सतर्कता और जागरूकता की कमी से साइबर ठगों की पौ बारह : बॉस की डीपी लगाकर साइबर ठगी का मामला
पुलिस मुख्यालय ने जारी की थी एडवाइजरी
कम्पनी मालिक पास ही ऑफिस में बैठे रहे और साइबर ठग ने वाट्सअप डीपी लगाकर कर्मचारी से चैटिंग कर ठग लिए 27 लाख रुपए
जयपुर। जयपुर शहर में एक बड़ी कम्पनी के मालिक की वाट्सअप प्रोफाइल पर फोटो लगाकर उसके कर्मचारी से ऑनलाइन चैटिंग कर 27 लाख रुपए की ठगी करने का मामला सामने आया है। साइबर थाने में दर्ज रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। ठगों ने ज्यादातर रुपए लखनऊ में एटीएम और बाराबंकी से निकाले हैं। हालांकि पुलिस ने कुछ रकम को फ्रीज करा दिया है। साइबर पुलिस ने रुपए निकालने के ट्रांजेक्शन की डिटेल और एटीएम से फुटेज निकालने की प्रक्रिया और कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है।
पुलिस मुख्यालय ने जारी की थी एडवाइजरी
एसपी शांतनु कुमार ने बताया कि पुलिस मुख्यालय ने हाल ही में व्हाट्सएप प्रोफाइल पर कम्पनी या फर्म के अधिकारी की फोटो लगाकर ठगी करने के मामले में एडवाइजरी जारी की थी। ठग किसी कंपनी के उच्च अधिकारी जैसे चेयरमैन, एमडी या अन्य वरिष्ठ अधिकारी की फोटो को अपने व्हाट्सएप प्रोफाइल पिक्चर के रूप इस्तेमाल कर अपने कनिष्ठ अधिकारी या कार्मिक को मीटिंग में बिजी होने का बहाना या अन्य किसी बहाने से रकम या अन्य निजी जानकारी मांग ठगी कर रहे हैं। ऐसे में अनजान नंबर पर भरोसा ना करें, कॉल या अन्य माध्यम से सत्यापन के बाद ही अगला कदम उठाए।
सतर्कता और जागरूकता की कमी से हुई ठगी
शातिर साइबर ठग गलत नम्बर पर बॉस की डीपी लगाकर कर्मचारियों से चैटिंग कर ठगी करता रहा, इन्हें पता था कि कम्पनी सिर्फ सोमवार को ही भुगतान करती है फिर भी किसी भी कर्मचारी ने बॉस से जानकारी जुटाने की जहमत नहीं उठाई जबकि वो खुद ही आॅफिस में मौजूद थे।
ठग ने ऐसे की ठगी
वैशाली नगर के हनुमान नगर विस्तार निवासी देवेन्द्र सिंह शेखावत ने जयपुर शहर के साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दी है कि उनकी प्रताप नेक्सजन प्राइवेट लिमिटेड झोटवाड़ा नाम से कम्पनी है। 17 जून 2025 को मेरे कम्पनी के अकाउंटेंट कमलेश के वाट्सअप नम्बर पर मेरी डीपी लगे हुए वाट्सअप के अज्ञात नम्बर से मैसेज आया कि मेरा नया नम्बर ये है। जमीन की डील के लिए मेरे कम्पनी के खाते से एचडीएफसी बैंक में हाइपर सोनिक इंटरप्राइजेज नाम के खाते में 27 लाख रुपए डलवा लिए।
कम्पनी में ऐसे होता है पेमेन्ट
कम्पनी में कोई भी भुगतान तीन स्टेप में होता है। अकाउंटेंट कमलेश के पास से कोई भी भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू होती है। अक्षय नाम का कर्मचारी उस पेमेन्ट को संबंधित खाते में ट्रांसफर करता हैं। पेमेन्ट ट्रांसफर करने के दौरान सीए मधुर ओटीपी बताते हैं उसके बाद रुपए ट्रांसफर हो जाते हैं। इस केस में भी यही हुआ, लेकिन किसी ने भी मालिक देवेन्द्र से 27 लाख रुपए एक साथ देने के बारे में जानकारी नहीं की। देवेन्द्र शेखावत ने बताया कि कम्पनी में सिर्फ सोमवार को ही भुगतान होता है बाकी दिनों में कोई भुगतान नहीं होता। फिर भी इन्होंने मंगलवार को भुगतान कर दिया।
एक नजर में ठगी का जाल
अकाउंटेंट कमलेश कम्पनी में पिछले छह साल से काम कर रहा है। इसके पास कम्पनी मालिक देवेन्द्र सिंह शेखावत की डीपी लगे हुए अज्ञात नम्बर से वाट्सटप पर 17 जून को डेढ़ बजे मैसेज आया कि मेरा नया नम्बर ये है, इस नम्बर को भविष्य के लिए सेव कर लें। इस अज्ञात नम्बर से जब कमलेश से चेटिंग चल रही थी तब देवेन्द्र अपने आॅफिस में ही मौजूद थे। ठग ने कमलेश से चेटिंग शुरू की। इस दौरान खाता, बैंक स्टेटमेंट समेत कई बातें हुईं। ठग ने कमलेश को चेटिंग में ही जमीन की डील कराने के नाम पर 27 लाख रुपए तुरंत ट्रांसफर करने को कहा। कमलेश ने अक्षय को ठग की ओर से दिए गए खाता नम्बर की जानकारी भेज दी। अक्षय ने सीए मधुर को 27 लाख रुपए भेजने के लिए ओटीपी भेजा तो सीए ने ओटीपी बता दिया, जिससे 27 लाख रुपए साइबर ठग के खाते में चले गए। चार बजकर 38 मिनट पर रुपए भेजे गए और छह बजे तक रुपए निकाल लिए गए।
साइबर ठगों ने एक कम्पनी मालिक की वाट्सटप पर डीपी लगाकर कर्मचारी से चेटिंग कर 27 लाख रुपए की ठगी करने का मुकदमा दर्ज हुआ। इसमें कुछ रकम होल्ड कराई है। बाकी जांच की जा रही है।
श्रवण कुमार,
थानाप्रभारी साइबर क्राइम जयपुर कमिश्नरेट

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