ल्यूकोपीनिया : रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमजोरी बन सकती है कई गंभीर बीमारियों की वजह
घेर सकती हैं कई बीमारियां, रक्त से जुड़ा गंभीर विकार
हमारे शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाएं वह सिपाही होती हैं, जो बाहरी संक्रमणों से हमारी रक्षा करती हैं
जयपुर। हमारे शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाएं वह सिपाही होती हैं, जो बाहरी संक्रमणों से हमारी रक्षा करती हैं। यदि इन सिपाहियों की संख्या कम हो जाए तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सीधा असर पड़ता है। इस स्थिति को चिकित्सकीय भाषा में ल्यूकोपीनिया कहा जाता है। यह एक गंभीर रक्त विकार है, जो समय रहते पहचान और उपचार के अभाव में शरीर को कई संक्रमणों के लिए असहाय बना देता है। सामान्यतया एक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त के प्रति माइक्रोलीटर में 4000 से 10000 तक श्वेत रक्त कोशिकाएं पाई जाती हैं। यदि यह संख्या 4000 से नीचे आ जाए तो यह ल्यूकोपीनिया का संकेत हो सकता है।
किन कारणों से होता है ल्यूकोपीनिया
सीनियर हिमेटोलॉजिस्ट डॉ. उपेंद्र शर्मा ने बताया कि ल्यूकोपीनिया यानी शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या में कमी कई कारणों से हो सकती है। इसके पीछे प्रमुख वजहें पोषण की कमी, जैसे विटामिन बी12, फॉलिक एसिड, कॉपर और जिंक का अभाव हो सकती हैं। इसके अलावा रूमेटॉइड आर्थराइटिस, ल्यूपस, अप्लास्टिक एनीमिया, मायलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम, आॅटोइम्यून, रूमेटोलॉजिक रोग और बोन मैरो तक पहुंचने वाले ब्लड कैंसर भी इसके कारण होते हैं। वहीं पौष्टिक आहार की कमी और अनियमित जीवनशैली भी ल्यूकोपीनिया को जन्म दे सकती है।
ऐसे लगाएं पता
ल्यूकोपीनिया की पुष्टि के लिए सीबीसी, पीबीएफ और आवश्यकता होने पर बोन मैरो की जांच की जाती है। इसके बाद रोग की गंभीरता के आधार पर उपचार किया जाता है। दवाओं के साथ-साथ जीवनशैली में सुधार और संतुलित आहार से रोग प्रतिरोधक क्षमता को फिर से मजबूत किया जा सकता है।
लक्षण दिखें तो नहीं करें नजरअंदाज
बार-बार बुखार आना और पसीना आना। सर्दी-खांसी जल्दी ठीक न होना। बार-बार संक्रमण होना। सांस लेने में कठिनाई।

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