वाहनों को नहीं पेड़ों की छांव का सहारा

भीषण गर्मी में धूप में तप रहे वाहन

वाहनों को नहीं पेड़ों की छांव का सहारा

वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है और पेड़ व छाया की जगह नहीं होने से परेशानी भी लोगों को ही भुगतानी पड़ रही है।

कोटा। दृश्य 1 - सीएडी रोड स्थित नगर विकास न्यास का कार्यालय इतना बड़ा है कि उसमें एक साथ कई वाहन खड़े हो रहे हैं। लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों के अलावा कार्यालय आने वाले आमजन के वाहनों को धूप में ही खड़ा करना पड़ रहा है। वहां पर्याप्त छांव की व्यवस्था तक नहीं है। 

दृश्य 2 - नगर निगम कार्यालय के बेसमेंट में अंडरग्राउंड पार्किंग में वाहन खड़े करने की जगह नहीं होने से आमजन के वाहन आंगन में धूप में ही खड़े हो रहे हैं। वहां वाहनों को छांव में खड़ा करने की जगह तक नहीं है। 

दृश्य 3 - कलक्ट्रेट परिसर में पुराने पेड़ तो हैं लेकिन उनकी छांव में गिनती के ही वाहन ड़े हो पा रहे हैं। पार्किंग से लेकर अन्य स्थानों पर आमजन के वाहन भीषण गर्मी में भी धूप में खड़े हो रहे हैं। जिससे वे तप रहे हैं। 

यह तो उदाहरण मात्र हैं सरकारी कार्यालयों में गर्मी में भी धूप में वाहन खड़े होने के। इनके अलावा अधिकतर सरकारी कार्यालय ही नहीं शहर में अधिकतर जगहों पर वाहन खुले में ही खड़े हो रहे हैं। हालत यह है कि लोगों ने पुराने पेड़ों को तो काट दिया और उनकी जगह पर नए पेड़ नहीं लगाए। जिससे पुराने कोटा शहर की तुलना में नए कोटा शहर में पेड़ों की छांव मुश्किल से ही नसीब हो पा रही है। मुख्य मार्गों से लेकर अधिकतर जगहों पर या तो पेड़ नजर ही नहीं आएंगे। यदि पेड़ नजर भी आ जाएंगे तो उनकी छांव नीचे तक नहीं आएगी। जिससे गर्मी में राहगीरों को उन पेड़ों की छांव मिल सके। 

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गर्मी में तप रहे वाहन, हो रहे पंचर 
शहर में जिस तरह से तापमान 44 डिग्री के पार पहुंच गया है और भीषण गर्मी पड़ रही है। इस गर्मी में वाहनों को छाया में खड़ी करनी की जगह तक नहीं मिल रही है। जिससे धूप में थोड़ी देर भी वाहन खड़े रहने पर एक तो उनकी सीट इतनी अधिक गर्म हो रही है कि उस पर बैठना मुश्किल हो रहा है। साथ ही धूप में खड़े रहने से अधिकतर वाहनों की हवा या तो कम हो रही है या टायर पंचर हो रहे हैं। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

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पेड़ों को इतना काटा कि अब पछता रहे
जानकारों के अनुसार कोटा में पहले काफी अधिक पेड़ थे। बाग के बाग हुआ करते थे। मुख्य मार्गों पर पुराने पेड़ थे जिनकी छांव में लोग राहत महसूस करते थे। लेकिन विकास के नाम पर पेड़ों की भेंट चढ़ती गई और धीरे-धीरे अधिकतर पेड़ नष्ट हो गए। अब हालत यह है कि नए पेड़ लग नहीं रहे। लग रहे हैं तो बड़े होने से पहले ही नष्ट हो रहे हैं। जिसे अब पेड़ों की छांव नसीब नहीं होने से लोगों को पछताना पड़ रहा है। हालांकि पेड़ों की कमी और गर्मी को देखते हुए संभागीय आयुक्त उर्मिला राजोरिया ने बुधवार को सीएडी स्थित अपने कार्यालय में 5 पौधे रोपकर एक व्यक्ति एक पेड़ अभियान की शुरुआत की। साथ ही आमजन से अधिक से अधिक पेड़ लगाने का आह्वान किया।  

