देश में पहली बार किसी म्यूजियम में AI निर्मित रियलिस्टिक फिल्म हाड़ी रानी, जीवंत होने का अहसास कराएगी यह आठ मिनट की फिल्म
नाहरगढ स्थित जयपुर वैक्स म्यूजियम मे है रियलिस्टिक फिल्म हाड़ी रानी
देश में पहली बार किसी म्यूजियम मे AI निर्मित रियलिस्टिक फिल्म हाड़ी रानी, पर्यटको को उनके वैक्स फिगर के साथ दिखाई जाएगी
जयपुर। देश में पहली बार किसी म्यूजियम मे AI निर्मित रियलिस्टिक फिल्म हाड़ी रानी, पर्यटको को उनके वैक्स फिगर के साथ दिखाई जाएगी। पर्यटको को हाड़ी की रानी के जीवन के विलक्षण और वीरता भरे पलों की घटना को फिल्म के रूप मे देखना एक अद्भुत अनुभव देगा।हाडी रानी के जीवंत होने का अहसास कराएगी यह आठ मिनट की फिल्म।
आज विश्व में AI तकनीक एक आधुनिक क्रांति का रूप ले चुकी है, हर क्षेत्र मे तरह तरह के विलक्षण प्रयोग हो रहे है, फिल्म निर्माण मे भी आर्टिफिशियल इंटेलिजंस का इस्तेमाल भरपूर किया जा रहा है। AI तकनीक का ऐसा ही उपयोग पहली बार देश मे नाहरगढ स्थित जयपुर वैक्स म्यूजियम मे होने जा रहा है, म्यूजियम के फाउंडर डायरेक्टर अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि आज लोगो की रूचि, उनका टेस्ट, उनके विचार बड़ी तेजी से बदल रहे हैं, रफ्तार का जमाना आ गया है, लोगो का पेशेंस लेवल तीस सैकेंड की रील मे सिमट कर रह गया है, जरा बोर हुए अगले ही पल स्क्रोल कर दो।
हमने भी सोचा पर्यटको के म्यूजियम टूर को रोचक बनाने के लिए स्टेच्यू और सेट्स के अलावा भी कुछ अलग हटकर धमाकेदार करना होगा और यही सोच कर हम लोगो ने AI तकनीक के साथ प्रयोग करने का निर्णय लिया। महान वीरांगना परम वीर क्षत्राणी हाड़ी की रानी कहानी बहुत ही प्रेरणादायक और साहस भरी है सोलह साल की बाल उम्र में हाड़ी रानी ने औरंगजेब के खिलाफ़ युद्द के दौरान अपना कर्तव्य निभाते हुए स्वयं का शीश काट लिया और अपना राष्ट्र धर्म निभाया l यह कहानी आज भी इस धरती में गूंजती है हमने सोचा कि अगर वैक्स फिगर के प्रभाव को बढाना है और पर्यटको मे उनके स्टेच्यू के प्रति रोचकता पैदा करनी है तो उनके बलिदान की अमर गाथा को जीवंत करना पडेगा। और फिर हमने निर्णय लिया कि हाड़ी रानी पर एक शॉर्ट फिल्म बनाई जाए, क्योंकि जब पर्यटक फिल्म देखने के बाद स्टेच्यू को देखेगा तो उसका प्रभाव, उस शख़्सियत के प्रति नजरिया ही कुछ और होगा, एक तरह से मोम के पुतले मे जान आ जाएगी। कहानी तो इतिहास के पन्नो मे दर्ज है पर चैलेंज था उस ईरा को क्रियेट करना, वो भव्यता को पर्दे पर उतारना करोडो का खर्चा था और यहीं AI की तकनीक ने हमारा काम आसान किया। जयपुर के ही vfx सीख रहे छात्र तन्मय शर्मा और आर्किटेक्ट भव्य भारद्वाज ने मिलकर आठ मिनट की फिल्म को इस अद्भुत तकनीक से कुछ ही हफ्तो मे बना डाला। हूबहू वैक्स फिगर के शक्ल की हाडी रानी पर्दे पर जीवित हो गई। भव्यता भरे महल, विशाल सेना, रणभूमि, राजसी कास्टयूमस, कहानी से जुडे करैक्टर सब हमारी क्रियेटिव टीम की परिकल्पना और AI की तकनीकी सहयोग से जीवंत हो गए, किन्तु हमने महसूस किया कि AI का भी एक सीमित दायरा है, अभी जो वोयस डबिंग को लेकर जो टूल्स है वो क्षेत्रीय हिन्दी भाषा वाले करैक्टरस की आवाज के साथ न्याय नहीं कर पा रहा है हिन्दी भाषा की भावनात्मक ताकत को, तलफ्फुज की बारीकीयो को पकडना AI टूल्स के लिए अभी मुश्किल है, इसलिए हमने डायलॉग डबिंग के लिए मुंबई के प्रोफेशनल डबिंग आर्टिस्टो की मदद ली इससे रिजल्ट भी बहुत प्रभावशाली आया है। साथ ही स्पेशल इफेक्टस तथा बैकग्राउंड म्यूज़िक भी मुंबई मे ही रिकार्ड किया है।
पर्यटक 15 अगस्त से इस वीरता भरी ह्रदयविदारक कथा को एक विशेष बीस सीटर थियेटर मे हाड़ी रानी के वैक्स फिगर के साथ जयपुर वैक्स म्यूज़ियम मे देख पाएंगे।
अनूप ने बताया कि हमेशा से ही हमारा निर्णय रहा है कि जो भी म्यूज़ियम में स्टेच्यू लगे वो लोगों को प्रेरित करे, इसीलिए हमारी तलाश इतिहास के पन्नों में खोए सचमुच के रियल लाइफ हीरोज की रहती है जिसको देखकर आने वाली पीढ़ी इन्सपायर हो सके।
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