तेजी से बढ़ रहे ब्रेन ट्यूमर के मामले : शुरुआती लक्षणों पर ध्यान नहीं देना हो सकता है जानलेवा, देश में हर साल 28 हजार से ज्यादा नए मामले आ रहे सामने
20 प्रतिशत बच्चे हैं शामिल
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रजिस्ट्रीज के अनुसार भारत में ब्रेन ट्यूमर के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
जयपुर। इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रजिस्ट्रीज के अनुसार भारत में ब्रेन ट्यूमर के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 2020 की रिपोर्ट के अनुसार ब्रेन ट्यूमर देश में दस सबसे मोस्ट कॉमन प्रकार के ट्यूमर में से एक है, जिसमें हर साल 28000 से अधिक नए मामले सामने आते हैं। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से लगभग 20 प्रतिशत बच्चे पाए जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आधुनिक उपकरणों से अब इस बीमारी का निदान आसान हो गया है। आज की मेडिकल तकनीक से मस्तिष्क ट्यूमर का सटीक और शुरुआती चरण में पता लगाना संभव हो गया है।
इन जांचों से चलता है बीमारी का पता :
डॉ. शर्मा ने बताया कि उन्न्त जांचों के जरिए बे्रन ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है। इसमें एमआरआई स्कैन जो कि विस्तृत इमेजिंग जो मस्तिष्क की संरचना को दिखाती है। एमआरआई स्पेक्ट्रोस्कोपी जो कि सर्जरी से पहले डॉक्टरों को ट्यूमर की रासायनिक प्रकृति को समझने में मदद करती है। सीटी स्कैन जो रक्तस्राव या असामान्य वृद्धि का पता लगाने में उपयोगी है। वहीं पीईटी स्कैन ट्यूमर कोशिकाओं के गतिविधि स्तर को दिखाता है और खतरनाक क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करता है।
शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही इलाज मिलना जरूरी :
संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. डीपी शर्मा ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर भारत में बढ़ती स्वास्थ्य चिंता का विषय है, लेकिन अक्सर इस पर तब तक ध्यान नहीं दिया जाता जब तक कि यह बहुत गंभीर न हो जाए। ब्रेन ट्यूमर खोपड़ी के अंदर चुपचाप बढ़ता है, जिससे कोई स्पष्ट संकेत दिखने से पहले ही नुकसान हो जाता है। दुर्भाग्य से बहुत से लोग शुरुआती लक्षणों को अनदेखा कर देते हैं। यह सोचकर कि यह सिर्फ तनाव या थकान है, लेकिन समय पर निदान और उपचार से गंभीर मामलों में भी जान बचाई जा सकती है।
चेतावनी के संकेतों को नजरअंदाज न करें :
ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों को अक्सर रोजमर्रा की समस्या समझ लिया जाता है। उन्हें पहचानने में यह देरी खतरनाक हो सकती है। डॉ. डीपी शर्मा ने बताया इस बीमारी से जुड़े चेतावनी संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जैसे कि सिरदर्द जो समय के साथ बदतर हो जाता है। अचानक दौरे आना, खासकर यदि आपको पहले कभी दौरा नहीं पड़ा हो बिना किसी स्पष्ट कारण के लगातार मतली या उल्टी होना, धुंधला या दोहरी दृष्टि, बोलने में कठिनाई, स्मृति समस्याएं या व्यक्तित्व में परिवर्तन, अंगों में कमजोरी या सुन्नता। यदि किसी को ये लक्षण अनुभव होते हैं, विशेषकर यदि वे बिगड़ जाते हैं या अचानक उत्पन्न होते हैं तो तत्काल किसी विशेषज्ञ से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
उपचार और सर्जरी :
जब सर्जरी की जरूरत होती है तो सटीकता सर्वोच्च प्राथमिकता बन जाती है। वह और उनकी टीम सुरक्षा और शीघ्र रिकवरी सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक सर्जिकल तकनीकों का उपयोग करते हैं। इसमें न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी जो कि उपचार समय को कम करने के लिए माइक्रोस्कोप या एंडो स्कोप के साथ किया जाता है। न्यूरो नेविगेशन सिस्टम जो कि उच्च सटीकता के लिए मस्तिष्क के अंदर जीपीएस की तरह काम करते हैं। इस बीमारी में उपचार केवल सर्जरी तक ही सीमित नहीं है। रोगियों को व्यापक पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल में आवश्यकता पड़ने पर रेडियोथेरेपी और कीमोथेरपी भी शामिल है।

Comment List