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यहां भी यही है हालत
सरकारी कार्यालयों में ही नहीं बैंक, होटल, मॉल या किसी शोरूम में जाने वाले लोगों को भी धूप में ही वाहन खड़े करने पड़ रहे हैं। कहीं भी छाया  की सुविधा नहीं है। इतना ही नहीं शहर में विभिन्न स्थानों पर संचालित हो रही पार्किंग में भी छाया की व्यवस्था नहीं हैं। जिससे वहां भी लोगों को धूप में ही वाहन खड़े करने पड़ रहे है। फिर चाहे वह बस स्टैंड की पार्किंग हो या रेलवे स्टेशन की। एमबीएस की पार्किंग हो या कलक्ट्रेट की। अदालत की पार्किंग हो या मॉल की। चम्बल गार्डन समय अन्य स्थानों की पाकिरंग के भी कमोवेश यही हाल हैं। सिर्फ नगर विकास न्यास की मल्टी स्टोरी पार्किंग को छोड़कर अन्य कहीं भी सुविधा नहीं है। नगर विकास न्यास कार्यालय में नए विस्तारित भवन में पार्किंग बनाई है। वहां अधिकारियों व कर्मचारियों के ही वाहन खड़े पाते हैं। यहां लोगों से वाहन पार्किंग के दस से 20 रुपए तक वसूले जा रहे हैं लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं।

छाया वाली जगह मिलना मुश्किल
दादाबाड़ी निवासी वसीम खान का कहना है कि वह न्यास कार्यालय में कार से किसी काम से आए थे। कार को धूप में ही खड़ा करना पड़ा। छाया वाली जगह देखी लेकिन नहीं मिली। जहां छाया थी वहां पहले से ही कई वाहन खड़े हुए थे। प्रताप नगर बोरखेड़ा निवासी शम्भू सिंह सोलंकी का कहना है कि गर्मी में थोड़ी सी देर भी वाहन विशेष रूप से दो पहिया वाहन धूप में खड़े रहने पर उनकी सीट इतनी तप जाती है कि उस पर बैठना मुश्किल हो जाता है। साथ ही कई बार टायरों की हवा निकल जाती है। जिससे परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह परेशानी इन दिनों कई बार भुगत चुका हूं।  छावनी निवासी जगदीश हाड़ा का कहना है कि जिस तरह की स्थिति पेड़ों को काटने से बनी है। उससे छांव नहीं मिलने के लिए लोग ही जिम्मेदार हैं। वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है और पेड़ व छाया की जगह नहीं होने से अब परेशानी भी लोगों को ही भुगतानी पड़ रही है। पुराने शहर में नयापुरा व स्टेशन क्षेत्र में तो छाया की जगह मिल जाती है जबकि नए कोटा में अधिक समस्या है। 

पहले सड़क पर खड़े होते थे वाहन
नगर विकास न्यास अधिकारियों का कहना है कि नए विस्तारित भवन में पार्किंग बनाई है। वहां जगह देखकर लोग वाहन खड़ा कर सकते हैं। लेकिन लोग भी जहां जगह मिलती है वहीं वाहन खड़े कर देते हैं। इतने अधिक वाहन आते हैं कि सभी के लिए छाया की व्यवस्था कार्यालय में करना मुश्किल है। हालांकि पहले जगह की कमी होने से लोगों के वाहन कार्यालय के बाहर सड़क पर ही खड़े होते थे। अब अंदर इतनी जगह तो कर दी है कि लोगों के जितने भी वाहन आए अनदर आसानी से और व्यवस्थित रूप से खड़े हो रहे हैं। दो पहिया वाहन तो साइड  में पेड़ के नीचे खड़े हो रहे हैं। चार पहिया वाहनों को धूप में खड़ा करना पड़ रहा है। 

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