वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे : एक लाख लोगों में 5 से 10 को ब्रेन ट्यूमर, बच्चों में होने वाले कैंसर में 12 प्रतिशत मामले इसी तरह के

देश में हर साल 2500 बच्चों में ऐसे ही मामले 

वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे : एक लाख लोगों में 5 से 10 को ब्रेन ट्यूमर, बच्चों में होने वाले कैंसर में 12 प्रतिशत मामले इसी तरह के

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि अब न्यूरो नेविगेशन तकनीक से सर्जन ये मालूम कर सकते हैं कि सर्जरी के वक्त दिमाग में उनकी सटीक लोकेशन क्या है।

जयपुर। देश में ब्रेन ट्यूमर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में हर एक लाख लोगों में से 5 से 10 लोग शरीर के सबसे जटिलतम अंग दिमाग में ट्यूमर की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें दो प्रतिशत मामले कैंसर ट्यूमर के होते हैं। देश में हर साल 2500 से अधिक बच्चों में ब्रेन ट्यूमर सामने आ रहा है। हालांकि अब सर्जरी की अत्याधुनिक तकनीकों ने ब्रेन ट्यूमर का इलाज आसान और सटीक बना दिया है। नई तकनीकों और रिसर्च से ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी के बाद भी मरीज सामान्य जीवन जीने लगते हैं। 

स्क्रीनिंग नहीं होने से केस कम आ रहे सामने
सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एसपी पाटीदार ने बताया कि बच्चों में होने वाले कुल कैंसरों के मामले में 8 से 12 प्रतिशत मामले ब्रेन ट्यूमर के होते हैं। जबकि पश्चिमी देशों में बच्चों में 21 प्रतिशत केस ब्रेन ट्यूमर के होते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में ब्रेन ट्यूमर के मामलों की संख्या में कमी का बड़ा कारण स्क्रीनिंग कम होना है। सही समय पर इलाज शुरू न होने के कारण सिर्फ  27 प्रतिशत बच्चे ही पांच साल या उससे ज्यादा समय तक जीवित रह पाते हैं।

एंडोस्कोपी सर्जरी से आसान हुआ उपचार
सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. हिमांशु गुप्ता ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर होने पर इसका इलाज सर्जरी द्वारा ही संभव होता है। अभी तक एंडोस्कोपी की मदद से शरीर के कई अंगों की सर्जरी संभव होने लगी है। लेकिन ब्रेन ट्यूमर के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाने लगा है। मिनिमल इन्वेसिव तकनीक से इस मुश्किल सर्जरी में पहले से बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं। इस तकनीक के इस्तेमाल से मरीज के कई ऐसे ट्यूमरों को आसानी से निकाला जा सकता है, जिसे दूसरी तकनीक से निकालना मुश्किल होता है। एंडोस्कोपिक सर्जरी की सहायता से मरीज को बड़ा चीरा नहीं लगाना होता और कीहोल सर्जरी से ही उसका ट्यूमर निकाल दिया जाता है। इससे मरीज की रक्त वाहिकाओं को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता और कम रक्तस्राव से उसकी सर्जरी हो जाती है।  

न्यूरो नेविगेशन सिस्टम से आई क्रांति
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि अब न्यूरो नेविगेशन तकनीक से सर्जन ये मालूम कर सकते हैं कि सर्जरी के वक्त दिमाग में उनकी सटीक लोकेशन क्या है। इससे आस पास के हिस्से को बिना नुकसान पहुंचाए सटीकता से सर्जरी की जा सकती है। इससे सर्जन को यह पता रहता है कि ट्यूमर निकलते वक्त ब्रेन में वे किस जगह है। ट्यूमर सही रास्ते से निकल रहा है कि नहीं, ब्रेन की कोई नस तो प्रभावित नहीं हो रही, जैसे महत्वपूर्ण जानकारी इस तकनीक से रियल टाइम में मालूम होती रहती हैं। इससे आॅपरेशन का परिणाम काफी बेहतर हो जाता है और गलती की संभावना न के बराबर रह जाती है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज में अब तक न्यूरो नेविगेशन तकनीक से सैकड़ों सर्जरी की गई है।

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लक्षण
सिर में दर्द या दबाव।
मतली या उलटी।
दृष्टि धुंधली होना, दोहरी दिखाई देना।
मिर्गी आना।
हाथ या पैर में संवेदना या गति का खत्म हो जाना।
संतुलन में परेशानी।
बोलने में समस्याएं।

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