बरसात के बाद सड़कों पर मंडरा रहा खतरा

रोजाना वाहन हो रहे दुर्घटनाग्रस्त

बरसात के बाद सड़कों पर मंडरा रहा खतरा

बरसात में डामर की सड़कों पर फेली गिट्टी से बिगड़ रहा वाहनों का संतुलन।

कोटा। दृश्य 1 - डीसीएम रोड पर संजय नगर आरोपी से लेकर  नई धानमंडी तिराहे तक दोनों तरफ की डामर रोड इतनी अधिक खराब हो रही है कि  बरसात से उसका पूरा डामर खत्म हो चुका है। जिससे उसकी गिट्टी निकलकर पूरी सड़क पर फेल रही है। ऐसे में उस गिट्टी से होकर गुजर रहे वाहनों का संतुलन बिगड़ने से वाहन आए दिन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे है। 

दृश्य 2 - सीएडी रोड पर घोड़े वाले बाबा तिराहे से सीएडी चौराहा और सीएडी चौराहे से दादाबाड़ी तिराहे  तक भी दोनों तरफ की रोड का डामर बरसत से उखड़ चुका है। जिससे सड़क पर गिट्टी बिखर रही है। उस गिट्टी से होकर गुजर रहे विशेष रूप से दो पहिया वाहनों का संतुलन बिगड़ने से  वाहन चलाना मुश्किल हो रहा है। 

दृश्य 3 - शहर के प्रवेश नयापुरा स्थित विवेकानंद चौराहे से अग्रसेन सर्किल होते हुए केएसटी मार्ग तक सड़क पर जगह-जगह से डामर उखड़ चुका है। यहां फेली गिट्टी वाहन चालकों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। अचानक तेजी से आने वाले वाहनों का संतुलन बिगड़ने से रोजाना कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। 

ये तो उदाहरण मात्र हैं शहर की सड़कों की उस  स्थिति को बताने के लिए जिसका सामना इन दिनों शहर वासियों को करना पड़ रहा है।  जबकि शहर की अधिकतर सड़कों की हालत इसी तरह की हो रही है। हालत यह है कि इस तरह की सड़कों का खामियाजा आए दिन हादसों के रूप में लोगों को भुगतना पड़ तहा है। इस बार जून के दूसरे सप्ताह में ही मानसून की शुरुआत हो गई थी। उसी समय से कोटा शहर में भारी से अति भारी और मूसलाधार बरसात हो रही है। डेढ़ माह में औसत से अधिक बरसात होने से शहर की अधिकतर डामर सड़कें खराब हो गई है। 

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गड्ढ़ों के साथ अब गिट्टी दे रही दर्द
बरसात के समय में डामर सड़कों पर पानी भरने से अधिकतर सड़कें खराब हो गई है। छोटे-छोटे गड्ढ़े इतने बड़े व गहरे हो गए हैं  कि लग ही नहीं रहा कि सड़कों पर गड्ढ़े हैं या गड्ढ़ोÞं में सड़क। उन गड्ढ़ों में वाहनों के हिचकोले खाने से दुर्घटनाएं हो रही हैं। वहीं अब जैसे ही बरसात का दौर कम हुआ तो जिन सड़कों पर गड्ढ़े नहीं हुए वहां डामर खत्म होने से गिट्टी फेल गई है। शहर की अधिकतर डामर सड़कें इतनी अधिक खराब हो गई है कि उन पर चलना ही मुश्किल हो गया है। खास तौर पर दो पहिया वाहनों का। 

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हर सड़क पर गांव से बदतर हालात
बरसात में शहर व  ग्रामीण क्षेत्रों में तो सड़कें खराब होने से वहां वाहनों का चलना मुश्किल होता ही है। लेकिन वर्तमान में स्मार्ट सिटी कोटा शहर में जिस तरह की सड़कों की हालत हो रही है वह गांवों से भी बदतर है। गली मौहल्लों की सड़कों की तो बात दूर मेन रोड और हाइवे तक के रोड इतने अधिक खराब हो रहे हैं कि उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि ये शहर की सड़के हैं। फिर चाहे वह झालावाड़ रोड हवाई अड्डे के सामने का क्षेत्र हो या बारां रोड। बूंदी रोड जयपुर  हाइवे हो या नदी पार कुन्हाड़ी व  सकतपुरा रोड।  नए कोटा शहर का महावीर नगर से लेकर दादाबाड़ी, जवाहर नगर से लेकर राजीव गांधी नगर तक।  जितनी भी डामर सड़कें हैं सभी पर चलना जान जोखिम में डालना है। झालावाड़ जैसे रोड पर लग ही नहीं रहा कि सड़क पर चल रहे है। ऐसा लग रहा है गड्ढ़ों के बीच से गुजर रहे हैं। 

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ईमानदारी से काम नहीं करने का नतीजा
लोगों का कहना है कि सड़क बनाने वाले विभाग के अधिकारियों की अनदेखी व संवेदकों की लापरवाही के साथ ही ईमानदारी से काम नहीं करने का नतीजा है कि हर बार बरसात में सड़कें बदहाल हो रही है। यदि संवेदक इमानदारी से सड़क बनाए तो कभी खराब ही नहीं हो। वहीं संबंधित  विभागों के अधिकारियों व इंजीनियरों को उन सड़कों की गुणवत्ता जांचने के बाद ही उसे पास करना चाहिए।  हर साल करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह जनता के धन का दुरुपयोग ही है। 
- राजेन्द्र शुक्ला, पाटनपोल

संवेदक की जिम्मेदारी तय हो
सड़क बनाने के बाद एक निर्धारित समय तक संवेदक की जिम्मेदारी तय हो कि उस समयावधि में सड़क खराब होती है तो उसे संवेदक द्वारा ही सही कराया जाएगा। उसके लिए संबंधित विभाग द्वारा अलग से बजट पारित नहीं किया जाएगा। यदि संवेदकों पर पेनल्टी लगने लगे तो बार-बार सड़कें खराब ही नहीं होगी। अधिकारी व संवेदक तो चार पहिया वाहनों पर घूमते हैं इसलिए उन्हें अहसास नहीं होता। जबकि दो पहिया वाहनों पर सवार लोगों को खराब सड़कों का खामियाजा हादसों के रूप में भुगतना पड़ रहा है। 
- दिनेश जैन, तलवंडी 

इनका कहना है
केडीए द्वारा सड़कों के गड्ढ़ों पर पेचवर्क का काम तो किया जा रहा है। करीब 250 से अधिक पेचवर्क किए जा चुके है। वहीं सड़कों पर फेली गिट्टी को तात्कालिक तो झाडू लगवाकर साफ करवा दिया जाएग। लेकिन अधिक खराब सड़कों को बरसात थमने के बाद ही डामर की परत चढ़ाने का काम किया जाएगा। बरसात के समय में डामर करने का कोई फायदा नहीं है। वह फिर से खराब हो जाएगा। 
- रविन्द्र माथुर, निदेशक अभियांत्रिकी कोटा विकास प्राधिकरण

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