हम भी जर्जर हैं... अब तो सुध लो सरकार

मरम्मत की बाट जोह रहे चंबल के बांध

हम भी जर्जर हैं... अब तो सुध लो सरकार

दस साल से सरकारी विभागों में घूम रही फाइल।

कोटा। चंबल नदी पर स्थित कोटा बैराज, जवाहर सागर और राणाप्रताप सागर बांध  उम्रदराज होने के साथ जर्जर हो चुके हैं। यह बांध पिछले दस साल से अपने जीर्णोद्धार का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इनकी फाइल इधर से उधर ही घूम रही है। चंबल वैली प्रोजेक्ट के तहत राणा प्रताप सागर (आरपीएस), जवाहर सागर (जेएस) बांध और कोटा बैराज के जीर्णोद्धार का काम होना है। इसके लिए वर्ल्ड बैंक से डैम रिहैबिलिटेशन इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट (ड्रिप) के तहत 236.23 करोड़ रुपए की राशि काफी समय पहले स्वीकृत हो चुकी है। इसके बाद गत दिनों सरकार ने संशोधित प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी है, लेकिन अब भी इसकी तकनीकी और वित्तीय स्वीकृति की प्रक्रिया होनी है। इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा यह कोई नहीं कर सकता है। झालावाड़ के पिपलोदी स्कूल हादसे के बीच सरकार ने जर्जर भवनों की सूची तैयार का कार्य शुरू कर दिया है। ऐसे में अब चंबल नदी के जर्जर बांधों को भी सरकार से आस है कि उनकी जीर्णोद्धार की फाइल तेज गति से चलेगी और जल्द उनको संजीवनी मिल सकेगी।

फैक्ट फाइल
बांध मरम्मत राशि करोड़ों में
कोटा बैराज    72.10 
राणाप्रताप सागर    85.45 
जवाहर सागर    78.68 

तीन बार निविदा निकाली, फिर भी हाथ रहे खाली
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार तीनों बांधों की मरम्मत के लिए जल संसाधन विभाग ने 14 अगस्त 2023 को निविदा जारी की थी, लेकिन किसी भी संवेदक फर्म ने इसमें टेंडर नहीं डाले। इसके बाद 28 सितंबर 2023 को एक बार फिर निविदा जारी की गई थी, इसमें भी यही हालात रहे। इसके बाद विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई थी, जिसके चलते निविदा जारी नहीं कर पाए। आचार संहिता हटते ही 22 दिसंबर 2023 को दोबारा निविदा जारी कर दी गई थी। हालांकि इसमें हाइड्रो मैकेनिक के लिए कोई नहीं आया, दो फर्म सिविल वर्क के लिए पार्टिसिपेट करने आई, लेकिन इन कार्यों को करने के लिए अनुभव उनके पास नहीं था। साथ ही जिन मापदंड के जरिए बांधों में काम होना है। उसके अनुरूप वो सक्षम नहीं पाए गए थे, ऐसे में वो डिसक्वालीफाई हो गए थे। 

बांधों के गेटों पर  लग चुका जंग 
जानकारी के अनुसार कोटा बैराज, जवाहर सागर और राणा प्रताप सागर बांध करीब 60 से 65 साल पुराने बने हुए हैं। तीनों बांधों के गेटों पर जंग लग चुका है। इन गेटों की काफी समय से मरम्मत नहीं हुई है। ऐसे में इनमें जंग की मात्रा बढ़ती जा रही है। कोटा बैराज की सुरक्षा दीवार भी दरकी चुकी है। हर साल आयलिंग और ग्रिसिंग कर इन बांधों की संजीवनी देने का कार्य किया जा रहा है। वर्ल्ड बैंक से स्वीकृत बजट में इन बांधों पर सिविल और मैकेनिकल के कार्य करवाए जाएंगे। इसके तहत हाइड्रो मैकेनिकल वर्क में पुराने गेट व स्लूज गेट बदलने हैं। पूर्व में इस तरह के काम करने वाले संवेदकों को बुलाकर बातचीत भी की गई और उन्हें पूरे काम के संबंध में समझाया भी गया था।  इसके बावजूद कोई संवेदक नहीं आया था। पुराने बांधों की मेंटेनेंस के काम के लिए काफी दिक्कत आती है, संवेदक इसलिए भी सामने नहीं आ रहे हैं।

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रोबोटिक अंडरग्राउंड वॉटर सर्वे  में मिली थी खामियां
राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग के चंबल नदी के तीनों बांध का अंडरवाटर सर्वे करवाया था। इसमें रोबोट के जरिए अंडर ग्राउंड वाटर वीडियोग्राफी करवाई गई थी, जिसके अंदर डैम बॉडी की पूरी पिक्चर रोबोट ने ली थी, उनका पूरा एसेसमेंट बनाकर सर्वे करने वाली कंपनी ने रिपोर्ट दी थी। इसमें कोटा बैराज, जवाहर सागर बांध और राणा प्रताप सागर बांध की बॉडी के स्ट्रक्चर में खामियां सामने नहीं आई हैं। जिनके लिए भी अब काम किया जाएगा। इसके अलावा बांधों के दरवाजों का हेल्थ असेसमेंट अल्ट्रासाउंड तकनीक व मशीनरी के जरिए करवाया गया था, जिसमें कई गेट को बदलने और दुरुस्त करने का पैसा पास हुआ था।

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इनका कहना है
यदि बांधों की तकनीकी स्थिति बेहतर होती है तो नहरों में पानी की उपलब्धता नियमित होगी। इससे सिंचाई समय पर होगी और फसलों का उत्पादन 20 से 25 फीसदी तक बढ़ सकता है। यदि बांधों के गेटस और चैनलों की स्थिति मजबूत होती है तो अनावश्यक जल हानि और कटाव को भी रोका जा सकेगा।
- रमेश कुमार, सेवानिवृत्त कृषि अधिकार

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वर्ल्ड बैंक से डैम रिहैबिलिटेशन इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट (ड्रिप) के तहत 236.23 करोड़ रुपए की राशि से तीनों बांधों की मरम्मत कराई जाएगी। गत दिनों सरकार ने तीनों बांधों के लिए संशोधित प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी है। अब तकनीकी और वित्तीय स्वीकृत की प्रक्रिया शुरू होगी। जैसे ही इसकी स्वीकृति  मिलेगी तो बांधों के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।
- सुनील गुप्ता, अधीक्षण अभियंता, जल संसाधन विभाग कोटा 

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