राजस्थान से परमाणु शक्ति सम्पन्न बना भारत

भारत के नक्शे पर राजस्थान उभरा

राजस्थान से परमाणु शक्ति सम्पन्न बना भारत

30 मार्च 1949 यादगार तारीख एक विशेष दिन जब भारत के नक्शे पर राजस्थान उभरा। यहां की धरती राजस्थान के नाम से पहचाने जाने लगी।

जयपुर। 30 मार्च 1949 यादगार तारीख एक विशेष दिन जब भारत के नक्शे पर राजस्थान उभरा। यहां की धरती राजस्थान के नाम से पहचाने जाने लगी। ऐसा प्रदेश जो वीरता का दूसरा नाम रहा। प्रदेश के गठन के बाद से ही इसने देश के विकास में अहम योगदान दिया। राजस्थान स्थापना दिवस पर जानें हर क्षेत्र में इसका योगदान। देश की पहली शिक्षा नीति में भी राजस्थान का बड़ा योगदान रहा। शिक्षाविद् दौलत सिंह कोठारी ने देश की शिक्षा नीति और सिविल सेवा पैटर्न में भी बदलाव में अपनी भूमिका अदा की।

पंचायतीराज की स्थापना हुई
पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर, 1959 को पंचायतीराज व्यवस्था लागू की। वर्ष 1993 में 73वें और 74वें संशोधन के बाद पंचायतीराज में त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू हुई।

सबसे ज्यादा शहीद राजस्थान में
 देश की सेवा में राजस्थान के करीब 1800 जवान शहीद हुए। सीकर और झुंझुनूं जिले के जवान सबसे ज्यादा शहीद हुए। भूतपूर्व सैनिकों और जवानों की संख्या भी सबसे ज्यादा सीकर और झुंझुनूं में है।

पोखरण में बुद्धा स्माइल
जैसलमेर के पोखरण में 18 मई, 1974 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के निर्देश पर बुद्धा स्माइल नाम से परमाणु परीक्षण हुआ, वहीं 11 मई, 1998 में अटल सरकार में परमाणु परीक्षण ने दुनिया को चौंकाया। वैज्ञानिक और शिक्षाविद् पद्म विभूषण दौलत सिंह कोठारी के प्रयासों से रावतभाटा में दो परमाणु रिएक्टर और नाभिकीय संयंत्र स्थापित हुए।

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जयपुर फुट ने बनाई दुनिया भर में पहचान
वर्ष 1968 में जयपुर के क्रॉफ्टमैन रामचन्द्र शर्मा और एसएमएस अस्पताल के आॅर्थोपेडिक डॉक्टर पीके सेठी ने जयपुर फुट को डिजाइन किया। प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री सुधा चन्द्रन के 1982 में पैर में चोट के बाद जयपुर फुट लगवाकर डांस करने से जयपुर फुट दुनियाभर में छा गया। वर्तमान में जयपुर की भगवान महावीर विकलांग समिति संस्था ने इसका बीड़ा उठा रखा है।

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नरेगा में प्रदेश की महिलाओं का रिकॉर्ड
नरेगा में करीब 60-65 लाख महिलाएं सालभर में पांच हजार करोड़ रुपए अपने घर ले जाती हैं। 1,10, 585 महिला मेट, 59, 50,402 सक्रिय महिला श्रमिक हैं। इनमें भी कुशल महिला श्रमिक 87,168 और अर्द्धकुशल महिला श्रमिक 2,88,902 हैं।

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फळक कानून का संघर्ष भी इतिहास बना
वर्ष 1988-89 में मजदूरी मस्टर रोल में भ्रष्टाचार की लड़ाई में सरकारी रिकॉर्ड नहीं दिखाने पर सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे और अरूणा रॉय ने संघर्ष शुरू किया। वर्ष 1992 से 1994 तक संघर्ष के बाद ग्राम पंचायत स्तर पर केवल मौखिक सूचनाएं मिली। वर्ष 1996 में ब्यावर में 40 दिन तक और वर्ष 1997 में जयपुर में 54 दिन आंदोलन चला। वर्ष 1998 में सीएम अशोक गहलोत ने अपने घोषणा पत्र में आटीआई को शामिल किया। राजस्थान में वर्ष 2000 और केन्द्र में 2005 में यह कानून लागू हुआ।



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