बोली लगाने की प्रक्रिया में भी पर्याप्त बिजली नहीं है उपलब्ध
कोयला हासिल करना दिनों दिन ऊर्जा विभाग के लिए चुनौती बन रहा है
बिजली संकट के बीच बिजली और कोयला हासिल करना दिनों दिन ऊर्जा विभाग के लिए चुनौती बन रहा है। अन्य प्रदेशों से बोली लगाने की प्रक्रिया में भी पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं है।
जयपुर। बिजली संकट के बीच बिजली और कोयला हासिल करना दिनों दिन ऊर्जा विभाग के लिए चुनौती बन रहा है। अन्य प्रदेशों से बोली लगाने की प्रक्रिया में भी पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं है। विदेश से महंगा कोयला खरीदने में आर्थिक भार को देखते हुए ऊर्जा विभाग ने केन्द्र सरकार से अतिरिक्त कोयला देने की मांग की है। ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी बिजली और कोयला संकट पर लगातार देखरेख कर रहे हैं। बिजली उत्पादन के लिए राज्यभर की करीब डेढ़ दर्जन थर्मल इकाइयों में पांच से सात दिन का कोयला ही बचा है, जबकि स्टॉक अधिकतम 26 दिन का होना चाहिए। ऊर्जा विभाग के अफसरों के सामने अन्य राज्यों से बिजली खरीदने में बोली लगाने की प्रक्रिया भी सहयोग नहीं दे रही। राज्य सरकार ने बिजली खरीद के लिए अधिकतम 12 रुपए प्रति यूनिट तक बोली लगाई, लेकिन उसके बावजूद थर्मल इकाइयों के लिए पर्याप्त कोयला नहीं मिल पा रहा।
बढ़ती मांग के चलते मिल रहा 15 फीसदी कोयला
इस समय सभी राज्य बिजली खरीद के लिए बोली लगा रहे हैं। इस वजह से पांच, दस या 15 फीसदी बिजली की मिल पा रही है। डिमांड की तुलना में खरीदी बिजली नाकाफी है, इसलिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती जारी है। सौर ऊर्जा सहित अक्षय ऊर्जा के अन्य क्षेत्रों से भी डिमांड की तुलना में उपलब्धता में उतार-चढ़ाव चलता रहता है, इसलिए संकट का हल अभी नहीं निकल पा रहा।
केन्द्र को लिखा पत्र
थर्मल इकाइयों के हालातों को स्पष्ट करते हुए ऊर्जा विभाग ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखा है। इसमें केन्द्र से अतिरिक्त कोयला की मांग की है। पत्र में लिखा है कि प्रदेश की 23 थर्मल इकाइयों में सात इकाइयां ठप पड़ी है। शेष इकाइयों में पांच से सात दिन का कोयला ही बचा है। छत्तीसगढ़ में आवंटित खदान से भी अभी कोयला सप्लाई शुरू नहीं हो पा रही।
इन दिनों सभी राज्य बिजली खरीद के लिए बोली लगा रहे। इसी क्राइसिस की वजह से हमें कम बिजली मिल रही। फिलहाल राजस्थान में हालात नियंत्रण में हैं। सोलर और विंड एनर्जी से काफी राहत मिल रही है।
- भंवर सिंह भाटी, ऊर्जा मंत्री
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