आउवा किले पर कुशाल सिंह ने टांगा था अंग्रेज अधिकारी का सिर
राजस्थान में क्रांति की शुरुआत नसीराबाद सैनिक से हुई
क्या आप जानते हैं कि 1857 की क्रांति के समय राजस्थान में एक शूरवीर कुशाल सिंह चंपावत ने अंग्रेज अधिकारी कैप्टन मोंक मेसन का सिर काट कर आउवा के किले के बाहर लटका दिया था।
जयपुर। क्या आप जानते हैं कि 1857 की क्रांति के समय राजस्थान में एक शूरवीर कुशाल सिंह चंपावत ने अंग्रेज अधिकारी कैप्टन मोंक मेसन का सिर काट कर आउवा के किले के बाहर लटका दिया था। देश में 1857 की क्रांति की शुरुआत 10 मई को मानी जाती है, लेकिन क्रांति की लपट राजस्थान पहुंची 28 मई को और प्रदेश में कई जगह विद्रोह भड़क गया। राजस्थान में क्रांति की शुरुआत नसीराबाद सैनिक से हुई। धीरे-धीरे क्रांति प्रदेश के अन्य सैनिक छावनियों तक पहुंची, जिसमें देवली (टोंक), एरिनपुरा (पाली), नीमच (मध्य प्रदेश) प्रमुख सैनिक छावनियां थी। सैनिक छावनियों का विद्रोह धीरे-धीरे जन विद्रोह में बदल गया और यह आग कोटा, जयपुर, धौलपुर, भरतपुर तक पहुंची, लेकिन कुछ क्रांतिकारियों और क्रांति की कुछ हादसों ने जनमानस पर ऐसा प्रभाव छोड़ा कि वह हमेशा हमेशा इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो गए।
कुशाल सिंह चंपावत
आउवा के ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत ने एरिनपुरा छावनी के सैनिकों के साथ मिलकर अंग्रेजों से बिठोड़ा का युद्ध लड़ा। इस युद्ध में कुशाल सिंह की जीत हुई। 18 सितंबर,1857 को चेलवास का युद्ध हुआ। इस युद्ध में कुशाल सिंह चंपावत के खिलाफ राजस्थान के एजीजी (एजेंट टु गवर्नर जनरल) जार्ज पैट्रिक लॉरेंस और मारवाड़ के पीए (पॉलिटिकल एजेंट) मेकमेसन थे। इस युद्ध में कुशाल सिंह की जीत हुई और अंग्रेज अधिकारी मोंक मेसन की गर्दन काट कर उसका सिर आउवा किले के प्रवेशद्वार पर लगा दिया।
क्रांति और तात्या टोपे
अंग्रेजों ने झांसी का दमन किया तो तात्या टोपे रानी लक्ष्मीबाई के समर्थन में आए। टोपे राजस्थान में सहायता के लिए आए। सबसे पहले वे मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) आए तो उनका साथ टोंक के नासिर मोहम्मद खां ने दिया। अंग्रेज अधिकारी रोबोट्स से कुआड़ा के युद्ध में तात्या टोपे पराजित हुए और लौटते वक्त झालावाड़ पर अधिकार कर लिया। टोपे जैसलमेर को छोड़कर राजस्थान में सभी रियासतों में सहायता के लिए घूमे। मेवाड़ में कोठारिया के जोधसिंह और सलूंबर के केसरी सिंह ने तात्या टोपे की मदद की। टोपे की मुखबिरी उनके साथी मानसिंह ने की और उन्हें नरवर के जंगलों से अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर फांसी दी। तात्या की फांसी पर मेवाड़ के पीए शावर्स ने कहा कि आने वाली पीढ़ियां हमसे यह सवाल जरूर पूछेगी कि हमने तात्या टोपे को क्यों और किस लिए मार दिया।
कोटा का जनविद्रोह
15 अक्टूबर, 1857 को कोटा में लाला जयदयाल और मेहराब खान ने 3000 सैनिकों के साथ अंग्रेजी सेना के खिलाफ स्वराज का बिगुल फूंका था। इन दो के नेतृत्व में कोटा 6 महीने तक अंग्रेजी शासन से मुक्त रहा। 30 मार्च, 1818 को अंग्रेजों के साथ कुछ कोटा के विद्रोह को कुचल दिया। 17 सितंबर, 1860 को लाला जय दयाल और मेहराब खान को कोटा एजेंसी के पास उसी स्थान पर फांसी दी, जहां उन्होंने मेजर बर्टन की हत्या की थी। यह घटनाक्रम 1857 की क्रांति का अहम अध्याय है।
अमरचंद बांठिया
अमरचंद बांठिया मूल रूप से बीकानेर के थे। इन्होंने क्रांति के दौरान ग्वालियर में झांसी की रानी की आर्थिक सहायता की थी। इन्हें 1857 की क्रांति का भामाशाह माना जाता है। यह राजस्थान के पहले शहीद थे, जिन्हें क्रांति के दौरान फांसी दी थी।
(कंटेंट : दीपक चारण)

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