नौतपा में सूरज पी गया कोटा के बांधों का 140.8 मिलियन घनमीटर पानी, बांधों और तालाबों का गिर रहा जलस्तर
तीखी धूप से पानी तेजी से होने लगा वाष्पीकृत
नौतपा के दौरान गर्मी तेजी से बढ़ रही है और कुछ जिलों का तापमान तो 45 डिग्री तक पहुंच गया है
कोटा। नौतपा के दौरान गर्मी तेजी से बढ़ रही है और कुछ जिलों का तापमान तो 45 डिग्री तक पहुंच गया है। अब तीखी धूप पानी को तेजी से वाष्पीकृत कर रही है। कोटा के बांधों का 140.8 मिलियन घनमीटर पानी नौतपा पी गया है। लिहाजा बांध-तालाबों का जल स्तर तेजी से गिर रहा है। नौतपा के दिनों में कोटा संभाग सहित प्रदेश के छोटे बांधों में पानी तेजी से घटने लगा है। दो माह में ही करीब चार प्रतिशत पानी कम हो गया, जबकि औसत रूप से पानी निकासी का आंकड़ा तीन से साढ़े तीन प्रतिशत रहता आया है। छोटे-मध्यम श्रेणी के खाली होने वाले बांध की संख्या 335 से बढ़कर 353 पहुंच गई है। इसके अलावा 25 से 30 प्रतिशत पानी का वाष्पीकरण होता रहा है, जो इस बार कुछ ज्यादा होने की आशंका है। इस साल गर्मी का असर ज्यादा होने के कारण वर्तमान में 40 प्रतिशत पानी का वाष्पीकरण हो रहा है।
अधिकांश बांधों में 40.90 प्रतिशत पानी
राजस्थान के बांधों में पिछले वर्ष की तुलना में इस साल 4.55 फीसदी पानी ज्यादा है, लेकिन भीषण गर्मी के बीच बांधों में पानी का स्टोरेज भी तेजी से घट रहा है। अभी तक 335 बांध खाली हो चुके हैं, जबकि 349 बांधों में थोड़ा ही पानी बचा है। इनमें कोटा जिले के कुछ छोटे बांध और तालाब भी शामिल है। हालांकि प्रदेश के सात बड़े बांधों से राहत मिलने की जरूर आस बंधी है, जहां जरूरत के अनुरूप पानी उपलब्ध होने का दावा किया जा रहा है। इनमें कोटा जोन के चम्बल नदी पर स्थित तीनों बांध भी शामिल है। प्रदेश के बांधों में दो माह पहले 44.84 प्रतिशत पानी था, जो अब घटकर 40.90 प्रतिशत रह गया। वहीं पिछले एक माह की बात करें तो बांधों में 43.36 प्रतिशत पानी था, जो अब घटकर 40.90 प्रतिशत रहा गया है। कुछ ही समय में पानी की निकासी का यह अंतर परेशान करने वाला है।
बांधों में जलराशि की स्थिति
55.10 प्रतिशत ही पानी प्रदेश के बड़े 22 बांधों में
22.71 प्रतिशत ही भरे है प्रदेश के 261 मध्यम बांध
11.73 प्रतिशत पानी बचा 408 छोटे बांध-तालाबों में
40.36 प्रतिशत पानी बचा सभी बांध-तालाबों में
87.16 प्रतिशत पानी था 6 माह पहले बांध-तालाबों में
बांध भराव क्षमता, जलस्तर (फीट में)
- गांधी सागर 1312 1287.96
- राणाप्रताप सागर 1157.50 1155.56
- जवाहर सागर 980 978.10
- कोटा बैराज 854 854.00
केवल चंबल के बांधों में सबसे ज्यादा जलराशि
जानकारी के अनुसार प्रदेश में 22 बड़े बांध हैं, जिनकी जल भराव क्षमता 8104.656 एमसीएम है, जिसमें वर्तमान में 4977.386 पानी है। जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कोटा संभाग के बांधों में सबसे अधिक पानी की उपलब्धता है। कोटा संभाग में मई माह में पानी की उपलब्धता 59.40% है जबकि जोधपुर संभाग के बांधों में केवल 22.50% ही पानी शेष बचा है। रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में पिछले साल अच्छी बरसात होने के कारण बांधों में पानी की पर्याप्त आवक हुई है। इस कारण चंबल के चारों बांधों में अथाह जलराशि मौजूद है। राजस्थान के कई क्षेत्रों में बरसात कम होने से अधिकांश बांधों में जलभराव की स्थिति काफी विकट है। अब गर्मी बढ़ने से कई बांधों में पानी रीतने लगा है।
चम्बल के बांधों में पर्याप्त पानी होने से किसानों को सिंचाई के लिए समय पर पानी मिलना चाहिए। जिले के अधिकांश किसान नहरी पानी पर आश्रित हैं। ऐसे में गर्मी में भी बांधों में पर्याप्त पानी होना अच्छी खबर हैं। इससे किसानों की फसलों का अच्छा उत्पादन हो सकेगा।
- जगदीश कुमार, किसान नेता
पिछले बरसों में मानसूनी बरसात के अलावा भी पानी मिलता रहा है, जिससे जल स्रोत कम खाली हुए। हालांकि गर्मी तेज होने पर वाष्पीकरण भी तेज होता है। अब जो पानी बचा है, वह पेयजल के अलावा वाष्पीकरण में जाएगा। यह पानी खत्म होने से पहले मानसून आना चाहिए, जिससे बांध फिर से भर जाए।
- भारतरत्न गौड, रिटायर्ड एक्सईएन, जल संसाधन विभाग

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