जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल : राष्ट्र भाषा से दूर होकर लोग भूल रहे अपनी संस्कृति, जावेद अख्तर बोले- अंग्रेजी जरूरी, लेकिन हिन्दी भी साथ ले चलें; सुनाया 500 साल पुराना दोहा

फ्रंट लॉन में किताब की लॉन्चिंग की

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल : राष्ट्र भाषा से दूर होकर लोग भूल रहे अपनी संस्कृति, जावेद अख्तर बोले- अंग्रेजी जरूरी, लेकिन हिन्दी  भी साथ ले चलें; सुनाया 500 साल पुराना दोहा

जावेद अख्तर की ओर से लिखी पुस्तक सीपियां दोहों के ऊपर लिखी गई किताब है, दोहों के माध्यम से जावेद ने न्यू जनरेशन को सीपियां बांटी हैं

जयपुर। जावेद अख्तर की ओर से लिखी पुस्तक सीपियां दोहों के ऊपर लिखी गई किताब है। दोहों के माध्यम से जावेद ने न्यू जनरेशन को सीपियां बांटी हैं। फ्रंट लॉन में इस किताब की लॉन्चिंग की गई। इस दौरान उन्होंने अतुल तिवारी के साथ बातचीत के दौरान कहा कि जावेद ने कहा कि ये किताब लिखने का विचार स्वयं नहीं आया था। एक सज्जन ने मुझे कहा कि लोगों को दोहों के बारे में नहीं पता है। इस बारे में आप बात कर सकते हैं। भाषा में पहले कहावतें हुआ करती थीं, वो अब गायब सी हो गई हैं। 

ये ट्रेजेडी अकेले दोहों के साथ नहीं हुई है। आजकल लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में एडमिशन करने पर जोर देते हैं। इससे बच्चे अपनी राष्ट्र भाषा से दूर हो रहे हैं, कट रहे हैं। अपनी संस्कृति भूल रहे हो। इसलिए अपनी भाषा जानना बहुत जरूरी है। भले ही अंग्रेजी जानना बहुत जरूरी है, लेकिन हिन्दी भाषा को भी साथ लेते चलें। सत्र के दौरान उन्होंने रहीम का दोहा सुनाया जो करीब पांच सौ साल पहले लिखा था।

जावेद अख्तर की पुस्तक पर ऑटोग्राफ लेने उमड़ी भारी भीड़
प्रख्यात गीतकार और लेखक जावेद अख्तर की नई पुस्तक "सीपीया" को लेकर जेएल एफ में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। पुस्तक के विमोचन के बाद ऑटोग्राफ सेशन के दौरान करीब 300 मीटर लंबी लाइन में उनके प्रशंसक खड़े नजर आए।

कार्यक्रम में सैकड़ों लोग उनकी एक झलक पाने और पुस्तक पर उनके हस्ताक्षर कराने पहुंचे। जावेद अख्तर ने भी पूरी आत्मीयता से अपने चाहने वालों से मुलाकात की और हर पुस्तक पर हस्ताक्षर किए। आयोजन स्थल पर जबरदस्त उत्साह देखने को मिला, जहां युवा, साहित्य प्रेमी और फिल्मी दुनिया के प्रशंसक बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस मौके पर जावेद अख्तर ने अपनी पुस्तक और लेखन पर विचार साझा किए। उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि घंटों इंतजार के बावजूद प्रशंसकों का जोश कम नहीं हुआ। यह आयोजन उनके साहित्यिक कद और लोकप्रियता का एक और प्रमाण साबित हुआ।

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