पुष्कर मेला 2025 : संस्कृति की नुमाइश का जश्न, पशुओं की तिजारत और श्रद्धा का ज्वार
सांझ ढले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम
आंवला नवमी के उपलक्ष्य में बड़ी संख्या में श्रद्घालुओं ने पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई। महिलाओं ने आंवला के पेड़ की पूजा-अर्चना कर मंदिरों के दर्शन कर आंवले का प्रसाद चढ़ाया। शुक्रवार को आंवला नवमी के योग पर श्रद्घालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में ही पवित्र सरोवर में स्नान प्रारम्भ कर दिया। महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा की तथा पुष्कर सरोवर की परिक्रमा।
पुष्कर। आंवला नवमी के उपलक्ष्य में बड़ी संख्या में श्रद्घालुओं ने पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई। महिलाओं ने आंवला के पेड़ की पूजा-अर्चना कर मंदिरों के दर्शन कर आंवले का प्रसाद चढ़ाया। शुक्रवार को आंवला नवमी के योग पर श्रद्घालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में ही पवित्र सरोवर में स्नान प्रारम्भ कर दिया। महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा की तथा पुष्कर सरोवर की परिक्रमा। शाम ढलते ही महिलाएं सरोवर स्थित घाटों पर उमड़ पड़ीं व गऊ घाट की मुख्य आरती के साथ ही दीप प्रज्ज्वलित कर सरोवर में प्रवाहित किए।
आस्था से सराबोर
विश्व प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेले की रौनक अपने चरम पर है। एक तरफ नए मेला मैदान में पशुओं की खरीद-फरोख्त जारी है। दूसरी तरफ पुराने मेला मैदान में देशी-विदेशी मेहमानों के बीच आयोजित ग्रामीण खेलकूद व पशु प्रतियोगिताएं आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। धार्मिक मेला 2 नवंबर से शुरू होगा। डुबकी लगाने में सात समुंदर पार से आए विदेशी भी पीछे नहीं हैं। विदेशी सैलानियों के आने के साथ पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना कर मंदिरों के दर्शन भी कर रहे हैं। पूजा अर्चना के बाद वे रेतीले धोरों में घूमकर यहां की छटा का आनंद ले रहे है।
6209 पशुओं की आवक,4.60 लाख का बिका घोड़ा
पुष्कर पशु मेले में पशुओं की आवक के साथ-साथ पशुओं की खरीद-फरोख्त का दौर जारी है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील घीया ने बताया कि मेले में अब तक सबसे महंगा अश्व 4.60 लाख का बिका है। यह अश्व वंश हरिद्वार के दिवित चौधरी ने आमेर जयपुर के कैलाश से खरीदा। वहीं सबसे महंगा भैंसा 3.83 लाख और ऊंट 84 हजार रुपए में बिका है। मेला अधिकारी डॉ. सुनील घीया ने बताया कि मेले में शुक्रवार की शाम तक 6 हजार 209 पशुओं की आवक दर्ज की गई है। इनमें सर्वाधिक 4 हजार 5 सौ 88 अश्व एवं 1571 ऊंट वंश शामिल है। इसके अलावा 24 गौ वंश व 24 भैंस वंश भी आए है। राजस्थान के बाहर से कुल 1347 मवेशी आए है। अश्व नए और ऊंट प्रतियोगिता पुराने मेला मैदान में: मेला अधिकारी डा. घीया ने बताया कि मेले में 2 नवंबर से पशु प्रतियोगिताएं शुरू होगी। अश्व वंश की प्रतियोगिता इस बार नए मेला मैदान में होगी। जबकि ऊंट प्रतियोगिता पुराने मेला मैदान में होगी। 2 नवंबर को अश्व मादा वंश और 3 नवंबर को नर अश्व वंश की विभिन्न प्रतियोगिता होगी।
एक टांग पर दौड़ीं देशी व विदेशी युवतियां नागौर की पिंकू अव्वल, विदेशी युवती दूसरे स्थान पर रही
मेला स्टेडियम में शुक्रवार सुबह देशी-विदेशी युवतियों के बीच लंगड़ी टांग प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें 8 विदेशी समेत कुल 16 युवतियों ने भाग लिया। इस दौरान एक टांग पर 50 मीटर की लंबी दौड़ लगाने की रोचक प्रतियोगिता के दौरान कुछ प्रतियोगी युवतियां तो मंजिल तक पहुंचने से पहले ही रास्ते में गिर गई। प्रतियोगिता में पहले स्थान पर नागौर की पिंकू रही। जबकि दूसरे स्थान पर विदेशी युवती रही।
सतोलिया व गिल्ली डंडा खेल में रोमांचित हुए विदेशी: लंगड़ी टांग प्रतियोगिता के बाद देसी-विदेशी युवकों के बीच सतोलिया एवं गिल्ली डंड़ा प्रतियोगिता खेली गयी। दोनों मैचों में 7-7 खिलाड़ी शामिल किए। विदेशी टीम भले ही दोनों मैच हार गई। लेकिन विदेशी मेहमानों ने एक घंटे तक खूब एंजॉय किया। आयोजकों ने पहले विदेशी मेहमानों को खेल के नियम बताएं तथा डेमो करके भी दिखाया। शनिवार को सुबह 10 बजे देशी-विदेशी के बीच कबड्डी मैच खेला जाएगा।
ऊंट शृंगार में मांगीलाल का ऊंट प्रथम: मेला स्टेडियम में शुक्रवार को ऊंट शृंगार प्रतियोगिता विदेशी मेहमानों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। प्रतियोगिता में 7 ऊंट पालकों ने अपने-अपने ऊंटों को दूल्हे की तरह सजा कर लेकर पहुंचे। बारी-बारी से सभी प्रतियोगियों ने अपने सजे-धजे ऊंटों को मंच के सामने कैट वॉक करा कर उनकी सजावट का प्रदर्शन किया। ऊंट शृंगार प्रतियोगिता में मांगीलाल सीकर, अशोक सिंह चावंडिया और गुमान सिंह गनाहेड़ा विजयी रहे। सभी विजेताओं को पर्यटन विभाग की ओर से पुरस्कृत किया गया।
नृत्य में झुंझुनु के नैकीराम का ऊंट रहा प्रथम: ऊंट शृंगार प्रतियोगिता के बाद कैमल डांस प्रतियोगिता आयोजित की गई। खास बात यह रही कि आधे घंटे के इंतजार के बावजूद तीन ऊंट पालक ही प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए तैयार हुए। लेकिन तीनों ही प्रतियोगी ऊंटों ने ढ़ोल की थाप पर जमकर ठुमके लगाएं तथा मैदान व खाट पर दो पैरों के दम पर उछल-उछल कर कंगारू की मुद्रा में डांस किया। प्रतियोगिता में ऊंट पालकों को करतब दिखाने और न ही चाबूक का उपयोग करने की अनुमति दी गई। लेकिन उन्होंने ऊंटों के साथ नृत्य करने के साथ-साथ करतब भी दिखाएं। झुंझनु के ऊंट के साथ आए 14 वर्षीय बालक ऊंट पालक रॉकी ने ऊंट के साथ हैरत अंगेज करतब दिखाएं।

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