आश्रय को तरस रहे निराश्रित नंदी, नहीं खुली नंदीशाला
दस बीघा जमीन की अनिवार्यता से लग रहा अड़ंगा
जिले में नंदीशाला के लिए एक भी नहीं आया आवेदन।
कोटा। जिले सहित प्रदेश भर में सड़कों पर विचरण करने वाले निराश्रित नंदी को आश्रय देने के लिए शुरू की गई नंदीशाला योजना जमीन के अड़ंगे से आगे नहीं बढ़ पा रही है। पिछले पांच साल में प्रदेश में सिर्फ 57 नंदीशाला ही खुल पाई हैं जबकि कोटा जिले में अभी तक एक भी नंदीशाला नहीं खुल पाई है। यहां इस योजना में किसी भी संस्था ने आवेदन ही नहीं किया है। सरकार की ओर से सड़कों पर विचरण कर रहे नंदियों के लिए नंदीशाला खोलने की योजना शुरू की गई थी। जिसके तहत प्रदेश की सभी 426 तहसीलों में नंदीशालाएं खोली जानी थी, लेकिन, वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक केवल 57 नंदीशालाएं ही खुल सकी हैं। ये भी केवल 19 जिलों में खुली हैं। जबकि प्रदेश के 22 जिलों में अब तक एक भी नंदीशाला नहीं खुली है। इसमें कोटा जिला भी शामिल है।
नंदीशाला में यह कार्य होंगे
- ग्रेवल रोड एवं इंटरलॉकिंग टाइल्स
- प्रशासनिक भवन, पशु चिकित्सा सुविधा व अन्य निर्माण
- चारा भंडार गृह और काऊ शैड का निर्माण
- अंडर ग्राउंड वाटर टैंक/ट्यूबवैल की व्यवस्था
नंदीशाला खोलने में यह आ रहा रोड़ा
जानकारी के अनुसार नंदीशाला खोलने में सबसे बड़ा अड़ंगा जमीन का आ रहा है। आवेदन करने वाली संस्था आदि के पास 250 नंदी के लिए 10 बीघा जमीन होनी चाहिए। गोवंश की बढ़ोतरी होने पर उसी अनुपात में भूमि भी बढ़ानी होगी। 250 नर गोवंश की बीस साल तक देखभाल करना आवश्यक है। इतनी जमीन और लंबा समय होने के कारण अधिकांश संस्थाएं इस योजना में रुचि नहीं दिखा रही है। अभी तक कोटा जिले में एक भी आवेदन नहीं आया है। इस कारण शहर सहित जिले की सड़कों पर निराश्रित नंदी विचरण कर रहे हैं। प्रदेश की बात की जए तो नंदीशाला खोलने के लिए वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक 256 आवेदन मिले। उनमें से 109 आवेदन स्वीकृत हुए। स्वीकृत आवेदनों में से 65 कार्य अभी चल रहे हैं। जबकि 10 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। शेष में अभी कार्य शुरू नहीं हुआ है। वहीं कोटा जिले में कोई आवेदन नहीं आया है।
यह है अनुदान का नियम
तकनीकी मापदण्ड के लिए संस्था के पास निर्माण कार्यों के लिए विषय विशेषज्ञों की टीम होना जरूरी हैं। संस्था को 10 प्रतिशत अंशदान राशि का सीए की ओर से जारी प्रमाण-पत्र जमा कराना होता है। नन्दीशाला की स्थापना व निर्माण के लिए लागत 1.57 करोड़ है। जिसका 90 प्रतिशत राज्य व 10 प्रतिशत संस्था को देना है। सहायता राशि तीन किस्तों में 40-40 प्रतिशत व 10 प्रतिशत दी जाएगी। नवस्थापित नंदीशालाओं में एक वर्ष में न्यूनतम 250 नंदियों को संधारित करना अनिवार्य होगा, लेकिन भरण-पोषण के लिए सहायता राशि निधि नियमों के अनुसार 9 माह की देय होगी। इसमें 3 वर्ष से छोटे गौवंश के लिए 20 रुपए प्रतिदिन तथा 3 वर्ष से बड़े गौवंश के लिए 40 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान दिया जाएगा। पंचायत समिति स्तर पर न्यूनतम 250 नर गोवंश की नंदीशाला के लिए 10 बीघा या 16 हजार वर्गमीटर जमीन संस्था के स्वयं के स्वामित्व/लीज/आवंटन की होना आवश्यक है।
सरकार ने नंदीशाला खोलने के लिए कई नियम बना रखे हैं। इनमें सबसे दिक्कत दस बीघा जमीन होने के नियम से आ रही है। अधिकांश गोशालाओं संस्थाओं के इतनी जमीन नहीं है। जिससे उन्होंने अभी तक इस योजना से दूरी बना रखी है।
- प्रकाश शाह, गोशाला संचालक
सरकार ने सड़कों पर विचरण कर रहे नंदियों के लिए नंदीशाला खोलने की योजना चला रखी है। कोटा जिले में अभी तक एक भी नंदीशाला नहीं खुल पाई है। यहां इस योजना में किसी भी संस्था ने आवेदन ही नहीं किया है। इसके लिए संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- डॉ. मनोज भारती, वरिष्ठ पशु चिकित्सक
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