High Court : उच्च न्यायालय से थड़ी-ठेला संचालकों को बड़ी राहत
हाई कोर्ट ने नेशनल ह्यूमन राइट एंड सोशल जस्टिस ऑर्गेनाइजेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिये
राजस्थान उच्च न्यायालय ने प्रदेश के थड़ी-ठेला संचालक (स्ट्रीट वेंडर्स) को बड़ी राहत देते हुए नॉन वेंडिग जोन में थड़ी-ठेला लगाने वाले नॉन लाइसेंसी वेंडर्स पर सख्ती नहीं करने के आदेश दिए हैं।
जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने प्रदेश के थड़ी-ठेला संचालक (स्ट्रीट वेंडर्स) को बड़ी राहत देते हुए नॉन वेंडिग जोन में थड़ी-ठेला लगाने वाले नॉन लाइसेंसी वेंडर्स पर सख्ती नहीं करने के आदेश दिए हैं।
न्यायमूर्ति पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने मंगलवार को नेशनल ह्यूमन राइट एंड सोशल जस्टिस ऑर्गेनाइजेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। ऑर्गेनाइजेशन ने याचिका में कहा कि प्रदेश में साल 2011 में स्ट्रीट वेंडर एक्ट बना था, लेकिन पिछले 13 साल में भी जयपुर शहर सहित प्रदेश के अन्य शहरों में वेंडिग जोन नहीं बनाए गए है। ऐसे में स्ट्रीट वेंडर सड़क किनारे और फुटपाथ पर थड़ी-ठेला लगाने पर मजबूर हैं।
ऐसा करने पर पुलिस और स्थानीय निकाय द्वारा इन पर कार्रवाई की जाती है, जिससे इनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाता है। इस पर न्यायालय ने स्ट्रीट वेंडर को अंतरिम राहत देते हुए इन पर कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। वहीं सरकार, गृह विभाग, स्वायत्त शासन निकाय और डीजीपी से जवाब मांगा है।
जनहित याचिका में पैरवी करने वाले वकील संजय जोशी ने कहा कि एक्ट लागू होने के बाद जयपुर शहर में करीब 86 वेंडिंग जोन बनने थे लेकिन आज तक एक भी वेंडिंग जोन नगर निगम ने शहर में नोटिफाई नहीं किया, जबकि साल 2017 में अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निगम को छह महीने में पूरी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।

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