बेहतर कहानी से पेपर लीक जैसे मुद्दों पर नाटक बनने की जरूरत : बेदी
बेदी रवींद्र मंच पर 17वें कोलाज आफ किलकारी चिल्ड्रन्स-टीनेजर्स थिएटर वर्कशॉप के समापन समारोह में रूबरू हो रहे थे।
जयपुर। बॉलीवुड एक्टर राकेश बेदी ने कहा कि ओटीटी को कहां-कहां सेंसर करेंगे आप? बडे पर्दें पर कई अटैक हुए और लांछन लगे। जब टेलीविजन आया था तो लोगों ने कहा था कि बडे पर्दो खत्म हो जाएंगे। मेरे लिए तो फिल्में, सीरियल और थिएटर सब समान हैं और मैं किसी एक का चयन नहीं कर सकता हूं। बेदी ने यह बात रविवार को रवींद्र मंच पर मीडिया से रूबरू होने के दौरान कही। इस दौरान उन्होंने कई समसामायिक मुद्दों पर बात करते हुए अपनी जर्नी शेयर की।
ओटीटी टैलेंट दिखाने का जरिया
बेदी ने थिएटर के बारे में कहा कि जो थिएटर करते हैं वे करते ही हैं। कुछ और आ जाने से उनको ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। बात कि जाए ओटीटी की तो वह भी एक चैनल है पैसा कमाने या टैलेंट दिखाने का। फिर भी यदि आप थिएटर के लिए पेशनेट हैं तो आप वो करोगे ही।
थिएटर नहीं लेता ज्यादा समय
बेदी ने थिएटर के बारे में कहा कि ये भ्रम है कि थिएटर ज्यादा समय मांगता है। ऐसा कुछ भी नहीं है। आप एक प्ले 15 से 20 दिन में तैयार कर लेते हैं और फिर सिर्फ एक शाम आपसे थिएटर मांगता है जब आप उसे प्ले करते हैं। मैंने भी बहुत प्ले लिखे और डायरेक्ट भी किए हैं। देखा जाए तो थिएटर आपको लाइव रखता है। इससे आदमी के रिएक्शन शार्प रहते हैं।
सामाजिक मुद्दों पर नाटक होने चाहिए
पेपर लीक पर नाटक बनने की जरूरत के सवाल पर उन्होंने कहा कि हां ऐसे नाटक बनने की जरूरत है। नाटक समाज का दर्पण हैं और एक-दूसरे के प्रतिबिंब हैं। उन्होंने अपनी पहली चॉइस के बारे में कहा कि फिल्म, थिएटर और सीरीयल्स में से किसी एक को चुनने का मतलब है कि तीन बच्चों में से किसी एक को चुनना। मेरे लिए सब समान हैं और सबके लिए समय-समय पर काम करता हूं। मूवी, थिएटर अैर सीरियल सब अपनी-अपनी जगह पर हैं। कुछ हो सकते हैं जो सिनेमा और ओटीटी के बाद थिएटर को अवॉइड करते हो मगर मैं ऐसा नहीं करता।
यहां किया पार्टिसिपेट
बेदी रवींद्र मंच पर 17वें कोलाज आफ किलकारी चिल्ड्रन्स-टीनेजर्स थिएटर वर्कशॉप के समापन समारोह में रूबरू हो रहे थे। कला संस्कृति विभाग राजस्थान, ललित कला अकादमी, क्यूरियो चिल्ड्रंस थिएटर, रवींद्र मंच और हिमालयीय यूनिवर्सिटी उत्तराखंड की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों ने विभिन्न एक्टिविटी की। लगभग 90 बच्चों ने रवींद्र मंच पर आउटडोर और मुख्य मंच पर क्रिएटिव नाटय प्रस्तुतियां दीं।
तीन नाटकों का मंचन
समापन समारोह में तीन नाटकों का मंचन हुआ। पहला कॉमेडी ड्रामा भूतों की धमाचौकड़ी रहा। इस नाटक की कहानी एक छोटे से गांव के एक किसान के ईद-गिर्द घूमती है। दूसरे नाटक मेहनत का इत्र और तीसरे अक्ल का जादू नाटक में भी बच्चों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियों से लोगों की वाहवाही लूटी। कार्यक्रम का संचालन प्रियदर्शनी मिश्रा और गगन मिश्रा ने किया।

Comment List