बारिश होते ही स्कूल की छुट्टी, पढ़ाई ठप
डेढ़ दशक से तिबारियों में चल रहा 12वीं तक का सरकारी स्कूल
बारिश में कक्षाएं संचालित करना हर दिन शिक्षकों के लिए चुनौती से कम नहीं होता।
कोटा। शहर में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां एक भी क्लास रूम नहीं है। लेकिन, तिबारियां पूरी 5 हैं, वह भी छोटी-छोटी, पर इनका इतिहास देश की आजादी से भी पुराना है। इन्हीं रियासतकालीन तिबारियों में 225 विद्यार्थी एक साथ पढ़ते हैं। किसी में एक से पांच तो किसी में दो-दो कक्षाएं एक साथ चलती हैं। क्वालिटी एजुकेशन तो छोड़िए शोर-शराबे के बीच शिक्षक अपनी बात ठीक से बच्चों को समझा भी नहीं पाते। बरहाल, यह स्कूल कोई छोटा-मोटा नहीं है बल्कि सीनियर सैकंडरी है। यहां कक्षा एक से 12वीं तक की क्लासें संचालित होती है। हम बात कर रहे हैं, पाटनपोल क्षेत्र के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय ब्रजराजपुरा-1 की। यह स्कूल करीब 150 साल से किराए के भवन चित्तौड़ा का नोहरा में चल रहा है। बरसात के साथ हादसे का खतरा भी मंडरा रहा है। वहीं स्थानीय निवासियों का कहना है कि बरसात होने के दौरान बच्चों की छूट्टी कर दी जाती है।
150 साल से तिबारियों में चल रहा स्कूल
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय ब्रजराजपुरा-1 करीब 150 साल से चित्तौड़ा समाज के भवन में चल रहा है। यह दो मंजिला है लेकिन स्कूल पहली मंजिल में ही चलता है। यहां 5 तिबारियां व काल कोठरी जैसे 4 कमरे हैं, जिनमें एक कमरा मिल्क पाउडर व किताबों का ढेर लगा है। दूसरे में कुर्सियां, तीसरे में कुछ कम्प्यूटर रखे हैं। वहीं, एक कमरा प्राचार्य कक्ष है। जबकि, कक्षाएं लगाने के लिए एक भी कक्षा कक्ष नहीं है। 200 से ज्यादा बच्चे इन्हीं तिबारियों में पड़ने को मजबूर हैं।
बरसात होते ही पढ़ाई ठप और भाग दौड़ शुरू
स्थानीय निवासियों ने बताया कि बरसात होने के साथ ही स्कूल में पढ़ाई ठप हो जाती है। पानी से बचने की जद्दोजहद में भगदड़ मच जाती है। इस दौरान गिरते-पड़ते बच्चे अन्य बरामदों में शरण लेते हैं। अधिकतर बच्चे बारिश से खुद का बचाव नहीं पाते। ऐसे में विद्यार्थी और शिक्षक बारिश में भीगने से बीमार तक हो जाते हैं। बरसात के दौरान स्कूल की छुट्टी कर दी जाती है।
टीनशेड के नीचे लगती एक साथ 5 क्लासें
स्कूल के आंगन में करीब 30 फीट लंबी गैलरी है, यहां टीनशेड के नीचे कक्षा 1 से 5वीं तक की कक्षाएं एक साथ संचालित होती हैं। जबकि, वर्तमान में पांचों कक्षाओं को मिलाकर कुल 110 बच्चे अध्ययनरत हैं। वहीं, एक साथ पांच कक्षाएं संचालित होने से शोर-शराबा इतना होता है कि शिक्षक बच्चों को अपनी बात ठीक से समझा भी नहीं पाते। कक्षाएं संचालित करना हर दिन शिक्षकों के लिए चुनौती से कम नहीं होता।
कहां लगेगी 11वीं व 12वीं कक्षा, पता नहीं
प्राचार्य कक्ष के सामने 12 फीट लंबी और 6 फीट चौड़ी गैलरी है, जो 6-6 फीट में दो भागों में बंटी हैं। एक में कक्षा 11वीं और दूसरी में 12वीं चलती हैं। जबकि, यहां पढ़ाने को दीवार पर बोर्ड तक नहीं है। कई बार कोई टॉपिक समझाने के लिए बोर्ड की जरूरत होती है तो क्लास लगाने के लिए बोर्ड लगी जगह ढूंढनी पड़ती हैं। विद्यार्थियों ने बताया कि स्कूल आने के दौरान पता नहीं होता है कि आज 12वीं की कक्षाएं कहां लगेगी।
8 फीट की गैलरी में 7वीं व 9वीं कक्षा
स्कूल परिसर में 35 फीट लंबी और 8 फीट चौड़ी गैलरी है। जिसमें दो पंखें लगे हैं। दीवारों व छत से उठती सीलन की दुर्गंध के बीच एक साथ दो कक्षाएं संचालित होती हैं। तिबारीनुमा गैलरी में कक्षा 9 व 7वीं की क्लास एक साथ लगती है। दोनों कक्षाओं को मिलाकर करीब 55 से 60 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। क्वालिटी एजुकेशन मिलना तो दूर बच्चे ठीक से भी नहीं बैठ पाते।
किताबें व मिल्क पाउडर खराब होने का खतरा
स्कूल में एक कमरा है, जिसकी पूरी दीवारों पर सीलन है और इसमें बच्चों को बांटने के लिए आई किताबों का ढेर लगा है वहीं, मिल्क पाउडर के पैकेट रखे हैं। छतें टपकने से इनके खराब होने का खतरा रहता है।
स्कूल में किसी भी तरह की कोई समस्या है तो वहां के प्रिंसिपल को हमसे सम्पर्क करना चाहिए। परेशानी बताएंगे तो हम समाधान जरूर निकालेंगे। हमारी तरफ से स्कूलों की हर संभव मदद की जाती है। ब्रजराजपुरा स्कूल की प्रिंसिपल ने कभी कोई समस्या नहीं बताई और न ही कोई प्रस्ताव भिजवाया। विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए स्कूलों में सभी जरूरी इंतजाम करवा रहे हैं।
- प्रदीप चौधरी, मुख्य जिला शिक्षाधिकारी, माध्यमिक शिक्षा विभाग कोटा
स्कूल में कक्षा-कक्ष नहीं होने से बारिश के दिनों में बच्चों को बिठाने में परेशानी होती है। बरामदों में पार्टेशन करवाना चाहते हैं ताकि पढ़ाई के दौरान व्यवधान न हो। बारिश से बचाव के लिए आंगन में टीनशेड करवाने की जरूरत है। इसके लिए फरवरी माह में रमसा को प्रस्ताव बनाकर भिजवाए थे। लेकिन अभी तक बजट नहीं मिला। चित्तौड़ा समाज से ऊपरी मंजिल पर बने कमरे किराए पर देने की मांग की थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
- बिंदू अग्रवाल, प्रिंसिपल, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय ब्रजराजपुरा-1
समाज का निर्णय है, इसलिए स्कूल के ऊपर का भवन नहीं दे सकते। जमीन के बदले जमीन मिले तो हम यह जगह छोड़ने को तैयार हैं। हालांकि, इस संबंध में अभी तक किसी भी अधिकारी ने हमसे बात नहीं की। स्कूल वाले जरूर मांग करते हैं।
- पुरूषोत्तम चित्तौड़ा, अध्यक्ष, चित्तौड़ा समाज

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