ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर असमंजस में शिक्षक, तीन दशकों का वादा अधूरा
द्वितीय श्रेणी और तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पीड़ा
शिक्षक संगठनों से सरकारों ने कई बार ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर सुझाव लिए, लेकिन उनको लागू करने की बारी अब तक नहीं आई।
जयपुर। राज्य कर्मचारियों में सबसे ज्यादा संख्या वाले शिक्षक कर्मचारियों में पिछले 33 सालों में सात बार बदली सरकारों के एजेंडे में शामिल ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर अभी भी असमंजस बना हुआ है। चुनावों से पहले हर पार्टी के ट्रांसफर पॉलिसी को प्राथमिकता देने के वादे को आज भी पूरा होने का इंतजार है। सभी राजनीतिक दल शिक्षकों के ट्रांसफर को मधुमक्खी का छत्ता मानकर हाथ डालने से बचते हैं। ऐसे में यह वर्ग इस बार भी पॉलिसी बनाकर ट्रांसफर होने को लेकर अधर झूल की स्थिति में है। राजस्थान के 65 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों की एक तरफ ट्रांसफर पॉलिसी बड़ी समस्या है, तो राजनीतिक दल इसको लेकर बयानों के जरिए हमेशा बीच वाली गली निकाल लेते हैं, ताकि शिक्षकों को नाराज नहीं किया जाए।
शिक्षक संगठनों से सरकारों ने कई बार ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर सुझाव लिए, लेकिन उनको लागू करने की बारी अब तक नहीं आई। सरकारें ट्रांसफर पॉलिसी बनाने के लिए एकल महिला, दिव्यांग, गंभीर बीमारी जैसी परिस्थितियों में विशेष राहत देते हुए इच्छित स्थानों पर तबादले करती है, लेकिन अधिकांश शिक्षक इससे संतुष्ट नहीं हैं। शिक्षक हर सरकार में विधायकों के तबादलों के भरोसे रहने के कारण चाहते हैं कि शिक्षकों के सुझावों के अनुसार ट्रांसफर पॉलिसी बनाकर इसे लागू किया जाए।
33 साल में सात सरकारों में एक दर्जन शिक्षा मंत्री बने, हालात जस के तस
वर्ष 1993 से 2025 तक चार बार भाजपा और तीन बार कांग्रेस की सरकार रही। वर्ष 2018 में कांग्रेस ने और 2023 में भाजपा ने शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी को अपने एजेंडे में शामिल किया। वर्तमान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 2024 में नीति को अंतिम रूप देने की बात कही थी और गर्मी की छुट्टियों में तबादलों की घोषणा की थी, लेकिन उनके बयान भी बदलते रहे। शिक्षा विभाग की एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों ने कमान संभाली, लेकिन शिक्षकों को मिले आश्वासन आज भी अधूरे हैं। वर्ष 1993 से 1998 तक गुलाबचंद कटारिया, 1998 से 2003 में बीडी कल्ला और अब्दुल अजीज, 2003 से 2007 तक घनश्याम तिवाड़ी, 2007 से 2008 तक कालीचरण सराफ, 2004 से 2008 तक वासुदेव देवनानी राज्यमंत्री, 2008 से 2011 तक मा.भंवरलाल मेघवाल, 2011 से 2013 तक बृजकिशोर शर्मा, नसीम अख्तर राज्यमंत्री, 2013 से 2014 तक कालीचरण सराफ, 2013 से 2018 तक वासुदेव देवनानी, 2018 से 2023 तक गोविन्द सिंह डोटासरा और डॉ.बीडी कल्ला तथा 2024 से मदन दिलावर शिक्षा मंत्री हैं।
शिक्षकों और राजनीतिक दलों की पीड़ाएं अलग-अलग
ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर करीब 85 हजार प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पीड़ा बनी रहती है। इसमें सबसे ज्यादा तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पीड़ा है। शिक्षक अपने गृह जिलों में दूर होने पर नजदीक आने की कोशिश करते हैं। शिक्षकों का कहना है कि किसी अन्य सेवा में समय समय पर तबादले हो जाते हैं,लेकिन शिक्षा विभाग में लंबे समय से शिक्षक घर से बाहर रहते हैं। डार्क जोन जिलों में तो कई शिक्षक 10-15 साल से बैठे हुए हैं। वहीं, राजनीतिक दलों का मानना है कि शिक्षकों की बड़ी तादाद राजनीतिक परिदृश्य बनाने के हिसाब से बड़ा महत्वपूर्ण कर्मचारी वर्ग है। इनको नाराज करने पर कई सीटों पर चुनाव प्रभावित होने के परिणाम रहे हैं, इसलिए इनके तबादले एक मधुमक्खी के छत्ते की तरह हैं। अधिकांश शिक्षक अपने घर के पास नौकरी करना चाहते हैं। नेताओं और पदाधिकारियों से नजदीकी वाले शिक्षकों की वजह से एक पद पर दर्जनों दावेदार होने की वजह से तबादलों पर निर्णय नहीं हो पाता। ट्रांसफर पॉलिसी बना दें तो इच्छित स्थान नहीं मिलने पर नाराज शिक्षक अपने गुस्सा चुनावों के दौरान उतारते हैं, लिहाजा ट्रांसफर पॉलिसी का मामला हर बार लंबित होता चला जाता है।
शिक्षक की ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर सबकमेटी की बैठकें में चर्चा हो चुकी है। फाइनल रिपोर्ट पर सीएम स्तर से मंजूरी के बाद पॉलिसी लागू की जाएगी।
मदन दिलावर, शिक्षा मंत्री
सरकार बने हुए डेढ साल से ज्यादा समय हो गया,लेकिन तृतीय श्रेणी शिक्षकों को तबादलों के लिए एक दशक से इंतजार है। शिक्षक संगठनों से सरकारों ने सुझाव तो कई बार लिए, लेकिन पॉलिसी अभी तक तय नहीं हो पाई। ट्रांसफरों में राजनीतिक दखल बंद करके नियमानुसार नीति से प्रक्रिया अपनाई जाए। शिक्षकों ने शाला दर्पण पोर्टल पर ट्रांसफर के लिए आवेदन किए थे, लेकिन वो निर्णय भी आज लंबित है।
विपिन प्रकाश शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ

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