अब शहर में अंडर ग्राउंड बनेंगे कचरा पात्र, ईएसआई अस्पताल के बाहर व किशोरपुरा मुक्तिधाम में होगा प्रयोग

कचरा पात्र बनाने का एक और प्रयोग करेगा नगर निगम

अब शहर में अंडर ग्राउंड बनेंगे कचरा पात्र, ईएसआई अस्पताल के बाहर व किशोरपुरा मुक्तिधाम में होगा प्रयोग

शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने की जिम्मेदारी निभाने वाली शहरी सरकार नगर निगम कचरा पात्र बनाने के लिए एक ओर नया प्रयोग करेगी

कोटा। शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने की जिम्मेदारी निभाने वाली शहरी सरकार नगर निगम कचरा पात्र बनाने के लिए एक ओर नया प्रयोग करेगी। नगर निगम कोटा दक्षिण द्वारा शहर में दो स्थानों पर अंडर ग्राउंड कचरा पात्र बनाए जाएंगे। एक ईएसआई अस्पताल के बाहर और दूसरा किशोरपुरा मुक्तिधाम में। शहर में घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से रोजाना करीब 500 टन से अधिक कचरा निकल रहा है। यह कचरा रोजाना निगम के नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड पर पहुंचाया जा रहा है। लेकिन उसमें से काफेी कचरा ऐसा है जो मुख्य मार्गों की सफाई के साथ ही राह चलते लोगों द्वारा फेलाया जा रहा है। वह कचरा सड़क पर नजर नहीं आए। इसके लिए नगर निगम की ओर से शहर में जगह-जगह पर कचरा पात्र रखे गए हैं।  जिससे सभी लोग उन कचरा पात्रों में कचरा डाल सके।  लेकिन हालत यह है कि कचरा पात्र होने के बाद भी सड़क पर कचरा बिखरा रहता है। उस कचरे को नजर नहीं आने देने के लिए नगर निगम द्वारा समय-समय पर कचरा पात्रों का स्वॅरूप भी बदलता रहा है। उसी कड़ी में नगर निगम कोटा दक्षिण द्वारा एक ओर नया प्रयोग करते हुए अब अंडरग्राउंड कचरा पात्र बनाए जाएंगे। 

ऐसा होगा अंडर ग्राउंड कचरा पात्र
अंडर ग्राउंड कचरा पात्र प्रयोग के तौर पर दो स्थानों पर बनाए जाएंगे। इनमें से एक झालावाड़ रोड पर ईएसआई अस्पताल के बाहर और दूसरा किशोरपुरा मुक्तिधाम में।  मुक्तिधाम में बनाने का कारण यहां अंतिम संस्कार के बाद एकत्र होने वाला कचरा कई दिन तक खुले में पड़ा रहता है। अंडर ग्राउंड कचरा पात्र बनने से वह कचरा खुले में नहीं दिखेगा। निगम सूत्रों के अनुसार ये कचरा पात्र 20 फीट लम्बे और 10 फीट चौड़े व 10 फीट गहरे होंगे। इसके लिए सबसे पहले   जमीन के अंदर आरसीसी का टैंक बनाया जाएगा। उसमें एमएस शीट(लोहे) का हाइड्रोलिक प्लेटफार्म होगा। जिस पर  बिना बनाकर उसे ढक्कन से ढका जाएगा।  ढक्कन जमीन से करीब 4 इंच ऊपर दिखाई देगा। जिससे जमीन का पानी सिमें नहीं जा सकेगा। इसमें गीला व सूखा कचरा अलग-अलग डाला जा सकेगा। इस कचरा पात्र को रोजाना निगम के बिन लिफ्टर से उठाकर वाहन में खाली कर वापस उसी जगह पर रख दिया जाएगा। निगम सूत्रों के अनुसार इससे कचरा सड़क पर नजर नहीं आएगा। यदि यह प्रयोग सफल हो गया  तो शहर में अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के कचरा पात्र बनाए जाएंगे। 

आधुनिक 100 कचरा पात्र लगाए, अधिकतर गायब
वर्तमान बोर्ड के समय में नगर निगम कोटा दक्षिण द्वारा लाखों रुपए खर्च कर आधुनिक व स्टील के कचरा पात्र बनवाए गए थे। एक कचरा पात्र की कीमत करीब 35 हजार रुपए थी। ऐसे 100 कचरा पात्र छावनी चौराहे से लेकर कोटड़ी और घोड़ा चौराहा समेत पूरे निगम क्षेत्र में लगाए थे। हालत यह है लगने के कुछ समय बाद ही अधिकतर के डिब्बे गायब हो गए। वर्तमान में सभी जगह पर केवल स्टैंड ही नजर आ रहे हैं। 

