काल के गाल में समा गया परिवार का इकलौता सहारा : थाने से लेकर सड़कों तक उग्र भीड़ ने टायर जलाकर किया प्रदर्शन

पुलिस ने छोटी चौपड़ जाने वाले सभी रास्तों पर वाहनों  को रोका

काल के गाल में समा गया परिवार का इकलौता सहारा : थाने से लेकर सड़कों तक उग्र भीड़ ने टायर जलाकर किया प्रदर्शन

इसी बीच भीड़ के प्रर्दशन को देखते हुए परकोटे का पूरा बाजार बंद करवा दिया गया। 

जयपुर। चालक की घोर लापरवाही ने तीन जिंदगियों को लील लिया और कई परिवारों की खुशियां छीन लीं। जयपुर की शांत रात अचानक चीख-पुकार और मातम में बदल गई। जब एक बेकाबू एसयूवी ने सड़क पर चल रहे लोगों को रौंद डाला। इन तीनों परिवारों को न्याय दिलाने के लिए मंगलवार सुबह से ही नाहरगढ़ थाने और छोटी चौपड़ पर इकट्ठी हुई भीड़ ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। हादसे में मौत का शिकार हुए अवधेश पारीक के परिवार को लोगों ने मंगलवार शाम तक उसकी मौत की भनक नहीं लगने दी। वहीं भाई-बहन की एक साथ अर्थी उठी तो सभी की आंखें नम हो गईं।

हंगामा दुकानें बंद
हादसे में तीन जनों की मौत से मंगलवार सुबह हड़कम्प मच गया। नाहरगढ़ थाने के पास ही रहने वाले मृतक अवधेश पारीक के परिजन और स्थानीय लोगों ने थाने के बाहर प्रदर्शन कर किया। इस दौरान छोटी चौपड़ पर भी टायर जलाकर उग्र प्रदर्शन किया, पुलिस ने लगातार लोगों को समझाइश कर मामला शांत कराए रखा। नाहरगढ़ थाने के बाहर दोनों भाई-बहन के परिजन नहीं पहुंच सके। प्रदर्शनकारियों ने परकोटे की सड़कों पर विरोध कर दुकानें बंद करार्इं। 

पड़ोसियों ने अखबार नहीं पहुंचने दिया
हादसे में मौत का शिकार हुए अवधेश पारीक अविवाहित थे। उसका बड़ा भाई जीतू पारीक एक हादसे में शारीरिक रूप से कमजोर हो चुका है। मृतक की एक बहन और चचेरे भाई पिंकू पारीक और मां की मौत हो चुकी है। उसके पिता पदम शरण लकवाग्रस्त होने के साथ ही अवधेश भी बीमार रहता था, जिसके  चलते चिकित्सक ने उसे शाम के वक्त टहलने की सलाह दी थी। पूरे परिवार का जिम्मा अवधेश सैनेट्री की दुकान चलाकर उठा रहा था। उसकी मौत के बाद परिवार पर रोजी-रोटी का संकट आने के साथ ही दुखों का पहाड़ टूट गया। परिवार को एक साथ सदमा नहीं लगे इस कारण अवधेश के यहां पहुंचने वाला अखबार रोक दिया। 

जहां से उठी डोली, वहीं से उठी अर्थी
हादसे में वीरेन्द्र और उसकी बहन ममता भी मौत के मुंंह में समा गई। वह हवा सड़क स्थित 22 गोदाम इलाके में रहती थी। उसके पति सुरेन्द्र सिंह गोविन्द नगर पश्चिम कंवर नगर में दुकान चलाते हैं। सवाई मानसिंह अस्पताल से शवों को पोस्टमार्टम हुआ तो भाई-बहन के शव अग्रसेन नगर पहुंचे। यहां से दोनों की एक साथ अर्थी उठीं। वीरेन्द्र महाकाल का भक्त था। वहीं, ममता के इकलौता बेटा निखिल है, जो मुम्बई में सीए है। उसने रात को ही हादसे की जानकारी दे दी गई और वह मंगलवार शाम करीब साढ़े चार बजे जयपुर पहुंचा तो मां और मामा की मौत के बाद घर के बाहर जमा भीड़-परिजनों को देखकर फूट-फूटकर रोने लगा। 

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प्राइवेट कम्पनी में एमआई रोड पर फाइनेंस का काम करता था वीरेंद्र सिंह 
दो बच्चों का पिता वीरेंद्र अपने मां-पिता, पत्नी और दो बच्चों समेत महेश नगर जयपुर में रहता था। वह अपने परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य वीरेन्द्र अपने पीछे बेटी देवांशी कंवर (17) और बेटा जयवर्धन सिंह (15) साल को छोड़ गया है। वीरेंद्र की मौत के बाद परिजन बुरी तरह से टूट चुके हैं। सरकारी नौकरी, एक करोड़ रुपए की सहायता राशि की भी मांग कर रहे हैं ।

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चार दिन पहले हुआ था फूफा का देहान्त
वीरेंद्र अपनी बड़ी बहन ममता कंवर के साथ फूफा गिरधारी की बैठक से लौट रहा था। स्कूटी सवार बहन-भाई को तेज रफ्तार कार ने पीछे से टक्क्र मार दी। जिन्हें एसएमएस अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने ममता को मृत घोषित कर दिया और देर रात इलाज के दौरान वारेन्द्र भी जिंदगी की जंग हार गया। शवों का एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम किया गया है। 

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धरना-प्रर्दशन के दौरान पुलिस ने किया यातायात डायवर्ट
छोटी चौपड़ और नाहरगढ़ थाने के बाहर चल रहे धरना-प्रर्दशन के चलते पुलिस ने सुरक्षा के नजरिए से चार दीवारी में भीड़ ना घुसे, इसलिए अजमेरी गेट, बड़ी चौपड़, चांदपोल, नाहरगढ़ रोड,चौड़ा रास्ता, न्यू गेट, जौहरी बाजार के रास्ते को बेरिकेड्स लगा कर बंद कर दिया, जिससे आम जन को तंग  गलियों में रास्ता तलाशना पड़ा। हालांकि स्कूली वाहनों और आपाताकालीन सुविधा के वाहनों को निकलने दिया जा रहा था। इसी बीच भीड़ के प्रर्दशन को देखते हुए परकोटे का पूरा बाजार बंद करवा दिया गया। 

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