बछड़ी की जुर्माना राशि में छुड़वा रहे गाय
5600 की जगह मात्र 610 रुपए देकर इतिश्री करना चाह रहे अधिकतर लोग
कई लोग पालतू पशुओं को छुड़वाना तो चाहते हैं लेकिन उसकी जुर्माना राशि जमा करवाना नहीं चाहते।
कोटा। शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए नगर निगम व नगर विकास न्यास द्वारा सड़कों से लावारिस पशुओं को पकड़कर गौशाला में बंद किया जा रहा है। जबकि उन पशुओं को छुड़वाने के लिए लोग जुर्माना राशि तक देने को तैयार नहीं है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बछड़ी की जुर्माना राशि में गायों को छुड़वा रहे हैं। शहर में पशुओं के कारण होने वाले हादसों को रोकने के लिए सड़कों से मवेशियों को पकड़कर निगम की गौशाला में बंद किया जा रहा है। गौशाला में बंद पशुओं को छोड़ने के लिए नगर निगम द्वारा जुर्माना राशि तय की हुई है। जिसे जमा करवाने पर ही गौशाला से गायों को छोड़े जाने का प्रावधान है। हालत यह है कि कई लोग पालतू पशुओं को छुड़वाना तो चाहते हैं लेकिन उसकी जुर्माना राशि जमा करवाना नहीं चाहते। जो जमा करवाना भी चाहते हैं तो वे पूरी राशि नहीं देना चाहते। विशेष रूप से प्रभावशाली व्यक्ति इसके लिए निगम अधिकारियों व गौशाला समिति अध्यक्ष पर दबाव बना कर हर तरह से प्रयास कर रहे हैं।
गाय के 56 सौ व बछड़ी के 610 रुपए
नगर निगम द्वारा गायों को छोड़ने पर एक दिन में 56 सौ रुपए जुर्माना राशि वसूल की जाती है। साथ ही एक दिन से अधिक रहने पर 100 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भूसा-चारे की राशि जुड़ती जाती है। जबकि बछड़ी को छोड़ने पर 610 रुपए जुर्माना राशि ली जाती है। लेकिन हालत यह है कि अधिकतर लोग विशेष रूप से प्रभावशाली लोग बछड़ी की जुर्माना राशि 610 रुपए में 56 सौ की गाय को छुड़वा रहे हैं।
गौशाला में 4 हजार से अधिक गौवंश
शहर में सड़कों पर लावारिस हालत में घूमने और खड़े पशुओं के कारण आए दिन हादसे हो रहे थे। जिनमें कई वाहन चालकों की मौत हो चुकी है तो कई गम्भीर रूप से घायल हो चुके हैं। इतना ही नहीं सांडों द्वारा राह चलते लोगों को सींग से उठाकर फेकने से भी कई लोगों की मौत हो चुकी है। इन घटनाओं को देखते हुए स्वायत्त शासन मंत्री के निर्देशन में शहर से इन पशुओं को बाहर करने के लिए देव नारायण आवासीय योजना बनाई गई। जिसके तहत शहर में लावारस हालत में घूमने वाले पशुओं को पकड़कर निगम की गौशाला में बंद किया जा रहा है। साथ ही अतिक्रमण कर व स्वयं की भूमि पर बाड़े बनाकर पशु पालने वाले पशु पालकों को बंधा धर्मपुरा स्थित देव नारायण आवासीय योजना में शिफ्ट किया जा रहा है। गौशाला से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में वहां करीब 4 हजार से अधिक गौवंश है।
कांग्रेस के पिछले बोर्ड में बढ़ाया जुर्माना
गायों को गौशाला से छोड़ने पर पहले बहुत कम जुर्माना वसूल किया जाता था। जिससे जितने पशु निगम द्वारा पकड़े जाते थे। अधिकतर लोग उस राशि को जमा करवाकर तुरंत ही पअुओं विशेष रूप से गायों को छुड़वा लेते थे। इसे रोकने के लिए नगर निगम के पिछले कांग्रेस बोर्ड में तत्कालीन महापौर डॉ. रत्ना जैन के समय में जुर्माना राशि स्वायत्त शासन विभाग द्वारा बढ़ाई गई थी। उस समय बढ़ाई गई राशि अभी तक वही ली जा रही है। इसका मकसद जुर्माना अधिक होने पर कम लोग पशुओं को छुड़वाएंगे। या फिर अपने पशुओं को घरों में ही बांधकर रखेंगे। उन्हें सड़कों पर नहीं घूमने देंगे। लेकिन लोगों ने उसका भी तोड़ निकाल लिया।
रोजाना 2 से 3 गाय छुड़वा रहे
शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए नगर निगम व नगर विकास न्यास द्वारा लावारिस पशुओं को पकड़कर गौशाला में बंद किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार वर्तमान में रोजाना 10 से 15 गायों को लाया जा रहा है। जबकि 2 से 3 गायों को रोजाना छोड़ा भी जा रहा है। उनमें से अधिकतर कम जुर्माना राशि देने का जुगाड़ लगा रहे हैं।
पशु पालकों का कहना
श्रीनाथपुरम् निवासी नारायण गुर्जर का कहना है कि नगर निगम की टीम घर के बाहर से गायों को पकड़कर ले जाती है। फिर उन्हें छोड़ने की एवज में जुर्माना भी काफी अधिक वसूला जा रहा है। पशु पालकों को शहर से दूर करने से वैसे ही दूध की बिक्री कम होने से आर्थिक संकट हो रहा है। ऐसे में निगम को जुर्माना राशि कम करनी चाहिए।
नंदा की बाड़ी खेड़ली फाटक निवासी सांवरा गुर्जर का कहना है पशु पालकों पर वैसे ही आर्थिक संकट है। ऐसे में गायों को छोड़ने का जुर्माना काफी अधिक कर दिया है। शहर को पशु मुक्त करने के चलते वैसे ही पशुओं को घर से बाहर नहीं छोड़ रहे। फिर भीे गलती से खुले रहने पर पकड़कर ले जाते हैं। गरीब आदमी इतना अधिक जुर्माना कहां से जमा करवाए। इसलिए गायों को छुड़वाने के लिए जुगाड़ करना पड़ता है।
गौशाला से गायों को छोड़ने पर 56 सौ रुपए और बछड़ी को छोड़ने पर 610 रुपए जुर्माना लगता है। लेकिन अधिकतर लोग उन पर दबाव बनाकर बछड़ी की जुर्माना राशि में गाय छुड़वाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे निगम को राजस्व का नुकसान होने के साथ ही उनके सामने असमंजस की स्थिति हो रही है। ऐसे में हाल ही में स्वायत्त शासन मंत्री को पत्र लिखकर बछड़ी की जुर्माना राशि भी 36 सौ रुपए करने की मांग की गई है।
- जितेद्र सिंह, अध्यक्ष गौशाला समिति नगर निगम

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