पहली बार डीईओ को घर बैठे मिलेगी तनख्वाह

278 डीईओ पदोन्नत तो हुए लेकिन पोस्टिंग नहीं मिलने से घरों पर बिताएंगे ग्रीष्मावकाश की छुट्टियां

पहली बार डीईओ को घर बैठे मिलेगी तनख्वाह

स्कूलों की छुट्टियों के साथ वे भी अगले डेढ़ माह तक ग्रीष्मकालीन अवकाश का लाभ लेंगे। इससे न केवल सरकारी धन का नुकसान होगा बल्कि शिक्षा विभाग में योजनाओं की क्रियान्वित भी प्रभावित होगी।

कोटा। प्रदेश में पहली बार जिला शिक्षा अधिकारी न केवल गर्मियों की छुट्टियों का आनंद लेंगे बल्कि घर बैठे लाखों रुपए की तनख्वाह भी उठाएंगे। यह कारनामा सरकारी सिस्टम की लेटलतीफी से हो पाएगा। जबकि, जिला शिक्षाधिकारी व समकक्ष सीबीईओ व एडीपीसी (समग्र शिक्षा) का पद  प्रशासनिक होता है। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी सरकार की विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन करवाने की होती है, इसलिए उन्हें ग्रीष्मावकाश नहीं मिलता।  लेकिन, प्रमोशन के बाद भी नव पदोन्नत कार्मिकों को जिला शिक्षाधिकारी (डीईओ) के पद पर अब तक पोस्टिंग यानी पदस्थापन नहीं मिला है लेकिन तनख्वाह नए पद डीईओ का मिल रहा है।  ऐसे में पद स्थापन के अभाव में  यह नव पदोन्नत डीईओ ग्रीष्मावकाश की छुट्टियां घरों पर बिताएंगे। 

278 प्राचार्यों को प्रमोशन के बाद भी नहीं मिला पदस्थापन
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 17 मई से ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू हो चुका है, जो 30 जून तक जारी रहेगा। इस दौरान शिक्षक और विद्यार्थी अगले डेढ़ माह तक गर्मियों की छुट्टियों का आनंद उठाएंगे।  साथ ही पहली बार जिला शिक्षा अधिकारी भी गर्मियों की छुट्टियां मनाएंगे। क्योंकि, राज्य में 278 स्कूल प्राचार्यों की जिला शिक्षा अधिकारी या उनके समकक्ष पद पर पदोन्नति गत फरवरी माह में हो चुकी है। इसके बावजूद  तीन माह से पदस्थापन नहीं हुआ। जिसकी वजह से यह नव पदोन्नत डीईओ अपने स्कूलों का ही कार्यभार प्राचार्य के रूप में संभालने को मजबूर हैं। शिक्षा विभाग ने अब तक इन्हें जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थापन नहीं किया है जबकि इन्हें वेतन नए पद का मिल रहा है। इस कारण स्कूलों की छुट्टियों के साथ वे भी अगले डेढ़ माह तक ग्रीष्मकालीन अवकाश का लाभ लेंगे। इससे न केवल सरकारी धन का नुकसान होगा बल्कि शिक्षा विभाग में योजनाओं की क्रियान्वित भी प्रभावित होगी। 

जिला शिक्षा अधिकारी के मुख्य कार्य 
जिला शिक्षा अधिकारी जिले में शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने और बेहतर बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन्हें शिक्षा से संबंधित सभी प्रशासनिक कार्यों का संचालन करना होता है। जिसमें शिक्षा नीतियों का क्रियान्वयन, स्कूलों का निरीक्षण, बजट का प्रबंधन, शिक्षकों की नियुक्ति, पदोन्नति, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देना शामिल है, जो इस प्रकार है।    

शिक्षा नीतियों का क्रियान्वयन: जिला शिक्षाधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि जिले में शिक्षा से संबंधित सभी नीतियां और दिशा निर्देशों का सही ढंग से पालन किया जा रहा है। 

