ट्रैेफिक सिग्नल फ्री शहर को कैटल फ्री होने का इंंतजार
पर्यटन नगरी की सुंदरता में बाधक बन रहे मवेशी : शहर में मुख्य मार्गों से कम नहीं हो रहे मवेशियों के झुंड
शहर में पहले की तुलना में मवेशियों की संख्या में कमी तो आई है लेकिन यह पूरी तरह से सड़कों से नहीं हट सके हैं।
कोटा। नगर विकास न्यास की ओर से शहर को ट्रैफिक लाइन सिग् नल फ्री तो बना दिया जबकि कैटल फ्री होने का इंतजार बाकी है। हालाकि इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन पर्यटन नगरी के रूप में विकसित हो रहे शहर में मुख्य मार्गों पर लगे मवेशियों के झुंड यातायात में बाधक बनने के साथ ही सुंदरता को भी बिगाड़ रहे हैं। शहर में करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवाए गए हैं। जिससे शहर की सूरत ही बदल गई है। विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल चम्बल रिवर फ्रंट व आॅक्सीजोन सिटी पार्क का उद्घाटन होने के बाद यहां देशी विदेशी पर्यटकों का आवागमन भी बढ़ा है। ऐसे में शहर एक ओर जहां स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल होने के साथ ही पर्यटन के क्षेत्र में विकसित हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ मुख्टय मार्गों पर लगा मवेशियों का झुंड शहर की सुंदरता को बिगाड़ने के साथ ही यातायात में भी बाधक बन रहे हैं।
यह हैं वर्तमान में हालत
शहर में पहले की तुलना में मवेशियों की संख्या में कमी तो आई है लेकिन यह पूरी तरह से सड़कों से नहीं हट सके हैं। वर्तमान में हालत यह है कि वीआईपी क्षेत्र कलक्ट्रेट के आस-पास जहां अधिकारियों के आवास व सरकारी कार्यालय, अदालत व सर्किट हाउस हैं। वहां भी दिनभर मवेशियों के झुंड बीच सड़क पर खड़े देखे जा सकते हैं। संभाग का सबसे बड़ा एमबीएस व जे.के. लोन अस्पताल जहां रोजाना हजारों मरीज व तीमारदार आ रहे हैं। उसके सामने झुंड में बैठे मवेशी हादसों का कारण बनने के साथ ही शहर की सुंदरता में ग्रहण की तरह नजर आ रहे हैं। करोड़ों रुपए की लागत से विकसित किए गए शहर के प्रवेश नयापुरा विवेकानंद चौराहा हो या नवल सर्किल, कोटड़ी चौराहे पर ग्रेड सेपरेटर के पास दिनभर मवेशियों के झुंड खड़े होकर हादसों का कारण बन रहे हैं। यहां जगह पहले से ही संकरी है ऐसे में मवेशी राह में बाधक बन रहे हैं। सीएडी रोड, घोड़ा बस्ती के सामने, डीसीएम रोड, धानमंडी के सामने रात के समय तो यहां झुंड कई जगह पर बैठा व खड़ा देखा जा सकता है। दिन में भी यही हालत है। इसी तरह की स्थिति चम्बल गार्डन के सामने से लेकर पूरे शहर की है। जबकि गलियों की हालत तो इससे भी बदतर है। छावनी बाजार हो या शहर की सभी सब्जीमंडी वहां भी मवेशियों की संख्या काफी अधिक है।
अधिकतर पशु पालक देव नारायण योजना में शिफ्ट
शहर को कैटल फ्री बनाने की दिशा में नगर विकास न्यास ने प्रयास कर बंधा धर्मपुरा में करोड़ों रुपए की लाग से देव नारायण आवासीय योजना विकसित की है। शहर में बाड़े बनाकर व अतिक्रमण कर डेयरी संचालित करने वाले अधिकतर पशु पालकों को उस योजना में शिफ्ट किया जा चुुका है। उसके बाद भी अभी तक शहर में पशु पालक और उनके पशु सड़कों पर घूमते देखे जा सकते हैं।
न्यास ने किया प्रयास, निगम निभाए जिम्मेदारी
शहर वासियों का कहना है कि नगर विकास न्यास ने करोड़ों रुपए से पशु पालकों के लिए योजाना तैयार की है। अब सड़क पर घूमने वाले पशुओं को पकड़ने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। निगम सड़कों से मवेशी पकड़कर गौशाला में बंद करे। खेड़ली फाटक निवासी शांति देवी ने कहा कि मुख्य मार्गों पर मवेशियों के झुंड खड़े होने से निकलने में ही डर लगता है। कई लोगों के साथ मवेशियों द्वारा हादसे होने से इन्हें एक निर्धारित जगह पर रखा जाना चाहिए। नयापुरा निवासी राजेश विजय का कहना है कि शहर में जिस तरह का विकास हुआ है। उसमें मवेशियों को सड़कों से हटा दिया जाएगा तो शहर की सुंदरता में चार चांद लग जाएंगमे। हालांकि शहर में कई जगह पर गौशालाएं होने से वहां चारा डाला जा रहा है।
इनका कहना है
गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। उसकी रक्षा व सुरक्षा की जिम्मेदारी भी नगर निगम को निभनी चाहिए। निगम की ओर से लगातार सड़कों से मवेशियों को पकड़ा जा रहा है। लेकिन कई बार संसाधन नहीं होने या विवाद की स्थिति बनने से भी परेशानी होती है। अब तो पशुओं को छोड़ने का जुर्माना भी बढ़ा दिया है। कोटा उत्तर व दक्षिण दोनों निगमों में संवेदक के माध्यम से पशुओं को पकड़ा जा रहा है। गौशाला में भी व्यवस्था सुधार दी है। जिससे अब वहां भी गौवंश की मौत का आंकड़ा पहले से कम हुआ है।
- जितेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, गौशाला समिति, नगर निगम

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