बायोलॉजिकल पार्क में गूंजेगी बब्बर शेर और टाइगर की दहाड़
बब्बर शेर का जोड़ा सज्जनगढ़ से लाएंगे
इसी माह कभी भी अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में लॉयन, टाइगर व लोमड़ी जोड़े के साथ देखने को मिल सकते हैं। इस संबंध में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। वहीं, मादा भालू के लिए भी नर भालू को लाने की कोशिश है।
कोटा। शहरवासियों के लिए खुशखबरी है। राजस्थान के सबसे बडेÞ अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में अब इसी माह बब्बर शेर अली की दहाड़ सुनाई देगी। वहीं, हाईब्रिड शेरनी सुहासिनी का मंगल प्रवेश होगा। साथ ही कोटा की महक फिर से अपने पीहर लौटेगी। लेकिन, इस बार वो अकेली नहीं अपने दूल्हेराजा के साथ घर वापसी करेगी। इन सब के बीच सरप्राइज के रूप में नर व मादा लोमड़ी का जोड़ा भी बायोलॉजिकल पार्क में आया जा जाएगा। दरअसल, कोटा वन्यजीव विभाग साल के अंत यानी दिसम्बर माह में उदयपुर के सज्जनगढ़ से हाईब्रिड बब्बर शेर अली और शेरनी सुहासिनी को कोटा लाने की तैयारी में है। वहीं, जयपुर के नाहरगढ़ पार्क से बाघिन महक को नर बाघ के साथ जोड़ा बनाकर साथ लाया जाएगा। इसके अलावा एक नर व मादा लोमड़ी को भी नाहरगढ़ से लाया जाने की तैयारी है। इसके लिए कोटा वन्यजीव विभाग को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक (सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू) से परमिशन मिल चुकी है। अब वाइल्ड लाइफ एनीमल को उदयपुर व जयपुर से कोटा शिफ्ट करने की केंद्रीय जंतुआलय प्राधिकरण से सहमति मिलना बाकी है, जिसमें पत्र भेजा जा चुका है। अधिकारियों के मुताबिक सहमति मिलने ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। इसी माह कभी भी बायोलॉजिकल पार्क में लॉयन, टाइगर व लोमड़ी जोड़े के साथ देखने को मिल सकते हैं। इस संबंध में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। वहीं, मादा भालू के लिए भी नर भालू को लाने की कोशिश है।
शेर और शेरनी से आबाद होगा अभेड़ा
डीसीएफ अनुराग भटनागर ने बताया कि सज्जनगढ़ उदयपुर से कोटा बायोलॉजिकल पार्क के लिए बब्बर शेर अली और शेरनी सुहासिनी को लाया जाएगा। जिसकी सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू से परमिशन मिलने के साथ ही विभागीय तैयारियां पूरी कर ली गई है। उधर, उदयपुर चिड़ियाघर प्रशासन से भी हरी झंडी मिल चुकी है। अब सेंट्रल-जू अथॉरिटी से सहमति मिलते ही इन्हें यहां शिफ्ट कर दिया जाएगा। चूंकि बब्बर शेर हाईब्रिड होने से इसका सलेक्शन भी हाईब्रिड बब्बर शेरनी के लिए किया है। एनक्लोजर में लॉयन का ओपन एरिया करीब 173 स्क्वायर मीटर है।
अली 11 तो सुहासिनी 10 साल की
जानकारी के अनुसार बब्बर शेर अली की उम्र करीब 11 साल है। वहीं, शेरनी सुहासिनी 10 वर्ष की है। सुहासिनी इससे पहले जयपुर के नाहरगढ़-जू में थी। जहां सबसे ज्यादा साइटिंग होती थी और यह हाईब्रिड शेरनी है। वहीं, सज्जनगढ़ में पला-बड़ा अली के भी हाईब्रिड होने के चलते वन्यजीव अधिकारियों ने दोनों की जोड़ी बनाने का फैसला किया। इसलिए सुहासिनी को जयपुर से उदयपुर शिफ्ट किया गया था।
बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी लोमड़ी
बायोलॉजिकल पार्क में लोमड़ी का जोड़ा खासकर बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। अब तक लोमड़ी की चलाकी किताबों में पड़ी और सूनी थी। जिसे वह प्रत्यक्ष रूप से देखेंगे। हालांकि, लॉयन और टाइगर सभी के लिए आकर्षण बनेंगे। लोमड़ी का ओपन एरिया 1 हजार स्क्वायर मीटर होगा।