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स्कूलों का निरीक्षण: डीईओ सरकारी और निजी स्कूलों का निरीक्षण करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्कूल्स निर्धारित मानकों का पालन कर रहे हैं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। 

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बजट और लेखा प्रबंधन: शिक्षा विभाग के बजट का प्रबंधन करते हैं और लेखांकन कार्यों को व्यवस्थित रूप से संचालित करना अहम जिम्मेदारी होती है। 

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शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति: शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति से संबंधित कार्यों का भी प्रबंधन करना डीईओ का जिम्मा है।  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, यह सुनिश्चित करना : जिले में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और पहल लागू करते हैं।  क्वालिटी एजुकेशन शिक्षण सामग्री की उपलब्धता, समग्र शिक्षा अभियान सहित शैक्षणिक कार्यक्रमों का कार्यान्वयन शामिल होता है। 

शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों और शैक्षिक कर्मचारियों के पेशेवर विकास का आयोजन करना ताकि उनके कौशल और शिक्षण विधियों में सुधारात्मक विकास हो सके।  विभिन्न प्रकार के प्रशासनिक कार्य : शिक्षा विभाग से संबंधित विभिन्न प्रशासनिक कार्यों का भी संचालन करते हैं, जिसमें उपस्थिति की निगरानी, स्थानीय प्राधिकरणों और निजी संस्थाओं को शिक्षा से संबंधित विभिन्न विषयों पर सलाह देना।  

पद रिक्त होने से यह पड़ते नकारात्मक प्रभाव
जिला शिक्षाधिकारी (डीईओ) के पद के रिक्त रहने से शिक्षा क्षेत्र में कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। जिससे जिला स्तर पर शिक्षा से संबंधित कार्य प्रभावित होने के साथ-साथ छात्रों की पढ़ाई, शिक्षकों की नियुक्तियां और विभाग की कार्यप्रणाली पर भी बुरा असर पड़ता है। 

शैक्षणिक कार्यों में रुकावट 
डीईओ के अभाव में स्कूल मॉनिटरिंग, शिक्षकों को समय पर वेतन और अन्य शैक्षणिक कार्यों में बाधा आती है। 

नियुक्ति व पदोन्नति में देरी  
रिक्त पदों के कारण शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति में देरी हो सकती है, जिसका प्रभाव स्कूल में शिक्षकों की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ता है।  

अतिरिक्त कार्यभार
 डीईओ नहीं होने से अन्य अधिकारियों को अतिरिक्त कार्यभार दिया जा सकता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिसका असर शैक्षणिक गतिविधियों पर देखने को मिलता है। 

शिक्षा की गुणवत्तापर असर 
शिक्षकों की कमी और कार्यों में रुकावट के कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। 

प्रशासनिक कार्य में व्यवधान
डीईओ जिले में शिक्षा विभाग का प्रमुख अधिकारी होता है, इसलिए पद खाली रहने से जिला प्रशासन और विभाग के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान में दिक्कतें आती है।  

विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रभाव  
सरकार के स्तर पर पदस्थापन प्रक्रियाधीन है। डीपीसी के बाद प्रमोशन भी कर दिया गया है। अब नए दायित्व का पदस्थापन किया जाना है, जो अधिकतम एक सप्ताह में हो जाएगा। 
-सतीश कुमार गुप्ता, विशेषाधिकारी शिक्षामंत्री

 शिक्षा से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने में कठिनाइयां आ सकती हैं, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।  
-प्रेमशंकर चरड़ाना, जिलाध्यक्ष बारां, शिक्षक संघ रेस्टा

जल्द हो पदस्थापन
प्रदेशभर में डीईओ व समकक्ष कई महत्वपूर्ण पद जिला शिक्षाधिकारी के पद के खाली रहने से शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली, शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए, रिक्त पदों को भरने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। 
- मोहर सिंह सलावद, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ रेस्टा 

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