10 लाख होगी एक कचरा पात्र की लागत
सूत्रों के अनुसार एक कचरा पात्र को बिन समेत बनाने की लागत करीब 10 लाख रुपए होगी।  इसके लिए नगर निगम की ओर से टेंडर जारी किए जा चुके है। ये टेंडर 24 जून को खुलेंगे। उसके बाद इसी महीने काम शुरु होने और करीब एक माह में काम पूरा होने की संभावना है। जिससे बरसात के पहले ये कचरा पात्र तैयार हो जाएंगे। 

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उत्तर प्रदेश के मोदी नगर में बने हैं ऐसे कचरा पात्र
निगम सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश के गोदी नगर में इस तरह के अंडर ग्राउंड कचरा पात्र बने हुए हैं। हालांकि वहां बने कचरा पात्र के ढक्कन जमीन से करीब 2 फीट ऊंचाई पर है। जबकि कोटा में बनने वाले कचरा पात्र की ऊंचाई जमीन से मात्र 4 इंच रहेगी। 

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प्लास्टिक के कचरा पात्रों के भी दुर्दशा
लोहे व स्टील के कचरा पात्रों के चोरी व गायब होने के समाधान के तौर पर नगर निगम कोटा उत्तर ने प्लास्टिक के कचरा पात्र लगाए हैं। पूरे उत्तर क्षेत्र में नदी पार कुन्हाड़ी से लेकर स्टेशन क्षेत्र तक में 100 कचरा पात्र लगाए गए। हालत यह है उनमें से भी गीता भवन के सामने व ’वाला तोप के पास से कचरा पात्रों के डिब्बे व ढक्कन तक गायब हो गए हैं। उनके भी स्टैंड ही बचे हैं। वहीं अब नगर निगम द्वारा अंडर ग्राउंड कचरा पात्र बनाए जा रहे हैं। 

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ऐसे बदलते रहे कचरा पात्र
शहर में समय के साथ कचरा पात्रों का स्वरूप भी बदलता गया। पहले जहां बड़े-बड़े लोहे के डिब्चेनुमा कचरा पात्र रखे जाते थे। जैसा अभी भी छावनी चौराहे पर एलआईसी बिल्डिंग के सामने रखा हुआ है। उसके बाद कई जगह पर गेट वाले कचरा पात्र बनाए गए थे। ऐसे कचरा पात्र सार्वजनिक निर्माण विभाग कार्यालय के पास, खेड़ली फाटक और श्रीनाथपुरम् समेत कई जगह पर बने हुए हैं। उनकी भी दुर्दशा हो गई। अधिकतर के ढक्कन टूटे हुए हैं तो कुछ के ढक्कर ही गायब हो गए।  इसके बाद इनका रूप छोटा हुआ। साथ ही गीला व सूखा कचरा अलग-अलग डालने वाले कचरा पात्र रखे गए। जिससे अभी कई जगह पर सड़क किनारे रखे हुए हैं। नगर निगम के पिछले बोर्ड में मॉडल आधुनिक कचरा पात्र लगाए गए थे। शहर में छावनी, रेतवाली नीलकंठ मंदिर के सामने व लालबुर्ज पर ही ये कचरा पात्र लगाए थे। 

इसलिए बनाए जा रहे अंडरग्राउंड कचरा पात्र
गौरतलब है कि गत दिनों कोटा प्रवास के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नगर निगम समेत अन्य अधिकारियों के साथ शहर का भ्रमण किया था। उस समय शहर की सफाई व्यवस्था व कचरा पात्रों की हालत भी देखी थी। जिसमें छावनी चौराहे पर बने मॉडर्न कचरा पात्र की हालत भी देखी थी। भ्रमण के बाद सर्किट हाउस में लोकसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों की बैठक ली। जिसमें कचरा पात्र विशेष रूप से छावनी के कचरा पात्र की हालत पर नाराजगी जताई थी। उस समय उन्हें बताया गया कि नगर निगम की ओर से शहर में तीन स्थानों पर इस तरह के कचरा पात्र बनाए थे। जिनमें अंडर ग्राउंड बैग लगे हुए थे। उन बैग के एक बार फटने पर उन्हें किसी ने बदला नहीं। जिससे यह मॉडल फेल हो गया था। उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने शहर को साफ रखने व कचरा पात्रों के बारे में सभी से सुझाव लिए थे। 

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