिल किया जाए, तो यह संख्या आठ लाख लीटर प्रतिदिन से ज्यादा हो सकती है।
जयपुर। शहर में 7 लाख लीटर से अधिक पानी सिर्फ गाड़ियों को चमकाने में ही बर्बाद हो रहा है। यदि घरों में वाहनों की धुलाई का आंकड़ा भी शामिल किया जाए, तो यह संख्या आठ लाख लीटर प्रतिदिन से ज्यादा हो सकती है। इसके बावजूद सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है। यदि इस पानी का पीने में उपयोग लिया जाए, तो प्रतिदिन एक लाख लोगों की प्यास बुझ सकती है।
रोजाना एक लाख लोगों की बुझ सकती है प्यास
विभाग की ओर से शहर में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति औसतन 150 लीटर पानी के हिसाब से सप्लाई होती है। वहीं एक स्वस्थ्य व्यक्ति प्रतिदिन सात लीटर पानी भी पिए तो एक दिन की गाड़ियों में खर्च होने वाले पानी से शहर के एक लाख से अधिक लोगों की प्यास बुझ सकती है। वहीं चार हजार लीटर क्षमता वाले 175 टैंकर्स से कई कॉलोनियों को यह पानी उपलब्ध कराया जा सकता है।
ड्राई वॉश तकनीक है समाधान
ड्राई वॉश तकनीक से वाहन पर एक विशेष प्रकार का फोम लगाकर कपडेÞ से साफ कर दिया जाता है। इससे सफाई भी पानी से की गई धुलाई जैसी होती है। हालांकि इस तकनीक में पानी का उपयोग नहीं किया जाता है। कार कंपनी के कुछ अधिकृत सर्विस सेंटर अब इस तकनीक को अपनाने लगे हैं
पर प्राइवेट सेंटर संचालक पानी से ही गाड़ियों को धो रहे हैं।
घरों में धुलाई का आंकड़ा अलग
वैसे वास्तव में पानी खर्च होने का आंकड़ा इससे कहीं अधिक है। आमतौर पर लोग सर्विस सेंटर पर सिर्फ वाहनों की सर्विस के समय ही गाड़ियां धुलाते हैं। बाकि समय गाड़ी गंदी होने पर घरों में धो ली जाती है। शहर के कई पॉश इलाकों में तो रोजाना पाइप के जरिए चौपहिया वाहनों को नहलाया जाता है।
यह है आंकड़ा
प्रदेश में कुल 2319 905 दुपहिया और 862574 चौपहिया वाहन हैं। औसतन एक दुपहिया वाहन वर्ष में चार बार और चौपहिया वाहन की वर्ष में एक बार सर्विस होती है। इसमें वाहनों की धुलाई भी शामिल है। दुपहिया वाहन की एक सर्विस में करीब 20 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि चौपहिया वाहन में 80 लीटर। हर माह सर्विस में कुल दो करोड़ लीटर से अधिक पानी काम में लिया जा रहा है।
गाड़ियों की सफाई में पानी काम नहीं लेना चाहिए। यदि धुलाई की ज्यादा ही आवश्यकता है तो ट्रीटेड पानी काम में लेना चाहिए। एक तरफ तो शहर में पेयजल का संकट है और दूसरी ओर लाखों लीटर पानी गाड़ियों की धुलाई में व्यर्थ बहाया जा रहा है।
- राजेन्द्र सिंह

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