अब बायोलॉजिकल पार्क की कमाई भी बढ़ेगी
वर्तमान में बायलॉजिकल पार्क में कुल 64 वन्यजीव हैं, जिनमें 10 मांसाहारी और 54 शाकाहारी हैं। यहां आने वाले पर्यटक 50 रुपए खर्च करने के बावजूद बब्बर शेर, टाइगर, मगरमच्छ, घड़ियाल, अजगर सहित अन्य बडे़ वन्यजीव नहीं देख पाने से निराश होकर लौट रहे थे। अब बब्बर शेर, टाइगर और लोमड़ी के दीदार होने से रोमांचित हो उठेंगे। साथ ही बायोलॉजिकल पार्क की कमाई का आंकड़ा भी बढ़ेगा।
ई-रिक्शा और कैफेटेरिया भी शुरू करने की प्लानिंग
बायोलोजिकल पार्क तीन किमी दायरे में फैला हुआ है। ऐसे में पर्यटकों को वन्यजीवों को देखने के लिए लंबा चक्कर पैदल ही काटना पड़ता है। इलेक्ट्रिकल व्हीकल नहीं होने से लंबे ट्रैक पर पर्यटकों का पैदल घूमना मुश्किल हो जाता है। वहीं, कैफेटेरिया सुविधा नहीं होने से लोगों को चाय-नाश्ते के लिए परेशान होना पड़ता है। इसके अलावा पर्यटकों के बैठने के लिए छायादार शेड व वाटरकूलर भी र्प्याप्त नहीं होने से भटकना पड़ता है। पर्यटकों की तमाम समस्याओं को देखते हुए वन्यजीव विभाग ई-रिक्शा व कैफेटेरिया शुरू करने की भी तैयारियों में जुटा हुआ है।
4 साल बाद फिर से कोटा लौटेगी बाघिन महक
बाघिन महक 4 साल बाद फिर से नाहरगढ़ से कोटा लौट रही है। इस बार वह अकेली नहीं बल्कि अपने जोड़ीदार नर बाघ के साथ बायोलॉजिकल पार्क आएगी। वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अखिलेश पांडे ने बताया कि कोटा चिड़ियाघर में बाघिन महक वर्ष 2013 में जयपुर-जू से लाई गई थी। पहले इसकी जोड़ी टाइगर शत्रुघ्न के साथ बनाई थी लेकिन उसकी मौत के बाद महक अकेली हो गई। 28 अगस्त 2004 को जन्मी महक की जोडी वर्ष 2018 में बाघ मछंदर के साथ बनाई गई, सफल मेटिंग भी हुई लेकिन महक मां नहीं बन सकी। मछंदर की मौत के बाद वर्ष 2019 में केंद्रीय जंतुआलय प्राधिकरण ने महक को ब्रीडिंग के लिए नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में भिजवाने के आदेश दिए थे। इसके बाद इसे नाहरगढ़ शिफ्ट कर दिया था। एनक्लोजर में टाइगर का ओपन एरिया 400 स्क्वायर मीटर होगा।
इन वन्यजीवों की शिफ्टिंग का इंतजार
बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण के दौरान 44 एनक्लोजर बनने थे, लेकिन प्रथम चरण में मात्र 13 ही बन पाए। जबकि, 31 एनक्लोजर अभी बनने बाकी हैं। जब तक यह एनक्लोजर नहीं बनेंगे तब तक पुराने चिड़ियाघर में मौजूद अजगर, घड़ियाल, मगरमच्छ, बंदर व कछुए सहित एक दर्जन से अधिक वन्यजीव बायलॉजिकल पार्क में शिफ्ट नहीं हो पाएंगे। हालांकि दो माह पहले 4 ऐमु पक्षियों को चिड़ियाघर से बायलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया था, जिसमें से एक नर ऐमू की अगले ही दिन मौत हो गई।
बब्बर शेर अली और शेरनी सुहासिनी को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क, बाघिन महक व नर बाघ और लोमड़ी का बाबा जयपुर के नाहरगढ़ से लाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इसके लिए सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू से परमिशन मिल चुकी है। सीजेडएआई से भी सहमति मिल जाएगी। वर्तमान में अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में एक मादा भालू है, जिसका भी जोड़ा बनाने के लिए नर भालू लाने के भी प्रयास हैं। बड़े वन्यजीवों की मौजूदगी से अभेड़ा पार्क में रौनक लौट आएगी और रेवन्यू में भी इजाफा हो सकेगा।
- अनुराग भटनागर, डीसीएफ उड़नदस्ता, सीसीएफ आॅफिस कोटा

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