वर्ल्ड लिवर डे : लिवर की बीमारी से हर साल ढाई लाख लोग मौत के शिकार, राजस्थान में 150 से ज्यादा मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट का इंतजार
फैटी लिवर से पीड़ित 34 से 70% महिलाओं में पीसीओएस की समस्या
57 प्रतिशत डायबिटिक मरीजों को फैटी लिवर की समस्या, इनमें 26% का लिवर परमानेंट डेमेज
जयपुर। वर्तमान दौर में लिवर से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर ही अगर इलाज ले लिया जाए तो लिवर को बचाया जा सकता है, लेकिन अगर लक्षणों को नजर अंदाज कर दिया जाए तो लिवर को बचाना मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि नौबत लिवर ट्रांसप्लांट तक की आ जाती है। राजस्थान समेत देशभर में हर साल लिवर की गंभीर बीमारी से ढ़ाई लाख से ज्यादा लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं।
80% खराब होने पर लिवर की बीमारी का चलता है पता
सीनियर गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. मुकेश कल्ला ने बताया कि भारत में हर साल लिवर डिजीज के कारण 2.59 लाख मौतें होती हैं, जो कि कुल मौतों का 2.95 प्रतिशत हैं। डायबिटीज ने इस गंभीरता को और बढ़ा दिया है। डायबिटीज के 57 प्रतिशत मरीजों में फैटी लिवर की समस्या होती है और अगर डायबिटीज नियंत्रित नहीं होती है तो बहुत जल्दी यह लिवर फाइब्रोसिस में विकसित होने लगती है।
70 हजार क्रिटिकल मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत
डॉक्टरों के अनुसार 70 हजार क्रिटिकल मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत हैं। राजस्थान की बात करें तो एसएमएस अस्पताल जयपुर, एम्स जोधपुर समेत दूसरे निजी अस्पताल में ही 150 से ज्यादा मरीज लिवर ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। लिवर की बीमारियों में नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज सबसे आम बीमारी हैं। डायबिटीज के साथ यह बीमारी और गंभीर रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि डायबिटीज के 57 प्रतिशत मरीजों में फैटी लिवर देखने को मिलता हैं। अगर इनकी डायबिटीज नियंत्रित नहीं रह पाती तो इनमें से 26 प्रतिशत मरीजों का लिवर हमेशा के लिए खराब हो जाता हैं।
लक्षण शुरुआती स्टेज में नहीं दिखते
लिवर फाइब्रोसिस होना लिवर का परमानेंट डेमेज होने के समान है, जिसके बाद सिर्फ ट्रांसप्लांट ही विकल्प बचता है। परेशान करने वाली बात यह है कि लिवर डिजीज के लक्षण शुरुआती स्टेज में नहीं दिखते और जब लिवर 80 प्रतिशत से ज्यादा खराब हो जाता है, तब इसका पता चल पता है। इसीलिए रेगुलर चेकअप कराना जरूरी है।
महिलाओं में मातृत्व को भी प्रभावित की लिवर डिजीज
गेस्ट्रो एंट्रोलॉजिस्ट डॉ. हर्ष उदावत ने बताया कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस महिलाओं की मातृत्व क्षमता को प्रभावित करने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक हैं, लेकिन इसका संबंध उनके लिवर से भी जुड़ा है। फैटी लिवर से जूझ रही 34 से 70 प्रतिशत महिलाओं में पीसीओएस की समस्या भी देखने को मिल रही है, जिसके कारण उनकी मां बनने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
लिवर की जांच में कारगर फाइब्रो स्कैन
सीनियर गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. साकेत अग्रवाल ने बताया कि खासतौर पर लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर और फैटी लिवर जैसी बीमारियों में यह जांच कारगर हैं। लिवर की बीमारियों के इलाज में फाइब्रोस्कैन बड़ी उम्मीद बनकर उभरा हैं। इससे लिवर सिरोसिस की जांच महज पांच मिनट में होती है। जबकि अभी बायोप्सी जांच में पांच घंटे से ज्यादा लगते हैं। फाइब्रोस्कैन अल्ट्रासाउंड की तर्ज पर होने वाली जांच है। इससे लिवर में सिकुड़न की स्थिति साफ हो जाती है। फैटी लिवर एवं लिवर सिरोसिस में इस जांच के जरिए निदान पाया जा सकता है।

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