लेपर्ड जिसके नहीं हैं चारों कैनाइन : उम्र 20 साल, मानव-वन्यजीव टकराव के चलते साल 2018 में सरिस्का से करके लाए थे रेस्क्यू
खाने में दे रहे सॉफ्ट मीट
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के रेस्क्यू सेंटर में करीब 20 साल का नर लेपर्ड स्वस्थ बताया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार साल 2018 में इसे सरिस्का से रेस्क्यू कर यहां लाया गया था। वहां इसने लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। खासबात ये है कि इसके मुंह में नीचे के कैनाइन पूरी तरह से घीसे हुए हैं। ऊपर के कैनाइन नहीं हैं।
जयपुर। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के रेस्क्यू सेंटर में करीब 20 साल का नर लेपर्ड स्वस्थ बताया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार साल 2018 में इसे सरिस्का से रेस्क्यू कर यहां लाया गया था। वहां इसने लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। खासबात ये है कि इसके मुंह में नीचे के कैनाइन पूरी तरह से घीसे हुए हैं। ऊपर के कैनाइन नहीं हैं। इसके अतिरिक्त बाकी के दांत भी नहीं हैं। इस कारण इसे खाने में सॉफ्ट मीट दिया जाता है। इसका वजन करीब 50 किलो बताया जाता है। कहा जाए तो यहां बाघिन रंभा (करीब 22 साल) के बाद यही ऐसा वन्यजीव है, जो 20 साल की उम्र तक पहुंच गया है। अधिक उम्र के चलते रंभा को बायोलॉजिकल पार्क से रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है।
दे रहे बोन लैस मीट और दवाइयां
रेस्क्यू सेंटर में रखे इस लेपर्ड को रोजाना दो किलो चिकन (बोन लैस) और दो किलो पाड़ा मीट दिया जा रहा है। उम्र के इस पड़ाव को देखते हुए इसे आवश्यक दवाइयां और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए दवाइयां दी जा रही है। इसके अतिरिक्त सर्दी और गर्मी में इसका विशेष ध्यान दिया जाता है।
वाइल्ड में इतनी होती है उम्र
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर ने बताया कि वन क्षेत्रों में लेपर्ड की उम्र तकरीबन 10 से 12 साल होती है, क्योंकि इन्हें वहां पेट भरेन के लिए स्वयं शिकार करना पड़ता है। साथ ही टेरेटरी के लिए दूसरे लेपर्ड से भी लड़ना पड़ता है। कैप्टिविटी में ऐसा नहीं है, यहां इन्हें रोजाना की फिक्स डाइट मिलती है। ऐसे में ये कैप्टिविटी ये वन्यजीव 15 से 16 साल तक जीवन जीते हैं। सरिस्का से साल 2018 में रेस्क्यू कर लाए नर लेपर्ड की उम्र तकरीबन 20 वर्ष है। यहां इसे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही आवश्यक दवाइयां दी जा रही हैं।

Comment List