पूर्ववर्ती सरकारों के कारण नहीं बढ़ा सीमावर्ती क्षेत्र में पर्यटन, बंदिशों को हल्का कर पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने की दिशा में हो रहे है कार्य :  शेखावत 

मोदी की सोच है कि सीमावर्ती गांव हमारा आखिरी नहीं पहला गांव है

पूर्ववर्ती सरकारों के कारण नहीं बढ़ा सीमावर्ती क्षेत्र में पर्यटन, बंदिशों को हल्का कर पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने की दिशा में हो रहे है कार्य :  शेखावत 

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पूर्ववर्ती सरकारों पर सीमावर्ती क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा नहीं देने का जिम्मेदार बताते हुए कहा है कि पहले की सरकारों की यह सोच हुआ करती थी

जैसलमेर। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पूर्ववर्ती सरकारों पर सीमावर्ती क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा नहीं देने का जिम्मेदार बताते हुए कहा है कि पहले की सरकारों की यह सोच हुआ करती थी कि सीमावर्ती क्षेत्र प्रतिबंधित रहे और वहां लोगों का आवागमन न हो, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि सीमावर्ती गांव हमारा आखिरी नहीं पहला गांव है। 

शेखावत ने कहा कि जब से उसको पहला गांव कहकर संबोधित करना शुरू किया है, उसी तरह से विकसित करना शुरू किया, उसका प्रभाव अब दिखाई देने लगा है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्र पर पर्यटन बढ़े, इसको लेकर निर्देश दिए हैं। हमने सेना और सीपीएफ के साथ इसको लेकर चर्चा की है। उन्होंने कहा कि अभी केन्द्र सरकार के सहयोग से तनोट में जिस तरह से हम विकास कर रहे हैं। तनोट जाने वाले सभी दर्शनार्थी सीमावर्ती चौकी बबलियान वाला पर जाकर सीमा दर्शन कर सकें, इसकी एक योजना बीएसएफ के साथ मिलकर बनाई है। उन्होंने कहा कि आगे और भी सीमावर्ती क्षेत्रों में बंदिशों को हल्का कर पर्यटन गतिविधियां बढ़ें, उस दिशा में कार्य हो रहे हैं। 

वह मानते हैं कि जितनी ज्यादा गतिविधियां, जितना ज्यादा जनसंख्या का घनत्व सीमावर्ती क्षेत्र में रहेगा, उतनी सीमाएं सुरक्षित रहेंगी क्योंकि इतिहास साक्षी है कि जिस देश के सीमावर्ती क्षेत्र से लोगों ने पलायन किया है, उसकी सीमाएं कमजोर हुई हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें लगातार दो दशक तक सीमावर्ती क्षेत्र में इन सब विषयों को लेकर काम करने का सौभाग्य मिला है और वह मानते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्र और हमारे पश्चिम राजस्थान का सीमावर्ती क्षेत्र जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, गंगानगर इनकी सभी सीमावर्ती तहसीलों में अपार संभावनाएं हैं। यहां सुविधाएं बढ़ें और यहां का नागरिक जो स्वाभाविक रूप से देशभक्त नागरिक है, वो नागरिक राष्ट्रीय रक्त की इस द्वितीय रक्षा पंक्ति के रूप में जो उनकी जिम्मेदारी है, उसको समझते हुए आचरण और व्यवहार करे। 

अभी हाल में राजस्थान की उपमुख्यमंत्री एवं पर्यटन मंत्री दिया कुमारी के साथ बैठक हुई। बड़े स्तर पर हम जैसलमेर और पश्चिमी राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा दे सकें, उसको लेकर चर्चा की। राजस्थान सरकार को निर्देश दिए हैं कि वो एक बार प्रस्ताव बनाकर केन्द्र सरकार को दें ताकि हम आइकॉनिक डेस्टिनेशन डेवलपमेंट की स्कीम में जैसलमेर को सम्मिलित कर पर्यटन संभावनाओं को विकसित करने के लिए काम कर सकें। 

जिले में परिसीमन के सवाल पर श्री शेखावत ने कहा कि उन्हें लगता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है। बढ़ती हुई आबादी, बदलते हुए स्वरूप, बढ़ते हुए शहरीकरण, इनके चलते हुए इस तरह की प्रक्रिया सामान्य तौर पर होती है लेकिन गत सरकार के समय जिस तरह से राजनीतिक उद्देश्यों और स्वार्थों की पूर्ति के लिए पंचायतों को पंचायती राज व्यवस्था में और स्थानीय निकाय में नगरपालिका के वार्डों को तोड़ा-मरोड़ा गया था। अपने राजनीतिक हित के अनुरूप जिस तरह से इन सबका परिसीमन करके जिस तरह से बनाया गया था, एक बार वापस दुरस्त हों, चीजें एकदम पारदर्शी तरीके से बनें और उसके साथ में वन स्टेट-वन इलेक्शन, वन नेशन-वन इलेक्शन की, जो प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप, एक साथ हम सब चुनाव करा पाएं, इस ²ष्टिकोण से एक बार में यह परिसीमन किया जा रहा है। 

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शेखावत ने कहा कि परिसीमन की इस प्रक्रिया के बाद में जहां एक तरफ नए राजस्व गांवों का निर्माण होगा, नई पंचायतों का निर्माण होगा, क्योंकि राजस्व गांव और पंचायत, ये दोनों लोकतांत्रिक व्यवस्था में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित इस थ्री टियर गवर्निंग सिस्टम में विकास की एक धुरी है। विकास की एक नाभी है, उसका केंद्र है, निश्चित ही नए राजस्व गांव बनेंगे, नई पंचायतें बनेगी तो उसके चलते हुए क्षेत्र का विकास और अधिक बेहतर तरीके से हो सकता।

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