शहरों के सपने अधूरे क्यों : टूटी सड़कें, जर्जर पाइपलाइनें और मेनहॉल से उगलता सीवरेज दिखा रहा शहरी विकास की अधूरी तस्वीर, अमृत-2.0 के तहत राजस्थान में 321 परियोजनाएं मंजूर
शहरी विकास के सपने सच हो सकें
मौके पर 97 परियोजनाओं के ही कार्यादेश जारी हो सके, जिनकी लागत 4735.65 करोड़ है। जहां तक प्रोग्रेस की बात करें तो महज 48.17 करोड़ की 17 परियोजनाओं का ही काम ही पूरा हो सका हैं।
जयपुर। केन्द्र सरकार ने शहरी आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए पिछले दस साल में राजस्थान को विभिन्न परियोजनाओं के तहत फण्ड जारी किया, लेकिन उसके बाद भी शहरी विकास की तस्वीर अधूरी ही रही। अमृत-2.0 के तहत राजस्थान में 321 परियोजनाएं अनुमोदित की गई, जिनकी लागत 10,823.72 करोड़ रुपए थी। इनमें से 6130.51 करोड़ की 200 प्रोजेक्ट की डीपीआर भी मंजूर कर दी गई, लेकिन मौके पर 97 परियोजनाओं के ही कार्यादेश जारी हो सके, जिनकी लागत 4735.65 करोड़ है। जहां तक प्रोग्रेस की बात करें तो महज 48.17 करोड़ की 17 परियोजनाओं का ही काम ही पूरा हो सका हैं।
विशेषज्ञ की राय
शहरी नियोजन विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में न केवल कार्यान्वयन की गति धीमी है, बल्कि योजनाओं का इंटीग्रेटेड मास्टर प्लान भी कमजोर है। अगर अमृत 2.0 को सही मायने में सफल बनाना है, तो योजनाओं को धरातल पर टिकाऊ तरीके से लागू करना होगा। राजस्थान को तेजी से कार्यान्वयन और ठोस योजनाओं की आवश्यकता है, ताकि शहरी विकास के सपने सच हो सकें।
अन्यथा यह योजना भी अधूरी तस्वीर बनकर रह जाएगी। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने अमृत 2.0 के तहत तेजी से प्रगति की है। गुजरात में 91 प्रतिशत योजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि राजस्थान परियोजनाओं को धरातल पर लाने में जूझ रहा है। केन्द्रीय मंत्रालय के अनुसार राज्य की धीमी प्रगति का मुख्य कारण बजट, मॉनिटरिंग और केन्द्र-राज्य समन्वय की कमी है।
ये हालात छुपे नहीं
केन्द्र ने 2021 में शहरी भारत को बेहतर बनाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना अमृत 2.0 की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य 500 शहरों में पानी की आपूर्ति, सीवरेज, हरित क्षेत्र और नालों की सफाई जैसे बुनियादी कार्यों को पूरा करना था। राजस्थान में भी 29 शहरों को इस योजना में शामिल किया गया, लेकिन पांच साल बाद भी यहां कई प्रोजेक्ट्स फाइलों तक ही सीमित हैं। टूटी सड़कों, अधूरी पाइपलाइनों और खाली पड़े प्रोजेक्ट साइट्स से राज्य की धीमी प्रगति का आभास होता है।
प्रोजेक्ट्स अधूरे, नाराज लोग
राज्य के कई शहरों में योजनाएं तकनीकी स्वीकृति और टेंडर प्रक्रिया में अटकी हुई हैं। कोटा, जयपुर और बीकानेर जैसे शहरों में अधूरी पाइपलाइनों और टूटे नालों से स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई वार्डों में बोर्ड तो लगे हैं, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ। राजधानी जयपुर के परकोटे में सीवरेज लाइन बदलने का काम इस साल भी पूरा नहीं हो सकेगा। इसी तरह हवामहल-आमेर जोन और आदर्श नगर जोन में भी चल रहा काम पूरा नहीं हो सकेगा। दो एसटीपी का काम अभी 60 फीसदी ही हुआ है। पांच प्रोजेक्ट सितंबर तक पूरे करने हैं।
अ मृत मिशन में जिन शहरों के लिए प्रोजेक्ट स्वीकृत किए गए थे, उनमें प्रगति लाने के निर्देश दिए गए है। जिन शहरों में सीवरेज, पेयजल के कार्यों में देरी हो रही है, उसके कारणों को जांचते हुए गति दी जाएगी।
- झाबर सिंह खर्रा, यूडीएच मंत्री

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